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ज़हर निकलने के स्रोत को बंद करना होगा! 

प्रधानमंत्री जो कूट भाषा में बोल रहे हैं, धर्म गुरु उसे उनके अनुयायियों को सीधे-सीधे समझा रहे हैं। मोदी खतरे को प्रतीकों में पेश कर रहे हैं। वे प्रतीक हैं बाबर, औरंगजेब, मोहम्मद गौरी, अब्दाली, नादिर शाह। वे आखिर किनके प्रतीक हैं? और जिनके प्रतीक वे हैं, उनके साथ क्या वही नहीं किया जाना है जो गुरु तेग बहादुर, सुहेल देव ने किया? 
अपूर्वानंद

नरेंद्र मोदी ने हरिद्वार की 'धर्म संसद के संदेश को अपनी भाषा में फिर से प्रसारित किया। लोग इस पर क्षुब्ध थे कि भारतीय जनता पार्टी के किसी नेता ने,  संघीय सरकार के किसी मंत्री ने, प्रधान मंत्री और गृह मंत्री की तो बात ही छोड़ दीजिए, हरिद्वार में हुई 'धर्म संसद' में मुसलमानों के कत्लेआम के ऐलान की निंदा नहीं की है। यह समझने में कोई दिक़्क़त न हो कि इस धर्म संसद और भाजपा की राजनीति में  क्या रिश्ता है, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने कच्छ के लखपत गुरुद्वारे से बोलते हुए कहा, “सिख गुरुओं ने जिन खतरों से आगाह किया था, वे उसी रूप में आज भी मौजूद हैं।" 

आगे मोदी ने कहा, "गुरु तेग बहादुर के त्याग और औरंगज़ेब के खिलाफ उनके वीरतापूर्ण कृत्यों ने हमें सिखलाया है कि आतंकवाद और धार्मिक अतिवाद से देश को कैसे लड़ना चाहिए।" 

यह वक्तव्य, जो एक धार्मिक अवसर पर, एक धार्मिक स्थल से दिया जा रहा था, मोदी ने बार-बार मुग़लों, मुसलमान शासकों के अत्याचारों और सिख गुरुओं के उनके खिलाफ संघर्ष की चर्चा की: "उनके ( मुगलों) शासन के दौरान इतने अत्याचार हुए कि सिख गुरुओं ने देश के लिए अपने प्राण देने में ज़रा भी हिचकिचाहट नहीं दिखलाई।"

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मोदी ने अपने भाषण में, जैसा अखबारों ने उसे रिपोर्ट किया सिख गुरुओं की चर्चा हमेशा मुसलमान शासकों के विरोधियों के रूप में की। उनकी प्रशंसा भी इसीलिए की कि उनके हिसाब से वे मुसलमान शासकों से लड़कर अपनी जान दे रहे थे। यह वे देश के लिए कर रहे थे। जो सिख गुरु कर रहे थे, वह आज भी किया जाना है क्योंकि वह खतरा आज भी मौजूद है, यह मोदी ने कहा। 

सीएए के विरोध पर हमले 

वह खतरा कहाँ से है? किससे लड़ना है? जिनसे सावधान रहना है और लड़ना है, यह मोदी और भाजपा के नेता लगातार बरसों से तरह-तरह से कहते चले आ रहे हैं। सीएए के विरोध के दौरान मोदी ने चतुराई से कहा कि जो विरोध कर रहे हैं, उन्हें उनके कपड़ों से पहचानो। और उत्तर प्रदेश में, कर्नाटक में, दिल्ली में मुसलमानों पर हमले किए गए। 

मुसलमानों पर हमले पुलिस ने किए और पुलिस के साथ मिलकर उन्होंने किए जो नारे लगा रहे थे, "दिल्ली पुलिस लट्ठ चलाओ, हम तुम्हारे साथ हैं।" यह नारा भी सुना गया : "मोदीजी तुम लट्ठ चलाओ, हम तुम्हारे साथ हैं।"

जो मोदी पोशीदा तरीके से और चालाकी से कह रहे हैं, उसे बिना किसी आवरण के 'धर्म संसद' में कहा गया। 'इसलामी भारत में सनातन का भविष्य: समस्या और समाधान' :यह हरिद्वार के उस जमावड़े का विषय था।  इसलामी भारत! भारत क्या इसलामी है या कभी था? भारत में हिंदू, मुसलमान, बौद्ध, जैन, सिख शासक अलग-अलग समय अलग-अलग इलाकों पर राज कर चुके हैं। 

क्या उन सबके नाम से उन इलाकों को और उनके समय को जैन, बौद्ध, हिंदू , सिख भारत कहा जा सकता है? 

फर्ज कीजिए कि मुग़लों के शासन को इसलामी कहने का रिवाज़ भारत में है, तो वह भी तो  बीत गया। फिर किस इसलामी भारत की समस्या पर धर्म गुरु चर्चा कर रहे थे? क्या वे हिंदुओं को डरा रहे थे कि भारत इसलामी होने जा रहा है, इसलिए उन्हें तैयारी करनी चाहिए, हथियार खरीदने चाहिए, अपने बच्चों को हथियार चलाने का प्रशिक्षण देना चाहिए ताकि मुसलमानों का क़त्ल किया जा सके?

Modi on sikh gurus and Haridwar dharm sansad hate speeches - Satya Hindi

मुसलमानों का क़त्ल ही भारत को इसलामी होने से बचा सकता है। यही सारे धर्म गुरु बतला रहे थे। दूसरी तरफ मोदी औरंगज़ेब, अहमद शाह अब्दाली, नादिर शाह, सैय्यद सालार मसूद के खतरे से हिंदुओं को आगाह कर रहे हैं। इनका नाम लेने के बाद वे यह कहते हैं कि यही खतरा भारत में आज मौजूद है। और वह करना है जो शिवाजी ने, सुहेल देव ने,  गुरु तेग बहादुर या बंदा बहादुर ने किया था। 

मोदी के बयान के मायने

प्रधानमंत्री जो कूट भाषा में बोल रहे हैं, धर्म गुरु उसे उनके अनुयायियों को सीधे-सीधे समझा रहे हैं। मोदी खतरे को प्रतीकों में पेश कर रहे हैं। वे प्रतीक हैं बाबर, औरंगजेब, मोहम्मद गौरी, अब्दाली, नादिर शाह। वे आखिर किनके प्रतीक हैं? और जिनके प्रतीक वे हैं, उनके साथ क्या वही नहीं किया जाना है जो गुरु तेग बहादुर, सुहेल देव ने किया? 

बाबर या औरंगज़ेब भले ही न हों उनकी औलादें हैं। उनसे वही खतरा है जो बाबर या औरंगज़ेब से था। भारत के लोग बाबर की औलाद का मतलब समझते हैं और औरंगज़ेब का भी। बाबरी मसजिद ध्वंस के आंदोलन के समय बाबर की औलादों से निबटने के नारे लगाए जा रहे थे, और वे जारी हैं। अपनी औलादों में ये 'हिंदू विरोधी' और इसीलिए भारत विरोधी ज़िंदा हैं। जब तक उनको खत्म नहीं किया जाता, बाबर और औरंगज़ेब का खतरा बना हुआ है। भारत के इसलामी होने का खतरा बना हुआ है। 
Modi on sikh gurus and Haridwar dharm sansad hate speeches - Satya Hindi

हमें यह समझ लेना चाहिए कि एक पूरा वाक्य है जिसका एक अंश मोदी बोलते है, आगे की खाली जगह आदित्यनाथ भरते हैं और उसे पूरा करने का काम यति नरसिंहानंद, प्रबोधानंद और शेष धर्म गुरुओं के लिए छोड़ा जाता है। यह पूरा वाक्य राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की विचारधारा की व्याख्या है। वह यह कि मुसलमान और ईसाई भारत की शुद्ध गंगा धारा में दूषित पदार्थ हैं और गंगा को साफ़ किया जाना है। उसकी धारा को अविरल, अविच्छिन्न और विशुद्ध रखना है। 

अब वह और साफ़ हो गया है। मुसलमान यह कहकर नहीं बच सकते कि वे बाबर की औलाद नहीं है। अगर वे बाबर, औरंगज़ेब की निंदा भी करें तो भी उनपर विश्वास नहीं किया जा सकता। 

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संघ और हिटलर 

जर्मनी का यहूदी सफाया अब इसलिए नहीं याद किया जाता कि इजरायल अब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का आदर्श है। जैसे वह यहूदियों का राष्ट्र है, वैसे ही भारत को सिर्फ हिंदू राष्ट्र बनाना है। इसलिए जिन यहूदियों के सफ़ाए के लिए संघ हिटलर पर मुग्ध था, आज उनके राष्ट्रवाद का वह पैरोकार है। 

वैसे इजरायल के लोग भी इस पर विचार नहीं करते कि अगर हिटलर और आरएसएस की मंशा पूरी हो जाती तो इजरायल आज नक़्शे में कहाँ होता?
अगर हम हरिद्वार से मुसलमानों के क़त्लेआम के ऐलान से क्षुब्ध हैं और चाहते हैं कि यह दुहराया न जाए तो बिना भारतीय जनता पार्टी को सत्ता से बेदखल किए और बिना आरएसएस के बहिष्कार के वह नहीं किया जा सकता। आप जब तक उस स्रोत को बंद नहीं करते जहाँ से यह ज़हर निकल रहा है, बार-बार पोंछा लगाकर उसका कीचड साफ़ नहीं कर सकते। 
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