साहित्य अकादमी द्वारा एक बंगाली कवि का कार्यक्रम उनकी कविता पर विवाद के बीच रद्द कर दिया गया है। क्या यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला है या संस्थागत दबाव का नतीजा?
बंगाली कवि श्रीजातो बंद्योपाध्याय
साहित्य अकादमी के कोलकाता स्थित क्षेत्रीय कार्यालय ने बंगाली कवि श्रीजातो बंद्योपाध्याय को लेकर आयोजित एक कार्यक्रम को रद्द कर दिया है। यह फ़ैसला कवि की एक कविता पर सोशल मीडिया पर उठे विवाद के बीच लिया गया। अकादमी ने 24 अक्टूबर को एक्स पर एक संदेश पोस्ट कर कार्यक्रम रद्द करने की जानकारी दी। इसमें कार्यक्रम को रद्द करने का कारण 'टाली नहीं जा सकने वाली परिस्थितियों' को बताया गया है। अब इसको लेकर सवाल उठाया जा रहा है कि क्या यह अभिव्यक्ति की आज़ादी पर हमला नहीं है?
बंद्योपाध्याय से जुड़ा यह कार्यक्रम अकादमी की 'अभिव्यक्ति' श्रृंखला का हिस्सा था, जो 25 अक्टूबर को दोपहर 2:30 बजे क्षेत्रीय कार्यालय में आयोजित होने वाला था। यह आयोजन मात्र एक दिन पहले रद्द कर दिया गया। अकादमी के मैसेज में कहा गया, 'टाली नहीं जा सकने वाली कुछ परिस्थितियों के कारण 25 अक्टूबर को दोपहर 2:30 बजे साहित्य अकादमी के क्षेत्रीय कार्यालय, कोलकाता में आयोजित होने वाला अभिव्यक्ति कार्यक्रम रद्द किया जाता है।'
यह विवाद श्रीजातो बंद्योपाध्याय की कविता 'अभिशाप' की एक पंक्ति से उपजा, जिसे लोगों ने 'धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने वाला' बताया। कविता पर बहस तब तेज हो गई जब अकादमी ने कवि को वक्ता के रूप में घोषित किया। सोशल मीडिया पर कई यूजरों ने संस्था पर असंवेदनशीलता का आरोप लगाया और कहा कि विवाद के बीच ऐसे कार्यक्रम का आयोजन सही नहीं है।
श्रीजातो बंद्योपाध्याय एक प्रसिद्ध और मुखर कवि हैं। उनकी रचनाएँ अक्सर राजनीतिक और धार्मिक विषयों से जुड़ी होती हैं। वे पहले भी विवादों में घिर चुके हैं। साल 2017 में सिलिगुड़ी में उनके ख़िलाफ़ एक एफ़आईआर दर्ज की गई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि कवि ने जानबूझकर हिंदू भावनाओं को आहत किया।
2017 में उनके ख़िलाफ़ की गई शिकायत और मौजूदा ऑनलाइन प्रतिक्रियाएँ ही अकादमी के इस आखिरी समय में कार्यक्रम रद्द करने के फ़ैसले का मुख्य कारण लगती हैं।
अकादमी ने 25 अक्टूबर को अपने अन्य निर्धारित कार्यक्रमों को जारी रखा, जिनमें विभिन्न भाषाओं में अनुवाद कार्य के लिए पुरस्कार वितरण शामिल थे। हालाँकि, इन आयोजनों में श्रीजातो बंद्योपाध्याय की कोई भूमिका नहीं थी। क्षेत्रीय कार्यालय ने कार्यक्रम रद्द किए जाने की घोषणा के समय 'अनिवार्य परिस्थितियों' के बारे में कोई अतिरिक्त जानकारी नहीं दी।
यह घटना साहित्य जगत में स्वतंत्र अभिव्यक्ति और धार्मिक संवेदनशीलता के बीच संतुलन की बहस को फिर से उजागर करती है। अकादमी भारत की राष्ट्रीय साहित्य संस्था है। यह अक्सर विवादास्पद रचनाकारों को मंच प्रदान करने के लिए आलोचना का सामना करती रही है। श्रीजातो के समर्थक इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला बता रहे हैं, जबकि आलोचक संस्था की सावधानी की सराहना कर रहे हैं।
फिलहाल, अकादमी की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है कि क्या यह कार्यक्रम भविष्य में पुनर्निर्धारित किया जाएगा या नहीं। सोशल मीडिया पर बहस जारी है, जहां कुछ यूजर कविता की पंक्ति को उद्धृत कर रहे हैं और अन्य इसे संदर्भ से बाहर बता रहे हैं।