हमास और इज़रायल के बीच अमेरिका समर्थित युद्ध विराम समझौता शुक्रवार 18 अप्रैल को तब टूट गया जब इज़राइल ने चालाकी दिखाई। हमास ने इज़रायल से युद्ध समाप्त करने की गारंटी मांगी थी। इज़रायल ने ऐसी गारंटी देने में बहाने बनाए। इज़रायल के वित्त मंत्री स्मोट्रिच और राष्ट्रीय सुरक्षा मंत्री बेन-ग्वीर सहित इजरायली अधिकारियों ने युद्ध को बढ़ाने और ग़ज़ा के लिए ट्रम्प की योजना को आगे बढ़ाने की तीखी धमकियां दीं। अमेरिका ने जोर देकर कहा कि बंधकों की रिहाई पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता है, जबकि हमास स्थायी युद्ध विराम की मांग कर रहा है।

ताजा घटनाक्रम ने क्षेत्र में तनाव को और बढ़ा दिया है, क्योंकि दोनों पक्षों के बीच बातचीत एक बार फिर गतिरोध का शिकार हो गई है। हमास ने कहा है कि वह एक ऐसे समझौते के लिए तैयार है जो सभी बंधकों की रिहाई और युद्ध को स्थायी रूप से समाप्त करने की गारंटी दे।

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इज़रायल ने हाल ही में मिस्र और कतर के मध्यस्थों के माध्यम से हमास को एक नया युद्धविराम प्रस्ताव भेजा था। इस प्रस्ताव में 45 दिनों के अस्थायी युद्धविराम के बदले 10 जीवित बंधकों की रिहाई की मांग की गई थी। इसके अतिरिक्त, इज़रायल ने ग़ज़ा में हमास और अन्य आतंकवादी समूहों के पूर्ण निरस्त्रीकरण की शर्त रखी थी, जिसे हमास ने अपनी "रेड लाइन" करार देते हुए अस्वीकार कर दिया।

हमास के मुख्य वार्ताकार खलिल अल-हय्या ने एक वीडियो बयान में कहा, "हम आंशिक समझौतों को स्वीकार नहीं करेंगे जो (इज़रायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन) नेतन्याहू के राजनीतिक एजेंडे को पूरा करते हों।" उन्होंने जोर देकर कहा—"हम तत्काल एक ऐसे समझौते के लिए बातचीत करने को तैयार हैं जिसमें सभी बंधकों की अदला-बदली इज़रायल में बंद पड़े फिलिस्तीनी कैदियों के साथ हो और युद्ध को पूरी तरह समाप्त किया जाए।"

इज़रायल ने 18 मार्च को ग़ज़ा पर अपने सैन्य अभियान को फिर से शुरू किया था, जिसके बाद से क्षेत्र में मानवीय संकट गहरा गया है। संयुक्त राष्ट्र के मानवीय मामलों के समन्वय कार्यालय (UN OCHA) के अनुसार, पिछले एक महीने में 500,000 से अधिक फिलिस्तीनी विस्थापित हुए हैं। ग़ज़ा के फिलिस्तीनी स्वास्थ्य मंत्रालय ने दावा किया है कि इस अवधि में इज़रायल के हमलों में लगभग 1,700 लोग मारे गए हैं, जिनमें ज्यादातर महिलाएं और बच्चे शामिल हैं।

इज़रायल ने ग़ज़ा पर मानवीय सहायता की आपूर्ति को भी रोक दिया है, जिसके कारण भोजन, पानी, ईंधन और दवाओं की भारी कमी हो गई है। हमास ने इस नाकेबंदी को "नरसंहार" करार दिया है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से हस्तक्षेप की मांग की है।

इज़रायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा है कि उनका देश हमास के पूर्ण निरस्त्रीकरण और उसके शासन को समाप्त करने के अपने लक्ष्य पर कायम है। उन्होंने हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के साथ मुलाकात की थी, जहां ग़ज़ा में सैन्य दबाव बढ़ाने की रणनीति पर चर्चा हुई। इज़रायल का दावा है कि यह नाकेबंदी और सैन्य कार्रवाई हमास को युद्धविराम के लिए मजबूर करने का एक तरीका है।

इज़रायल के नवीनतम प्रस्ताव में यह भी शामिल था कि हमास को शेष जीवित बंधकों के बारे में जानकारी देनी होगी, जिसके बदले इज़रायल फिलिस्तीनी कैदियों के बारे में जानकारी साझा करेगा। इसके अलावा, 16 मृत इज़रायली बंधकों के शवों के बदले इज़रायल द्वारा हिरासत में लिए गए 160 मृत फिलिस्तीनियों के शवों की अदला-बदली का प्रस्ताव था।

हमास ने स्पष्ट किया है कि वह किसी भी ऐसे समझौते को स्वीकार नहीं करेगा जिसमें युद्ध को स्थायी रूप से समाप्त करने और ग़ज़ा से इज़रायली सेना की पूर्ण वापसी की गारंटी न हो। संगठन ने पहले भी जनवरी 2025 में हुए तीन-चरणीय युद्धविराम समझौते की ओर लौटने की मांग की थी, जिसके तहत सभी बंधकों को एकसाथ रिहा करने की पेशकश की गई थी। हालांकि, इज़रायल ने इस समझौते के दूसरे चरण को लागू करने से इनकार कर दिया, जिसके बाद 18 मार्च को सैन्य अभियान फिर से शुरू हो गया।

संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने ग़ज़ा में मानवीय संकट पर चिंता जताई है। यूएन आपातकालीन राहत समन्वयक टॉम फ्लेचर ने कहा कि युद्धविराम के दौरान मिली "थोड़ी-सी राहत" अब नष्ट हो चुकी है। मिस्र ने हमास को एक संशोधित युद्धविराम प्रस्ताव पेश किया है, जिस पर विचार चल रहा है, लेकिन फिलहाल कोई सफलता की उम्मीद नहीं दिख रही।

हमास के पास 59 बंधक हैं, जिनमें से 24 के जीवित होने की संभावना है। इनमें अमेरिकी-इज़रायली सैनिक एडन अलेक्जेंडर भी शामिल हैं, जिनकी रिहाई को अमेरिका ने अपनी प्राथमिकता बताया है। अमेरिकी दूत स्टीव विटकॉफ ने कहा कि बंधकों की रिहाई के लिए बातचीत जारी है, लेकिन हमास के ताज़ा फैसले ने प्रक्रिया को और जटिल बना दिया है।

विश्लेषकों का मानना है कि दोनों पक्षों के बीच गहरे मतभेदों के कारण निकट भविष्य में युद्धविराम की संभावना कम है। इज़रायल की सैन्य रणनीति और हमास की अडिग मांगें बातचीत को और मुश्किल बना रही हैं। इस बीच, गाजा में आम नागरिकों की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है।

अंतरराष्ट्रीय समुदाय से बार-बार शांति की अपील की जा रही है। इज़रायल और अमेरिका के अड़ियल रवैए ने मामले को उलझा दिया है। लेकिन दुनिया ने देख लिया कि किस रास्ते पर कौन है।