तालिबान ने पहले जिस मुल्ला हिबतुल्लाह अखुंदज़ादा को देश का सर्वेसर्वा और सरकार से भी ऊपर होने की बात कही थी, वे अफ़ग़ानिस्तान की अंतरिम सरकार में कहीं नहीं हैं।
पहले तय था कि वे सरकार के प्रमुख होंगे और उनके नीचे मुल्ला अब्दुल ग़नी बरादर, मुल्ला मुहम्मद याक़ूब और सिराजुद्दीन हक्क़ानी होंगे।
जिस अंतरिम सरकार का एलान हुआ है, उसमें सरकार के प्रमुख मुल्ला मुहम्मद हसन अखुंद हैं और उनके नीचे वे तीन लोग हैं, जिनके वहाँ होने की बात पहले कही गई थी।
तो फिर कहाँ हैं हिबतुल्लाह अखुंदज़ादा और क्या कर रहे हैं?
मंगलवार को सरकार का एलान होने के बाद तालिबान ने एक बयान जारी किया, जिसमें अखुंदज़ादा के नाम से कहा गया है कि सरकार शरीआ के मुताबिक़ चलेगी। लेकिन खुद अखुंदज़ादा कहीं नहीं दिखे।
आईएसआई की चाल
इसकी मुख्य वजह यह है कि वह व्यक्ति पाकिस्तान के बिछाए शतरंज की बिसात पर मात खा चुका है। पाक खुफ़िया एजेन्सी आईएसआई ने उसकी चालें चलीं और रानी यानी अमेरिका को हटा कर अब उसे प्यादे की तरह किनारे कर चुका है।
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मोमिनों के कमान्डर!
अफ़ग़ान समाचार टीवी चैनल 'टोलो न्यूज़' ने पिछले हफ़्ते 'न्यूयॉर्क टाइम्स' से कहा था, "यह इसलामी सरकार जनता के लिए एक मॉडल होगी। इसमें कोई संदेह नहीं कि मोमिनों के कमान्डर (अख़ुंदज़ादा) सरकार में होंगे। वे सरकार के नेता होंगे और इस पर तो कोई सवाल ही नहीं है।"
तालिबान के सांस्कृतिक आयोग के प्रमुख बिलाल करीमी ने 'ब्लूमबर्ग' से कहा था कि 'हिबतुल्लाह अखुंदज़ादा कांधार में हैं और सभी गुटों के लोगों से विचार विमर्श कर रहे हैं।'
लेकिन सभी गुटों से बात करने का काम सार्वजनिक रूप से तो खलील हक्क़ानी कर रहे थे।
तालिबान प्रमुख
हिबतुल्लाह अखुंदज़ादा पहले लड़ाके ही थे। साल 2016 में जब अफ़ग़ानिस्तान-पाकिस्तान सीमा पर एक ड्रोन हमले में तत्कालीन तालिबान प्रमुख अख़्तूर मंसूर मारे गए तो अखुंदज़ादा को प्रमुख बना दिया गया।
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धार्मिक मामलों के प्रमुख
हालांकि तालिबान में वे धार्मिक मामलों को ही मुख्य रूप से देखते रहे, लेकिन जब तालिबान ने फ़राह प्रांत पर नियंत्रण कर लिया तो उन्हें क़ानून व्यवस्था की ज़िम्मेदारी दी गई।
बाद में उन्हें कांधार की अदालत में भेज दिया गया और वहाँ से उनका तबादला ननगरहर कर दिया गया। वहाँ वे मिलिटरी कोर्ट के प्रमुख बना दिए गए।
लेकिन कुल मिला कर अखुंदज़ादा बहुत चर्चित लड़ाके नहीं रहे।
तालिबान ने पहले कहा था कि अफ़ग़ानिस्तान की सरकार के प्रमुख अखुंदज़ादा होंगे, वे धार्मिक मामलों के प्रमुख होंगे। उनके तीन सहयोगी होंगे-मुल्ला बरादर, मुल्ला याकूब उमर और सिराजुद्दीन हक्क़ानी।
लेकिन उसके बाद से ही वे रहस्यमय ढंग से गायब हैं।
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