मुंबई में तीन महीनों से जो नाटक चल रहा है वो अनायास है या सोची समझी पटकथा ? कंगना में इतनी हिम्मत कहाँ से आयी कि वो ठाकरे से तू तड़ाक करे । षड्यंत्र गहरा है ? आशुतोष के साथ चर्चा में विजय त्रिवेदी, विनोद कापडी, विनोद अग्निहोत्री।
पत्रकारिता में एक लंबी पारी और राजनीति में 20-20 खेलने के बाद आशुतोष पिछले दिनों पत्रकारिता में लौट आए हैं। समाचार पत्रों में लिखी उनकी टिप्पणियाँ 'मुखौटे का राजधर्म' नामक संग्रह से प्रकाशित हो चुका है। उनकी अन्य प्रकाशित पुस्तकों में अन्ना आंदोलन पर भी लिखी एक किताब भी है।