शिक्षक दिवस गुजर चुका है। गुरु को ब्रह्मा, विष्णु, महेश की पदवी देते हुए, उनके प्रति श्रद्धा व्यक्त करते हुए विद्यार्थियों की शुभाकांक्षाएँ भी बासी पड़ गई हैं। वैसे भी व्हाट्सऐप के ज़माने में हर अध्यापक को एक ही बना बनाया संदेश भेज दिया जाता है। विद्यार्थी प्रत्येक अध्यापक के लिए अलग से ख़ुद कुछ लिखने की ज़हमत अक्सर नहीं उठाते।आपको भी मालूम है कि यह एक वार्षिक औपचारिकता है। सभ्यता यही है कि आप इस शिष्टाचार को समझते हुए इसका जवाब धन्यवाद लिख कर दें।
भारतीय शिक्षक की स्थितिः सड़ती लाश पर गुलाब जल का छिड़काव
- वक़्त-बेवक़्त
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- 8 Sep, 2025

भारत में शिक्षक, खासतौर पर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर तो दीन-हीन बनकर रह गए। यहां बात पैसे की नहीं हो रही है। यहां बात उनकी स्वायत्तता की हो रही है, उनकी आज़ादी की हो रही है। वो एक सड़ती लाश की तरह हो गए हैं, जिन पर गुलाब जल छिड़का जा रहा है।