बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के काफ़िले पर गुरूवार को हुए हमले के बाद बंगाल में सियासी माहौल गर्म है। बीजेपी ने हमले के बाद से ही सारे नेताओं की फौज़ को ममता सरकार पर हमला करने के लिए उतार दिया है। दूसरी ओर टीएमसी ने कहा है कि यह बीजेपी का षड्यंत्र भी हो सकता है और राज्य की पुलिस इस मामले की जांच कर रही है। 

नड्डा के काफ़िले पर हमले के बाद शुक्रवार को राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने प्रेस कॉन्फ्रेन्स कर अपनी बात रखी। धनखड़ ने कहा कि यह उनका दायित्व है कि वे संवैधानिक मूल्यों की रक्षा करें। राज्यपाल ने कहा कि ममता बनर्जी भी संवैधानिक बाध्यता के अधीन हैं और उन्हें संविधान के रास्ते पर चलना ही होगा। 
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धनखड़ ने कहा कि राज्य में क़ानून व्यवस्था की स्थिति बेहद ख़राब हो चुकी है और वे कई बार मुख्यमंत्री, प्रशासन और पुलिस के सामने इसे लेकर चिंता व्यक्त कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि कल जो कुछ हुआ, वो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण था और इसने दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र को शर्मसार किया है। 

राज्यपाल ने कहा, ‘लोकतंत्र में सभी को अपनी बात रखने का पूरा अधिकार है। कल जब पूरी दुनिया मानवाधिकार दिवस मना रही थी तब बंगाल में यह घटना हुई। मैंने मुख्यमंत्री के बयान का गंभीर संज्ञान लिया है। कोई जिम्मेदार मुख्यमंत्री ऐसा बयान कैसे दे सकता है।’ उन्होंने कहा कि ममता को अपना यह बयान वापस लेना चाहिए और उन्हें उम्मीद है कि वह ऐसा करेंगी। 
धनखड़ ने कहा कि उन्हें टीएमसी सांसद सौगुता राय के बयान से दुख पहुंचा है। ममता के द्वारा बीजेपी नेताओं को बाहरी बताए जाने पर धनखड़ ने कहा कि मुख्यमंत्री को इस तरह का बयान नहीं देना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘संविधान की आत्मा से हम कितना और भटकेंगे, कितना और इस पर कुठाराघात करेंगे। भारत में इस तरह की बात करना कि यहां का नागरिक कहां पर अंदर का है और कहां पर बाहरी है, ग़लत है।’ 

राज्यपाल ने कहा, ‘अगर आप संविधान के रास्ते से भटकती हैं तो मेरे दायित्व की शुरुआत होती है। मैं आपसे गुज़ारिश करता हूं कि भारत की महान प्रजातांत्रिक व्यवस्था पर संविधान के ख़िलाफ़ काम करके इस तरह का क़दम न उठाएं।’

राज्यपाल ने कहा, ‘नड्डा के काफिले पर हमले के बाद मैंने राज्य के डीजीपी और मुख्य सचिव से बात की।’ उन्होंने कहा कि बंगाल में भ्रष्टाचार का बोलबाला है और सरकारी तंत्र का राजनीतिकरण हो रहा है। 

मुख्य सचिव, डीजीपी तलब

केंद्रीय गृह मंत्रालय इस मामले में एक्शन में आ गया है। मंत्रालय ने शुक्रवार को राज्य के मुख्य सचिव और डीजीपी को तलब कर लिया है। दोनों को 14 दिसंबर को पेश होने को कहा गया है और इस मामले में रिपोर्ट मांगी गई है। 

क्या हुआ था?

गुरूवार को सिराखोल में टीएमसी कार्यकर्ता प्रदर्शन कर रहे थे। जैसे ही बीजेपी नेताओं का काफ़िला वहां से गुजरा, काफ़िले में शामिल गाड़ियों पर पत्थरों, ईंटों से हमला किया गया। हमले के दौरान प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष दिलीप घोष भी काफ़िले में थे। घोष ने कहा कि टीएमसी के कार्यकर्ता अपनी पार्टी के झंडे लिए हुए थे और उन्होंने लाठियों और पत्थरों से हमला कर दिया। उन्होंने कहा कि इस दौरान कई जगहों पर पुलिस ग़ायब रही और कुछ जगहों पर मूकदर्शक बनी खड़ी रही। काफ़िले में शामिल कई गाड़ियों को नुक़सान पहुंचा था। 

बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुकुल रॉय ने कहा है कि पश्चिम बंगाल में जंगल राज चल रहा है।

बीजेपी हमलावर

नड्डा पर हमले के बाद बीजेपी मैदान में उतर आई है और उसके कई नेताओं ने ममता सरकार पर हमला बोला। गृह मंत्री अमित शाह ने ट्वीट कर कहा कि तृणमूल शासन में बंगाल अत्याचार, अराजकता और अंधकार के युग में जा चुका है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार इस हमले को पूरी गंभीरता से ले रही है और बंगाल सरकार को इस प्रायोजित हिंसा के लिए प्रदेश की शांतिप्रिय जनता को जवाब देना होगा।

प्रेस कॉन्फ्रेन्स में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र तोमर ने कहा कि जेपी नड्डा को जो सुरक्षा मिलनी चाहिए थी, वह नहीं मिली और उसके बाद उनके काफ़िले पर हमला हुआ। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि काफ़िले पर बड़े-बड़े पत्थरों से हमला किया गया। उन्होंने कहा कि बंगाल में लोकतंत्र की हत्या हुई है और पार्टी इस हमले की कड़ी निंदा करती है। 
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हालात संभालना बड़ी चुनौती

बंगाल बीजेपी के निशाने पर है और पार्टी वहां किसी भी तरह अपना परचम लहराना चाहती है। बंगाल में सरकार बनाने के लिए आरएसएस भी लगातार सक्रिय है। हाल ही में बीजेपी ने कई नेताओं को वहां प्रभारी बनाकर भेजा है। राज्य में बीजेपी और तृणमूल के कार्यकर्ताओं के बीच खूनी झड़पें होना आम बात है, जिसमें दोनों ओर के कार्यकर्ताओं को अपनी जान गंवानी पड़ी है। विधानसभा से लेकर पंचायत और लोकसभा चुनाव तक दोनों दलों के कार्यकर्ता बुरी तरह भिड़ते रहे हैं। ऐसे में विधानसभा चुनाव आने तक हालात को संभालना बहुत बड़ी चुनौती होगी।