पश्चिम बंगाल के चुनाव के एलान से पहले हैदराबाद के सांसद असदउद्दीन ओवैसी से उनकी चुनावी रणनीति के बारे में पूछा गया था तो उन्होंने मजरूह सुल्तानपुरी का शेर पढ़ा था - “मैं अकेला ही चला था जानिबे मंज़िल मगर, लोग साथ आते गए कारवां बनता गया।” लेकिन हुआ इसका उल्टा और चुनाव का एलान होते-होते ओवैसी कारवां तो क्या बनाते, ख़ुद ही अकेले पड़ गए।
पश्चिम बंगाल में ओवैसी को क्यों डालने पड़े हथियार?
- पश्चिम बंगाल
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- 20 Mar, 2021


कहने को तो एआईएमआईएम अभी भी 10 सीटों पर चुनाव लड़ने का दावा कर रही है लेकिन चुनाव में ओवैसी प्रचार करने जाएंगे या नहीं यह तय नहीं है।
शायद यही वजह है कि उन्हें चुनाव से पहले ही हथियार डालने पड़े। कहने को तो उनकी पार्टी अभी भी 10 सीटों पर चुनाव लड़ने का दावा कर रही है लेकिन चुनाव में ओवैसी प्रचार करने जाएंगे या नहीं यह तय नहीं है।


























