राजनीति के कई रंग हैं। वो आम आदमी के बेहतर जीवन के लिए संघर्ष करती दिखाई दे सकती है। लेकिन सत्ता और संपति पर कब्जा के लिए आम आदमी की जिंदगी को संकट में डालने से भी उसे परहेज नहीं हो सकता है। मीडिया, पूंजीपति और राजनेताओं का गठजोड़ अपने फायदे के लिए जनता को किस तरह गुमराह करता है, उसका एक बड़ा उदाहरण नार्वे के लेखक हेनरिक इब्सेन के नाटक “ऐन एनिमी ऑफ़ द पीपल” में मिलता है। मानववाद और यथार्थवाद के जनक माने जाने वाले हेनरिक ने ये नाटक 1882 में लिखा था।