अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी काबुल पर क़ब्ज़े के तीन-चार दिन में ही यह साफ हो गया कि तालिबान ने नियंत्रण के समय जो संयम दिखाया था और उदारता के साथ सरकार चलाने की बात कही थी, वह दिखावा था। ज़मीनी स्तर पर उसके लड़ाके प्रवक्ताओं के एलान और दावे के ठीक उलट काम कर रहे हैं।
तालिबान बेनकाब, आम माफ़ी के बावजूद बदले की कार्रवाई, निशाने पर हज़ारा
- दुनिया
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- 21 Aug, 2021
तालिबान भले ही एक उदारवादी चेहरा पेश करने की कोशिश कर रहा है, उसके लड़ाकों ने अल्पसंख्यक शिया हज़ारा और अफ़ग़ान सेना के लोगों को निशाना बनाना शुरू कर दिया है।

तालिबान ने काबुल पर क़ब्ज़ा करने के बाद आम माफ़ी का एलान किया था और कहा था कि बदले की कार्रवाई नहीं की जाएगी और सरकारी कर्मचारी अपने काम पर लौट आएं।
तालिबान ने इसी तरह कहा था कि शरीआ के तहत महिलाओं को पढ़ने-लिखने, नौकरी करने की छूट होगी, प्रेस आज़ाद होगा।
पर हफ्ता पूरा होने के पहले ही यह साफ हो गया कि सिर्फ उदारवादी छवि बनाने की चालाक कोशिश थी, एक तरह का पीआर एक्सरसाइज़ था।