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टिकट बँटवारे पर पश्चिम बंगाल बीजेपी में जूतम-पैजार

पश्चिम बंगाल बीजेपी में विधानसभा चुनावों के लिए टिकट बँटवारे पर जूतम-पैजार मची हुई है। कोलकाता स्थित पार्टी दफ़्तर पर पार्टी के ही सदस्यों ने धावा बोल दिया, नारेबाजी की, तोड़फोड़ की और बड़ा बवाल मचाया। टिकट बँटवारे से नाराज़ इन लोगों को गुस्सा इस बात पर है कि तृणमूल छोड़ कर हाल-फ़िलहाल पार्टी में शामिल होने वालों को तरजीह दी गई है जबकि लंबे समय से पार्टी के लिए काम कर रहे लोगों की उपेक्षा की गई है।

सोमवार को कोलकाता के हेस्टिेंग्स स्थित पार्टी दफ़्तर पर अचानक सैकड़ों लोग पहुँच गए जो पार्टी के ही कार्यकर्ता थे और पास के ही हावड़ा, हुगली और बर्द्धवान ज़िलों से आए हुए थे। इन लोगों ने नारेबाजी की, हुड़दंग मचाया, तोड़फोड़ की, बैरीकेड तोड़ कर अंदर घुस गए। इन लोगों ने मुकुल राय और अर्जुन सिंह जैसे वरिष्ठ नेताओं पर अपने गुस्से का इज़हार किया। मजे की बात यह है कि मुकुल राय और अर्जुन सिंह भी तृणमूल कांग्रेस से ही बीजेपी में आए हैं।

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हुगली में बवाल

हुगली ज़िले के सिंगुर में बीजेपी कार्यकर्ताओं ने बवाल इसलिए मचाया कि तृणमूल कांग्रेस के विधायक रबींद्रनाथ भट्टाचार्य को बीजेपी में शामिल कराया गया और उन्हें वहाँ से टिकट दे दिया गया। भट्टाचार्य 88 साल के हैं, चार बार विधायक रह चुके हैं, लेकिन इस बार टीएमसी ने उन्हें अधिक उम्र का होने के आधार पर टिकट नहीं दिया।

भट्टाचार्य ने सवाल किया कि वे 80 के पार तो पिछली बार भी थे, उन्हें उस बार टीएमसी ने टिकट कैसे दिया था। लेकिन उनकी जीत की संभावना कम होने का कारण इस बार तृणमूल कांग्रेस ने उन्हें टिकट नहीं दिया। इससे नाराज़ भट्टाचार्य ने पार्टी छोड़ दी और बीजेपी का दामन थाम लिया। बीजेपी ने उन्हें हाथोंहाथ लिया और टिकट दे दिया।

west bengal bjp squabbles before west bengal assembly election 2021 - Satya Hindi
टीएमसी से बीजेपी में शामिल हुई सोनाली गुहा व दूसरे लोग

उत्तर चौबीस परगना

बात इतनी ही नहीं है। उत्तर चौबीस परगना ज़िले के हाबरा में बीजेपी मंडल प्रधान भास्कर कुमार दास के घर पर किसी ने बम फेंका। बीजेपी ने तृणमूल कांग्रेस के स्थानीय नेताओं को इसके लिए ज़िम्मेदार ठहराया है। पर हाबरा टीएमसी के नेताओं का कहना है कि बीजेपी के विरोधी धड़े के नेता से जुड़े कार्यकर्ताओं ने भास्कर दास के घर पर बम फेंका क्योंकि वे टिकट बँटवारे से नाराज़ है।

शोभन को 'ना', पायल को 'हाँ'

इसके पहले शोभन चट्टोपाध्याय और उनकी राजनीतिक सहयोगी वैशाली भट्टाचार्य ने बीजेपी से इस्तीफ़ा दे दिया। पश्चिम बंगाल बीजेपी ने इन दोनों को टिकट देने से इनकार कर दिया है। शोभन चट्टोपाध्याय तृणमूल कांग्रेस में थे और कोलकाता निगर निगम के मेयर रह चुके हैं। वे राज्य के वरिष्ठ राजनेता हैं। वे पहले कांग्रेस और उसके बाद टीएमसी उम्मीदवार के रूप में कोलकाता स्थित बेहाला पूर्व से कई बार विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं। बीजेपी ने अभिनेत्री पायल सरकार को ऐन वक़्त पर बेहाला पूर्व से उम्मीदवार घोषित कर दिया। पायल सरकार कुछ दिन पहले ही बीजेपी में शामिल हुई थीं।

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पायल सरकार, बांग्ला फ़िल्मो की अभिनेत्री, अब बीजेपी में
इसके पहले रविवार को पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2021 के लिए बीजेपी ने तीसरे और चौथे चरण के मतदान के लिए उम्मीदवारों की जो सूची जारी की, उसमें कई बाहरी लोगों को टिकट दिया गया था।
मंत्री बाबुल सुप्रियो को कोलकाता के टालीगंज, हुगली से सांसद लॉकेट चटर्जी को चुंचुंड़ा और पत्रकार व राज्यसभा सदस्य रह चुके स्वपन दासगुप्त को तारकेश्वर से विधानसभा टिकट दे दिया गया।

उत्तर बंगाल में भी 

इसी तरह केंद्र सरकार में आर्थिक सलाहकार रह चुके अर्थशास्त्री अशोक लाहिड़ी को भी विधानसभा चुनाव में मैदान में उतारा गया, उन्हें अलीपुर दुआर से टिकट दिया गया।

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2021 के ठीक पहले पार्टी के लोगों की नाराज़गी इस बात पर है कि इन लोगों को टिकट दिए जाने से स्थानीय नेताओं को मौका नही मिलेगा। उन्हें गुस्सा इस बात पर है कि उन्होंने पार्टी का झंडा ढोया है और चुनाव में फ़ायदा किसी और को मिल रहा है।

गोरखा जनमुक्ति मोर्चा छोड़ कर बीजेपी में शामिल हुए विशाल लामा को कालचीनी से बीजेपी उम्मीदवार बना दिया गया।

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तनुश्री चक्रवर्ती, बांग्ला फ़िल्मों की अभिनेत्री

हाल फ़िलहाल पार्टी में शामिल हुई बांग्ला फ़िल्मों की अभिनेत्री तनुश्री चक्रवर्ती को श्यामपुर से टिकट दिया गया। इसी तरह टीएमसी छोड़ कर बीजेपी में शामिल हुए मोहित लाल घटी को हावड़ा ज़िले के पाँचला से टिकट दिया गया। वहां बीजेपी कार्यकर्ताओं ने दफ़्तर में घुस कर तोड़फोड़ की।

पश्चिम बंगाल बीजेपी का कहना है कि जिसके जीतने की संभावना ज़्यादा है, उसे टिकट दिया जा रहा है। कार्यकर्ताओं का कहना है कि जिन लोगों ने बीजेपी के लिए ज़मीनी स्तर पर काम किया है, उनकी उपेक्षा की जा रही है और 'बहिरागत' यानी बाहर के लोगों को तरजीह दी जा रही है। 

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क़मर वहीद नक़वी
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