क्या प्रशान्त भूषण को जेल जाना चाहिये? क्या न्यायपालिका सरकार के दबाव में है? क्या जजों की पब्लिक स्क्रूटनी होनी चाहिये जैसे प्रधानमंत्री की होती है? आशुतोष के साथ चर्चा में राहुल देव, प्रो. आनंद कुमार, शिवकांत शर्मा।
पत्रकारिता में एक लंबी पारी और राजनीति में 20-20 खेलने के बाद आशुतोष पिछले दिनों पत्रकारिता में लौट आए हैं। समाचार पत्रों में लिखी उनकी टिप्पणियाँ 'मुखौटे का राजधर्म' नामक संग्रह से प्रकाशित हो चुका है। उनकी अन्य प्रकाशित पुस्तकों में अन्ना आंदोलन पर भी लिखी एक किताब भी है।