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राहुल से मिलने के बाद रावत बोले- चुनाव प्रचार का नेतृत्व करूंगा

नाराज़गी भरे ट्वीट कर उत्तराखंड कांग्रेस की सियासत में तूफान लाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत अब मान गए हैं। नाराज़गी जताने के बाद रावत और प्रदेश के अन्य वरिष्ठ नेताओं को कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने दिल्ली बुलाया और शुक्रवार को उनसे बातचीत की। इससे पहले कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी रावत से बात की थी।

राहुल से मुलाक़ात के बाद रावत बेहद ख़ुश दिखाई दिए और उन्होंने कहा कि वह पूरी तरह संतुष्ट हैं। उन्होंने कहा कि चुनाव अभियान कमेटी के अध्यक्ष के रूप में वह चुनाव प्रचार का नेतृत्व करेंगे सारे नेता चुनाव में पूरा सहयोग देंगे। 

यह तय था कि विधानसभा चुनाव से पहले हाईकमान रावत को नाराज रखकर किसी तरह का जोखिम नहीं लेगा इसलिए उसने रावत की नाराज़गी का तुरंत संज्ञान लिया।

इससे पहले रावत ने कहा था कि क़दम-क़दम मिलाए जा और उत्तराखंड के गीत गाए जा। चुनाव में क्या वह कांग्रेस का चेहरा होंगे, इस बारे में पूछे जाने पर इस अनुभवी नेता ने कहा कि चुनाव के बाद विधायक दल का नेता कौन होगा, यह विशेषाधिकार कांग्रेस अध्यक्ष के पास सुरक्षित है। 

रावत ने कहा कि अब उनके हाथ नहीं बंधे हैं और हम सभी कांग्रेस के सिपाही हैं। रावत के अलावा प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल, विपक्ष के नेता प्रीतम सिंह और वरिष्ठ नेता यशपाल आर्य को भी हाईकमान ने बुलाया था। 

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क्यों है रार?

उत्तराखंड के सियासी जानकारों के मुताबिक, हरीश रावत कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री का चेहरा बनना चाहते हैं। इसके साथ ही वह अपने अधिकतर समर्थकों को टिकट भी दिलवाना चाहते हैं। लेकिन कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव और कांग्रेस के बाकी नेता सामूहिक नेतृत्व के तौर पर चुनाव में जाने की बात कह रहे हैं। 

क्या कहा था रावत ने? 

रावत ने बुधवार को एक के बाद एक कई ट्वीट कर कांग्रेस की सियासत में सरगर्मी पैदा कर दी थी। उन्होंने कहा था कि उन्हें चुनाव रूपी समुद्र में तैरना है लेकिन संगठन का ढांचा अधिकांश जगहों पर सहयोग का हाथ बढ़ाने के बजाय या तो मुंह फेर कर खड़ा हो जा रहा है या नकारात्मक भूमिका निभा रहा है। रावत ने कांग्रेस हाईकमान पर भी निशाना साधा था। 

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा था कि जिनके आदेश पर तैरना है उनके नुमाइंदे ही उनके हाथ पांव बांध रहे हैं।

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समर्थन में उतरे नेता

हरीश रावत के बगावती ट्वीट आने के बाद राज्य में उनके समर्थकों ने रावत के समर्थन में कूदने का ऐलान कर दिया था। इनमें राज्यसभा सांसद प्रदीप टम्टा, विधायक गोविंद सिंह कुंजवाल, विधायक हरीश धामी सहित राज्य कांग्रेस में बड़े पदों पर रहे लोग शामिल हैं। 

हरीश रावत के समर्थकों ने सोशल मीडिया पर अभियान भी छेड़ दिया है। एक पोस्टर में लिखा है कि जहां हरदा वहां हम।  

कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल भी रावत के समर्थन में खड़े दिखे। रावत की सिफारिश पर ही गोदियाल को कांग्रेस हाईकमान ने प्रदेश अध्यक्ष बनाया था।

छोटे से राज्य उत्तराखंड में राजनीतिक अस्थिरता बेहद ज्यादा रही है। बीजेपी ने इस बार 3 मुख्यमंत्री दिये हैं। इससे पहले भी कांग्रेस और बीजेपी में तमाम नेताओं की सियासी महत्वाकांक्षाओं के चलते वहां कई बार मुख्यमंत्री बदलने पड़े हैं। 
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क़मर वहीद नक़वी
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