मोहम्मद साकिब, 16 वर्षीय बिजनौर किशोर, को "लव जिहाद" के झूठे मामले में 6 महीने जेल में बिताने पड़े। 21 मई 2025 को बरी हुए, क्योंकि गवाहों के बयानों में विरोधाभास और सबूतों की कमी थी। क्या "लव जिहाद" कानून का दुरुपयोग बेगुनाहों को फंसाने के लिए हो रहा है?