उत्तर प्रदेश में विशेष गहन संशोधन (SIR) प्रक्रिया के दौरान बूथ लेवल ऑफिसरों (BLOs) की लापरवाही के आरोपों में सख्त कार्रवाई शुरू हो गई है। नोएडा प्रशासन ने तीन थानों में 60 से अधिक BLOs और सात पर्यवेक्षकों के खिलाफ जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 32 के तहत एफआईआर दर्ज कराई हैं। बहराइच जिले में दो BLOs को निलंबित कर दिया गया है और तीसरे के खिलाफ भाजपा नेता की शिकायत पर मुकदमा दर्ज हुआ है। यह कार्रवाई नौ राज्यों और तीन केंद्र शासित प्रदेशों में चल रही SIR चरण-दो की एक माह की गणना अवधि के बीच हुई है, जिसमें BLOs को फॉर्म वितरण और संग्रह की जिम्मेदारी सौंपी गई है। अंतिम तिथि 4 दिसंबर है। हाल ही में योगी सरकार ने हर जिले में डिटेंशन सेंटर खोलने का आदेश दिया है। कहा जा रहा है कि इसका एसआईआर से सीधा संबंध है। एसआईआर दरअसल नागरिकता की जांच का रास्ता है। 
यूपी में तमाम शहरों में बीएलओ शिकायत कर रहे हैं कि उन्हें ठीक से ट्रेनिंग ही नहीं मिली कि वो मतदाताओं को जानकारी दे सकें। तमाम बीएलओ ने कहा कि उन्हें सरकारी तौर पर 2003 की मतदाता सूची नहीं दी गई। सबसे ज्यादा एक्शन नोएडा (जिला गौतमबुद्ध नगर) में हो रहे हैं। सोशल मीडिया पर लोगों का सवाल है कि नोएडा में डीएम मेधा रूपम हैं, वो एसआईआर को लेकर बहुत ज्यादा सक्रिय हैं। डीएम मेधा रूपम मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार की बेटी हैं। यूपी में अभी तक एसआईआर के काम के दबाव में चार बीएलओ ने कथित तौर पर खुदकुशी कर चुके हैं।
एसआईआर के इस चरण में BLOs को ही फॉर्म पर दर्ज मतदाता विवरण को पुरानी मतदाता सूची या उनके माता-पिता के रिकॉर्ड से मिलान करने का दायित्व सौंपा गया है। नोएडा जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) और जिला निर्वाचन अधिकारी मेधा रूपम के आदेश पर तीन विधानसभा क्षेत्रों के उप-जिला मजिस्ट्रेटों ने FIR दर्ज कराईं हैं। प्रशासन के अनुसार, बार-बार निर्देश, चेतावनी और नोटिस जारी करने के बावजूद कई BLOs ने अपने नियत क्षेत्रों में रिपोर्ट नहीं की और वरिष्ठ अधिकारियों के आदेशों का पालन नहीं किया।

नोएडा के दादरी थाने में दो एफआईआर हुईं। एक में 12 आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और सरकारी स्कूल शिक्षक नामजद हैं, जबकि दूसरी में छह पर्यवेक्षकों को निशाना बनाया गया। ग्रेटर नोएडा के इकोटेक फेज-1 थाने में 33 BLOs और एक पर्यवेक्षक के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई, वहीं जेवर थाने में 17 BLOs पर केस दर्ज किया गया है। हर एफआईआर क्षेत्र के एसडीएम ने दर्ज कराई, जो SIR अभ्यास के दौरान स्थानीय निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी (ईआरओ) के रूप में कार्यरत हैं।

बीएलओ का नौकरी से इस्तीफा

सरकारी स्कूल में टीचर और एसआईआर के लिए बीएलओ बनाई गई पिंकी सिंह ने काम के दबाव का हवाला देते हुए अपना इस्तीफा भेज दिया। एसआईआर को लेकर यूपी में और बी बीएलओ परेशान हैं वे अपने उच्चाधिकारियों को सूचित कर रहे हैं।

नोएडा डीएम के 'वॉर रूम' से जारी विस्तृत बयान में कहा गया है कि निर्वाचन आयोग के निर्देशों के अनुरूप सख्त कार्रवाई का आदेश दिया गया है। कलेक्ट्रेट में आयोजित समीक्षा बैठक में डीएम रूपम ने सेक्टर और जोनल मजिस्ट्रेटों को निर्देश दिए कि एसआईआर को प्रभावी, पारदर्शी और समयबद्ध तरीके से पूरा करें। उन्होंने कहा, "हर BLO को समय पर अपने क्षेत्र पहुंचना होगा, घर-घर जाकर नए मतदाताओं के लिए फॉर्म-6 और ट्रांसफर या संशोधन के लिए फॉर्म-8 भरवाना होगा।" डीएम ने चेतावनी दी कि किसी भी देरी या लापरवाही पर नोटिस और स्पष्टीकरण मांगा जाएगा, जबकि बार-बार उल्लंघन पर वेतन रोकने और अनुशासनात्मक कार्रवाई की चेतावनी दी गई है।

बहराइच में मुस्लिम बीएलओ सस्पेंड

बहराइच के प्राइमरी शिक्षा अधिकारी (बीएसए) आशीष कुमार सिंह ने बताया कि प्राइमरी स्कूल की प्रधानाध्यापिका शमा नफीस और एक सहायक शिक्षक अनुराग पर लापरवाही का आरोप है। शमा नफीस को BLO नियुक्त किया गया था, लेकिन उन्होंने लिखित नोटिस और वरिष्ठ अधिकारियों के बार-बार फोन कॉल्स की अनदेखी की। इसी तरह, अनुराग ने SIR अभ्यास के तहत सौंपी गई जिम्मेदारियों को निभाने से इनकार कर दिया। सिंह ने कहा कि नियमित निर्देशों के बावजूद दोनों ने ड्यूटी करने से इनकार किया, इसलिए उन्हें निलंबित कर दिया गया।


बीजेपी नेता की शिकायत पर एफआईआर, बीएलओ निलंबित

भाजपा नेता अंकित कुमार सिंह की शिकायत पर प्राइमरी स्कूल के टीचर और BLO अभिषेक सिंह के खिलाफ विशेश्वरगंज थाने में मुकदमा दर्ज हुआ है। शिकायतकर्ता का दावा है कि 18 नवंबर को पार्टी निर्देश पर SIR फॉर्म वितरण की जानकारी लेने के लिए कॉल करने पर अभिषेक सिंह भड़क गए और आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल किया। इससे पार्टी और उसके नेता की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंची तथा शिकायतकर्ता डराने-धमकाने का शिकार हुए। एफआईआर शांति भंग करने के इरादे से अपमान, आपराधिक धमकी और मानहानि की धाराओं के तहत दर्ज की गई। सर्कल अधिकारी बहराइच राज सिंह यादव ने बताया कि शिकायतकर्ता ने कॉल रिकॉर्डिंग और चैट्स सबूत के रूप में जमा किए हैं। तीनों BLOs से संपर्क का प्रयास विफल रहा।


अन्य जिलों में भी अफरातफरी का माहौल

  • बस्तीः एसडीएम BLO पर भड़के। वीडियो वायरल। SDM शत्रुघ्न पाठक ने BLO को फटकार लगाई तो वीडियो वायरल हो गया। धारा-32 के तहत तुरंत FIR का आदेश दिया गया है।
  • बुलंदशहरः 6 BLO पर FIR। फॉर्म वितरण और सत्यापन में लापरवाही के कारण केस दर्ज हुआ।
  • प्रयागराजः 24 BLO ने ड्यूटी करने से इनकार, FIR दर्ज। ज्यादातर शिक्षक BLO हैं, काम के बोझ का हवाला देकर मना किया। जिला प्रशासन ने FIR कराई।
  • अलीगढ़ः चुनाव आयोग की ऐप में गड़बड़ी, मतदाताओं में दहशत। 2003 की सूची सर्च करने में दिक्कत, फॉर्म अपलोड नहीं हो रहे। DM ने मैनुअल जमा करने को कहा।
  • कानपुरः शहरी वार्डों में BLO घर नहीं आए। वार्ड-28 (कृष्णा नगर) समेत कई इलाकों में शिकायत। गोरखपुर के बसंतपुर में भी BLO फोन नहीं उठा रहे।
  • अमरोहाः ग्रामीण क्षेत्रों में फॉर्म ही नहीं बंटे। उझारी नगर पंचायत और हरपुर सुखद गांव में प्रधान/BLO ने SIR शुरू ही नहीं किया।


यूपी में गणना फॉर्म वितरण 99.6% होने का दावा किया गया है। लेकिन डिजिटाइजेशन सिर्फ 19% हुआ है। इसकी सबसे बड़ी वजह फॉर्म भरने को लेकर मतदाताओं को जानकारी नहीं होना भी है। मतदाओं की शिकायत है कि बीएलओ उन्हें ठीक से गाइड नहीं कर पा रहे हैं। जबकि बीएलओ का कहना है कि फॉर्म भरने को लेकर उनके पास पर्याप्त जानकारी नहीं है। बहुत सारे मतदाताओं और बीएलओ को 2003 की मतदाता सूची भी नहीं मिल रही है।

अखिलेश यादव का आरोप: समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने SIR को भाजपा और निर्वाचन आयोग की मिलीभगत करार दिया है। उन्होंने कहा कि SP की मजबूत सीटों (खासकर कन्नौज) में 50 हजार तक वोट काटने की साजिश हो रही है। फॉर्म नहीं भरने वालों के नाम अपने-आप कट जाएंगे। उन्होंने 4 दिसंबर की अंतिम तिथि को तीन महीने बढ़ाने की मांग की है।

कांग्रेस का "वोट चोरी" अभियान: कांग्रेस SIR को लगातार "वोट चोरी" कह रही है। 14 दिसंबर को कांग्रेस ने एसआईआर के खिलाफ दिल्ली में रैली की घोषणा की है। लेकिन यूपी में कांग्रेस 1.62 लाख बूथों में से अधिकांश पर BLA (बूथ लेवल एजेंट) नियुक्त नहीं कर पाई। मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि भाजपा सबसे आगे, फिर सपा-बसपा का नंबर है।

यूपी में एसआईआर की अफरातफरी और डिटेंशन सेंटर का आदेश

क्या यूपी एसआईआर और डिटेंशन सेंटर का आपस में कोई संबंध है। यूपी में 2027 में विधानसभा चुनाव है। लेकिन भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) को एक साल पहले ही एसआईआर की जल्दी है। उसके लिए भी एक महीने का समय रखा गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एसआईआर के दौरान ही हर जिले में डिटेंशन सेंटर बनाने का आदेश दिया। इस संबंध में सोशल मीडिया पर लोगों ने लिखा है कि एसआईआर के दौरान बड़े पैमाने पर मुस्लिमों के नाम काटे जाएंगे या उनको विदेशी घोषित किया जाएगा। ऐसे लोगों को ही डिटेंशन सेंटर में रखने की तैयारी है। सुप्रीम कोर्ट अभी तक एसआईआर प्रक्रिया को लेकर कोई अंतिम आदेश या स्पष्ट फैसला नहीं दे सका है। लेखक और विश्लेषक राजू पारुलेकर का ट्वीट और उनकी टिप्पणी इस लाइन को क्लिक करके पढ़ें।

प्रवासी मज़दूरों के नाम कौन दर्ज कराएगा

दिल्ली, मुंबई, कोलकाता में असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले यूपी-बिहार के लोग प्रवासी मजदूर कहलाते हैं। जिनमें घरेलू नौकर, रसोइया, मैकेनिक, कार धोने वाले और निर्माण मज़दूर हैं। अब इस वर्ग को डर है कि उन्हें भारत की मतदाता सूची में अपना नाम दर्ज कराने के लिए घर जाने के लिए महँगी यात्राएँ करनी पड़ेंगी। इस बात की कोई गारंटी भी नहीं है कि उनका नाम मतदाता सूची में दर्ज हो पाएगा या बना रह पाएगा। ज़्यादातर प्रवासी मज़दूरों के लिए, बिना योजना के घर लौटने का मतलब है अतिरिक्त खर्च और वेतन का नुकसान। क्योंकि ज्यादातर दिहाड़ी मज़दूर हैं।