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सुरंग में फँसे लोगों का विजुअल।फोटो साभार: ट्विटर/@navalkant/वीडियो ग्रैब

उत्तरकाशी: सुरंग में फँसे लोगों का आया पहला विजुअल

उत्तरकाशी सुरंग हादसे में अंदर फँसे लोग पहली बार विजुअल में दिखे हैं। जिस पाइप की सहायता से उन्हें भोजन और पानी पहुँचाया जा रहा है उसी पाइप के माध्यम से कैमरे की मदद से उनका विजुअल दिखा। इसके अलावा 6 इंच की चौड़ाई वाली नयी पाइप लाइन से पहली बार गर्म खाना पहुँचाया गया। बोतलों में खिचड़ी भेजी गई। इससे पहले उन्हें खाने के लिए भूनी हुई चीजें ही अधिकतर भेजी जा रही थीं। 

उत्तराखंड के उत्तरकाशी में बचाव अधिकारी पिछले 10 दिनों से निर्माणाधीन सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों तक पहुंचने के लिए मंगलवार दोपहर से वर्टिकल ड्रिलिंग शुरू कर सकते हैं। पाइप ड्रिलिंग मशीन के लिए तैयारियाँ जोर शोर से चल रही हैं।

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मलबे और सुरंग के ऊपरी सिरे के बीच के अंतर का अध्ययन करने के लिए सुरंग स्थल पर दो बार ड्रोन सर्वेक्षण का प्रयास किया गया था। लेकिन रुकावट के कारण यह मलबे के ऊपर 28 मीटर से आगे नहीं जा सका और एक ड्रोन क्षतिग्रस्त हो गया। 

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन यानी डीआरडीओ द्वारा तैनात एक रोबोट मलबे के कारण सुरंग की ढलान पर नहीं चढ़ सका।

इससे पहले सोमवार को बचाव अभियान में एक बड़ी सफलता तब लगी थी जब छह इंच की वैकल्पिक पाइप सुरंग में फंसे लोगों तक पहुँचने में कामयाब रही। अधिकारियों ने फंसे हुए श्रमिकों के लिए बोतलों में पौष्टिक भोजन भी भेजा।
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अधिकारियों ने पोषणयुक्त भोजन पूरा करने के लिए एक विशेष आहार योजना तैयार करने के लिए चिकित्सा विशेषज्ञों से परामर्श किया। श्रमिकों को सहारा देने के लिए संतरे, केले, सेब और 'दलिया' सहित खिचड़ी और फलों की आपूर्ति पाइप से की गई। खिचड़ी को बोतलों में डालकर पाइप से नीचे भेज दिया गया।

सुरंग बनाने वाले विशेषज्ञों की एक वैश्विक टीम सोमवार को साइट पर पहुंची। इंटरनेशनल टनलिंग एंड अंडरग्राउंड स्पेस एसोसिएशन के अध्यक्ष अर्नोल्ड डिक्स ऑपरेशन की निगरानी के लिए सुरंग स्थल पर विशेषज्ञों में से थे। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार डिक्स ने कहा कि बचाव अधिकारी सबसे खतरनाक पर्वत श्रृंखलाओं में से एक पर काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इसी वजह से ऑपरेशन में कई चुनौतियाँ हैं। उन्होंने कहा, 'हमें यकीन है कि हम सभी 41 श्रमिकों को सुरक्षित बाहर निकाल लेंगे। सरकार, भारतीय सेना और एजेंसियां सही रास्ते पर काम कर रही हैं।'

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क़मर वहीद नक़वी
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