कपिल मिश्रा को हिरासत में ले लेती पुलिस तो क्या नहीं होती हिंसा?
नागरिकता संशोधन क़ानून के विरोध में क्या दिल्ली में हुई हिंसा सोची-समझी साज़िश थी और बड़ा सवाल यह है कि दिल्ली पुलिस क्या कर रही थी। आख़िर उसने हिंसा फैलाने वालों को रोकने की कोशिश क्यों नहीं की। सुनिए, क्या कहते हैं वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष।