मणिपुर में लगभग ढाई साल पहले 3 मई 2023 को उच्च न्यायालय के एक फ़ैसले के बाद स्थानीय कुकी और मैतेई समूहों के बीच नृजातीय हिंसा की शुरुआत हुई थी। नाकाम प्रशासन के लगभग दो साल गुज़र जाने के बाद बीरेन सिंह ने इस्तीफ़ा दिया और मणिपुर में फ़रवरी 2025 में राष्ट्रपति शासन लगाया गया। इस दौरान राज्य की बीजेपी सरकार हिंसा, बलात्कार, आगजनी और विस्थापन को रोकने में पूरी तरह नाकाम रही। विपक्ष के तमाम विरोधों के बावजूद बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह का इस्तीफ़ा नहीं लिया। बीरेन सिंह पर एक समूह के पक्ष में पूरे प्रशासन का इस्तेमाल करने का आरोप लगता रहा, तमाम वीभत्स बलात्कारों की कई घटनाएँ घटती रहीं लेकिन नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाला बीजेपी का केंद्रीय अमला राजनैतिक चुप्पी साध कर बैठा रहा। ढाई सालों तक पीएम मोदी मणिपुर झाँकने तक नहीं गए। जबकि इस बीच लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष, राहुल गांधी हिंसा की शुरुआत के बाद से अब तक तीन बार मणिपुर जा चुके हैं, पीड़ित लोगों से मिल चुके हैं। लेकिन भारत के प्रधानमंत्री को ढाई सालों बाद महसूस हुआ कि अब मणिपुर जाना चाहिए। पीएम मोदी 13 सितंबर से तीन पूर्वोत्तर राज्यों की यात्रा पर हैं जिसमें मणिपुर भी शामिल है। इस बीच विद्रोही मैतेई समूह CorCom ने मणिपुर बंद का फ़ैसला किया है। समूह का मानना है कि मई 2023 में शुरू हुई नृजातीय हिंसा के लिए केंद्र की मोदी सरकार जिम्मेदार है।