अस्सी मोहल्ला की एक चाय की दुकान पर तीन घंटे से गलचौर कर रहे जयनारायण गुरू ने चाय सुड़कते हुए कहा, 'गुरु, काशी में कन्फ़्यूजिया मत, कन्फ़्यूजिअइब त फ़्यूज हो जइब', मतलब (गुरू, काशी में दुविधा में मत पड़िये। दुविधा में पड़ेंगे, तो बेकार हो जायेंगे)। उन्होंने यह बात जब जयप्रकाश गुरु से कही, तो जयप्रकाश गुरु ने उनको रगेदा। कहा, 'भांग का गोला ज़्यादे चढ़ा लेले हव का, तब्बे उड़त हव। एह बार मैदान साफ़ बा, मोदी पहिले से ज़्यादा वोट बटोरिहें, रेकार्ड बनइहें', मतलब यह कि (भांग ज़्यादा खा लिये हैं क्या, तभी बढ़-चढ़ कर बोल रहे हैं। इस बार मैदान साफ़ है, मोदी पहले से ज़्यादा वोट पायेंगे, रिकॉर्ड बनायेंगे)।
जयप्रकाश गुरु ने उनके इस कहे पर दोनों बाँह पर कुर्ते की आस्तीन चढ़ा कर चाय की टेबल पर मुक्का मारते हुए कहा, 'हिन्दू-मुसलमान करावे ख़ातिर माफ़िया अतीक के लड़ावे के चाल सत्ता वाले चल देहले बानल, वो ओसे सपा-बसपा, कांग्रेस के उम्मीदवरवन के मुसलमान वोट भी कटवावे के चाल चलिहें। ओकरेबाद भी अबकी अजय (कांग्रेस प्रत्याशी अजय राय) उनके (मोदी) वोट ठीक-ठाक कटिहें। सपा धोबिया पाठ दाँव चलके तेज़ बहादुर यादव के प्रत्याशी बना दिहलस, अइसे में मोदी बहुत ना बढ़ी पइहें।' (हिंदू-मुसलिम कराने के लिए अपराधी अतीक अहमद को सत्ताधारी हुक्मरानों ने यहाँ निर्दलीय चुनाव लड़वाने की चाल चली है। उसके मार्फ़त सपा-बसपा प्रत्याशी व कांग्रेस के प्रत्याशियों के मुसलमान वोट कटवाने की चाल चलेंगे। लेकिन अबकी बार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का वोट कांग्रेस प्रत्याशी अजय राय अच्छी संख्या में काटेंगे। सपा ने भी धोबिया पाट दाँव चलके सेना से बर्खास्त सिपाही तेज़बहादुर यादव को अपना प्रत्याशी बना दिया, जिसके कारण मोदी बहुत नहीं बढ़ पायेंगे)।
काशी (वाराणसी) की अड़ियों (चाय की दुकानों) पर इस तरह गलचौर का दौर चल रहा है, जिसका केन्द्र बिन्दु लोकसभा चुनाव और यहाँ के बीजेपी प्रत्याशी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हैं।
बनारस के ज़्यादातर लोगों का मानना है कि मोदी इस बार ज़्यादा वोट पायेंगे। हो सकता है रिकार्ड भी बनावें। अस्सी घाट पर बैठने वाले घनश्याम मिश्रा का कहना है कि जीतीहें त मोदी ही, सवाल इ बा कि केतना वोट से जीतीहें (जीतेंगे तो मोदी ही, सवाल यह है कि कितने वोट से जीतेंगे)।
इस चुनाव में सपा व बसपा गठबंधन करके लड़ रहे हैं और यह सीट सपा को मिली है। सपा ने पहले पूर्व केन्द्रीय मंत्री व कांग्रेसी नेता रहे श्यामलाल यादव की बहू शालिनी यादव को प्रत्याशी बनाने की घोषणा की थी।
मजेदार बात यह रही कि नामाँकन की अंतिम तिथि 29 अप्रैल को समाजवादी पार्टी की उम्मीदवार शालिनी यादव का जुलूस सुबह नगर निगम से निकला लेकिन बाद में उन्हें सूचित कर दिया गया कि पार्टी ने रणनीति के तहत सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ़) के सैनिक रहे तेज़ बहादुर यादव को सपा का प्रत्याशी बना दिया है। यह वही यादव हैं जिन्होंने बीएसएफ़ में घटिया दाल-रोटी की शिकायत का वीडियो बनाकर वायरल किया था, जिस पर उन्हें नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया था।
सेना में इस तरह के मामले उठाने वाले तथा कई सेवानिवृत सैनिक तेज़ बहादुर यादव के समर्थन में बीते कई दिनों से वाराणसी में प्रचार कर रहे हैं। इनकी संख्या लगभग ढाई हज़ार बताई जा रही है।
सपा का वोट बैंक यादव हैं। वाराणसी में इनकी संख्या लगभग एक लाख है। मुसलमान भी सपा व बसपा के मतदाता हैं। इस संसदीय क्षेत्र में लगभग 3 लाख मुसलमान हैं। ऐसे में यदि गठबंधन के प्रत्याशी तेज़ बहादुर यादव के पक्ष में यादव व मुसलमान एकजुट हुए और सपा प्रमुख अखिलेश यादव व बसपा प्रमुख मायावती ने उनके प्रचार के लिए वाराणसी में सभा कर दी तो तेज़ बहादुर यादव को अच्छा वोट मिल जायेगा। ऐसी स्थिति में मोदी को 2014 में जितना वोट मिला था, उसी के लगभग रह सकता है।
इस संभावना के चलते बीजेपी के रणनीतिकार सतर्क हो गये हैं और शालिनी यादव से सम्पर्क करने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि वह अपना नामाँकन वापस नहीं लेकर सपा से बग़ावत कर दें। प्रो. छोटे लाल का कहना है कि इस तरह उठापटक चाहे जितनी हो, जीतेंगे तो मोदी ही।राय के हटने पर रोचक होगा मुक़ाबला
कम होगा जीत का मार्जिन!