पाकिस्तान के अशांत बलूचिस्तान प्रांत की राजधानी क्वेटा में मंगलवार को एक भयानक कार बम विस्फोट ने पूरे इलाके को हिला दिया। फ्रंटियर कॉर्प्स के मुख्यालय के बाहर हुए इस हमले में कम से कम 10 लोग मारे गए। इनमें दो सुरक्षा कर्मी और बाकी नागरिक शामिल हैं। 30 से अधिक लोग घायल हो गए, जिनमें से कई की हालत गंभीर बताई जा रही है। विस्फोट के बाद गोलीबारी भी हुई, जिसमें हमलावरों को मार गिराया गया। यह हमला बलूचिस्तान में जारी अलगाववादी हिंसा की एक और कड़ी है, जहां सुरक्षा बलों पर बार-बार निशाना साधा जा रहा है। पाकिस्तान के राष्ट्रपति ने यह कहते हुए भारत का नाम घसीटने की कोशिश की कि 'ये गुमराह चरमपंथी भारत के एजेंडे पर काम कर रहे थे।'

घटना मंगलवार दोपहर को क्वेटा के जरगून रोड पर फ्रंटियर कॉर्प्स के मुख्यालय के बाहर घटी। पुलिस के अनुसार, एक कार में भारी मात्रा में विस्फोटक लादकर हमलावरों ने सीधे मुख्यालय पर हमला बोला। विस्फोट इतना जोरदार था कि मीलों दूर तक उसकी गूंज सुनाई दी। विस्फोट के तुरंत बाद चार हमलावर कार से उतरे और सुरक्षा बलों पर गोलियां चलाने लगे। जवाबी कार्रवाई में सुरक्षा बलों ने सभी हमलावरों को मार गिराया।
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प्रांतीय स्वास्थ्य मंत्री बख्त मुहम्मद काकर ने अल जजीरा को बताया, 'दो कानून प्रवर्तन अधिकारी मारे गए, जबकि बाकी मारे गए लोग नागरिक थे। घायलों की संख्या 30 से अधिक है और मौत का आंकड़ा बढ़ सकता है।' बचाव कार्य तेजी से चल रहा है और घायलों को क्वेटा के विभिन्न अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। अस्पतालों में आपातकाल घोषित कर दिया गया है, जहां डॉक्टरों की टीम घायलों का इलाज कर रही है।

सुरक्षा बलों ने पूरे इलाके को घेर लिया है और जांच शुरू कर दी है। विस्फोट स्थल पर कई वाहन क्षतिग्रस्त हो गए, और आसपास की दुकानें व इमारतें बुरी तरह प्रभावित हुईं। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में धुंध का गुबार और क्षतिग्रस्त वाहनों की तस्वीरें दिखाई दे रही हैं।

अलगाववादी समूहों पर शक

अभी तक किसी संगठन ने हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है, लेकिन अधिकारियों का शक बलूचिस्तान के अलगाववादी गुटों पर है। इनमें सबसे प्रमुख बलूच लिबरेशन आर्मी यानी बीएलए है, जो प्रांत की आजादी की मांग कर रहा है। बीएलए अक्सर सुरक्षा बलों के ठिकानों पर हमले करता रहता है। अफगानिस्तान और ईरान की सीमा से लगा हुआ बलूचिस्तान पाकिस्तान का सबसे बड़ा और सबसे गरीब प्रांत है। यहां प्राकृतिक संसाधनों की भरमार है, लेकिन स्थानीय लोग विकास नहीं होने और मानवाधिकार उल्लंघनों की शिकायत करते हैं।
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पाक राष्ट्रपति ने भारत का नाम लिया

पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने हमले की कड़ी निंदा की और कहा, 'ये गुमराह चरमपंथी भारत के एजेंडे पर काम कर रहे थे।' उन्होंने कहा कि यह एक आत्मघाती हमला था। डॉन की रिपोर्ट के अनुसार राष्ट्रपति सचिवालय के एक बयान में कहा गया, 'राष्ट्रपति ने क्वेटा में फितना-अल-खवारिज द्वारा किए गए आत्मघाती हमले की कड़ी निंदा की है। फितना-अल-खवारिज भारत के एजेंडे पर काम करने वाले गुमराह चरमपंथी हैं।' बता दें कि फितना-अल-खवारिज एक ऐसा शब्द है जिसका इस्तेमाल सरकार प्रतिबंधित तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान यानी टीटीपी के आतंकवादियों के लिए करती है।

राष्ट्रपति सचिवालय के एक बयान में कहा गया, 'राष्ट्रपति ने कहा कि फितना-अल-खवारिज और भारत के हितों के लिए काम करने वाले तत्व पाकिस्तान की शांति और स्थिरता को नुकसान नहीं पहुंचा सकते। उन्होंने समय पर और प्रभावी कार्रवाई के लिए सुरक्षा बलों की सराहना की, जिससे आतंकवादियों की नापाक चाल नाकाम हो गई।' भारत ने अभी तक इस आरोप पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। 
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बलूचिस्तान का हिंसक इतिहास

यह हमला बलूचिस्तान में हाल की घटनाओं की कड़ी में जुड़ गया है। सितंबर के शुरुआती हफ्तों में क्वेटा के एक स्टेडियम के बाहर एक राजनीतिक रैली के बाद हुए सुसाइड बम विस्फोट में 13 लोग मारे गए थे और 30 घायल हुए थे। नवंबर 2024 में क्वेटा के रेलवे स्टेशन पर एक सुसाइड बम हमले में 20 से अधिक लोग मारे गए थे। बलूचिस्तान में इस्लामिक स्टेट यानी आईएस और अलगाववादी समूहों के हमले आम हैं, जो नागरिकों और सुरक्षा बलों दोनों को निशाना बनाते हैं।

पाकिस्तान सरकार ने बलूचिस्तान में सुरक्षा बढ़ाने के लिए विशेष अभियान चलाए हैं, लेकिन हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही। जानकारों का कहना है कि आर्थिक असमानता और राजनीतिक अलगाव ही इन हमलों की जड़ है। संयुक्त राष्ट्र और मानवाधिकार संगठनों ने पाकिस्तान से बलूचिस्तान में मानवाधिकारों की रक्षा करने की अपील की है।

शांति की राह मुश्किल

यह हमला पाकिस्तान की आंतरिक सुरक्षा के लिए एक बड़ा झटका है। सरकार ने वादा किया है कि हमलावरों के पीछे के नेटवर्क को नेस्तनाबूद किया जाएगा। लेकिन जानकारों का मानना है कि बिना राजनीतिक समाधान के हिंसा रुकेगी नहीं। बलूचिस्तान में विकास परियोजनाओं को तेज करने और स्थानीय लोगों की भागीदारी बढ़ाने की मांग तेज हो गई है।