पश्चिम बंगाल में विशेष गहन संशोधन यानी एसआईआर के तहत 58.2 लाख से अधिक मतदाताओं के नाम हटाए जाने की तैयारी है। इतने मतदाताओं के फॉर्म अनकलक्टिबल बताए गए हैं। यह कुल मतदाता सूची का लगभग 7.6% है। इसके साथ ही 31.39 लाख से अधिक मतदाताओं को सुनवाई के लिए बुलाया जाएगा। यह चुनाव आयोग द्वारा जारी स्टेटस रिपोर्ट में ही कहा गया है। यह रिपोर्ट तब आई है जब 16 दिसंबर को एसआईआर की ड्राफ्ट मतदाता सूची प्रकाशित की जाएगी। इसके अलावा, राज्य में 13.74 लाख वोटर गैर-मौजूद, कहीं शिफ़्ट हुए, मृतक और डुप्लिकेट यानी एएसडी जैसी विसंगतियाँ चिह्नित की गई हैं।

पश्चिम बंगाल में कुल पंजीकृत मतदाताओं की संख्या 7.66 करोड़ है। इनमें से 'अनकलक्टिबल' श्रेणी में रखे गए 58 लाख से अधिक मतदाताओं में अनुपस्थित, स्थानांतरित, मृत और डुप्लिकेट मामले भी शामिल हैं। रिपोर्ट के अनुसार, कोलकाता उत्तर में सबसे अधिक 25.92% अनकलक्टिबल मामले दर्ज किए गए हैं, जबकि पूर्वी मेदिनीपुर में सबसे कम 3.31%। कोलकाता दक्षिण में यह आंकड़ा 23.82% है। ये दोनों क्षेत्र तृणमूल कांग्रेस के गढ़ माने जाते हैं, जिसमें मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की विधानसभा क्षेत्र भवानीपुर भी शामिल है।
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दूसरी ओर, बैंकुरा (4.38%), कूच बिहार (4.55%), मुर्शिदाबाद (4.84%) और नदिया (4.90%) जैसे जिलों में अनकलक्टिबल मामलों का प्रतिशत अपेक्षाकृत कम है। इनमें से तीन जिले बांग्लादेश से सटे सीमावर्ती क्षेत्र हैं।

गैर-मौजूद, कहीं शिफ़्ट हुए, मृतक और डुप्लिकेट जैसी विसंगतियों के मामले सीमावर्ती जिलों में सबसे अधिक संख्या दर्ज की गई है। उत्तर 24 परगना में 2,01,363, दक्षिण 24 परगना में 1,95,133 एएसडी मामले सामने आए हैं। इन दोनों जिलों में ज़्यादा घुसपैठ और प्रवासन के आरोप लगाए जाते हैं। अन्य सीमावर्ती जिलों में नदिया (93,274), मुर्शिदाबाद (85,286) और मालदा (57,460) शामिल हैं, जहां अल्पसंख्यक आबादी काफी है। तुलनात्मक रूप से कोलकाता उत्तर में केवल 16,088 और कोलकाता दक्षिण में 23,546 एएसडी मामले हैं।
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सुनवाई की प्रक्रिया एक महीने के अंदर पूरी की जाएगी। सभी विधानसभा क्षेत्रों में सहायक निर्वाचन पंजीयन अधिकारी और निर्वाचन पंजीयन अधिकारी द्वारा माइक्रो-ऑब्जर्वर्स की उपस्थिति में सुनवाई आयोजित की जाएगी।

ममता के बड़े आरोप

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एसआईआर को लेकर गंभीर आरोप लगाए हैं। वे इसे राजनीतिक साज़िश बताती हैं, जिसका उद्देश्य 2026 के विधानसभा चुनाव से पहले लाखों पात्र मतदाताओं के नाम हटाना है। ममता ने आरोप लगाया कि एसआईआर का इस्तेमाल बीजेपी और केंद्र सरकार कर रही है ताकि बंगालियों को निशाना बनाया जाए, खासकर अल्पसंख्यक, महिलाएं और मतुआ समुदाय के लोग। उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को खतरनाक कहा और दावा किया कि शाह सीधे 1.5 करोड़ नाम हटाने की कोशिशों को निर्देशित कर रहे हैं।

ममता बनर्जी वोटर लिस्ट विशेष निरीक्षण

कृष्णानगर की रैली में ममता ने महिलाओं से कहा था कि अगर उनके नाम काटे जाते हैं, तो किचन के औजारों के साथ तैयार रहें और आगे लड़ें, पुरुष पीछे से समर्थन करें। उन्होंने इसे महिलाओं के अधिकारों पर हमला बताया। ममता ने कहा कि अगर एक भी पात्र मतदाता का नाम हटाया गया, तो वे अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ जाएंगी। उन्होंने एसआईआर को वोटबंदी और एनआरसी का पीछे का दरवाजा बताया।

बिहार में 65 लाख नाम कटे थे

तुलना के लिए बिहार में जहाँ एसआईआर 24 जून से शुरू हुई थी, वहां कुल पंजीकृत मतदाताओं की संख्या 7.89 करोड़ से घटकर 7.42 करोड़ हो गई है। 1 अगस्त 2025 को प्रकाशित ड्राफ्ट रोल में 7.24 करोड़ नाम आए थे। यानी इस चरण में क़रीब 65 लाख नाम काटे गए। बाद में दावे-आपत्ति के बाद लगभग 3.66 लाख अयोग्य पाए जाने पर और नाम हटाए गए। इसके अलावा फाइनल सूची में लगभग 21.53 लाख नए मतदाता जोड़े गए।
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यह संशोधन प्रक्रिया मतदाता सूची को साफ-सुथरा बनाने के उद्देश्य से की जा रही है, जिसमें मृत, स्थानांतरित, अनुपस्थित और डुप्लिकेट प्रविष्टियों को हटाया जा रहा है। हालांकि, इस प्रक्रिया पर राजनीतिक विवाद भी चल रहा है, जहां विपक्षी दल इसे पक्षपातपूर्ण बता रहे हैं, जबकि चुनाव आयोग इसे पारदर्शी और आवश्यक कदम मानता है। ड्राफ्ट सूची प्रकाशन के बाद दावे-आपत्तियां दर्ज की जा सकेंगी और अंतिम सूची फरवरी 2026 में जारी होगी।

यह प्रक्रिया पश्चिम बंगाल में 2026 के विधानसभा चुनावों से पहले मतदाता सूची की शुद्धता सुनिश्चित करने के लिए अहम मानी जा रही है, लेकिन सीमावर्ती क्षेत्रों में विसंगतियाँ और शहरी क्षेत्रों में उच्च हटाव दर पर सवाल उठ रहे हैं।