क्या भारत के लोगों को अपने संवैधानिक अधिकारों की माँग करने के पहले ख़ुद के राष्ट्रभक्त होने का प्रमाण पेश करना होगा? क्या उन्हें यह बार-बार बतलाना होगा कि उन्होंने इस देश या राष्ट्र के लिए क्या क्या किया है और तभी वे अपने अधिकारों की पात्रता हासिल कर सकेंगे? यह प्रमाण पत्र कौन देगा? और क्या इसमें दर्ज़ाबंदी भी होगी? यानी कुछ का योगदान अधिक और कुछ का उनसे कम? क्या इसके आधार पर तय होगा कि कौन कितना अधिकार माँग सकता है?