क्या अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का भारत पर लगाया गया टैरिफ़ अब उल्टा पड़ने लगा है? ये सवाल इसलिए कि ट्रंप द्वारा भारत पर लगाए गए भारी-भरकम टैरिफ के बीच अब रिपोर्टें हैं कि रूस ने भारत को यूराल क्रूड तेल पर प्रति बैरल 3-4 डॉलर की छूट की पेशकश की है। यह पहले 2.5 डॉलर और जुलाई में मात्र 1 डॉलर थी। इसके साथ ही दोनों देशों के बीच एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम की अतिरिक्त आपूर्ति को लेकर भी बातचीत तेज हो गई है। यह घटनाक्रम उस समय सामने आया है जब ट्रंप ने भारत के रूस से बढ़ते तेल व्यापार और सैन्य सहयोग को लेकर 50% टैरिफ लगाया है।

ट्रंप ने भारत पर दो चरणों में टैरिफ़ लगाए हैं। पहले चरण में जुलाई 2025 में 25% टैरिफ़ लागू किया गया था, क्योंकि भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौता समय पर पूरा नहीं हो सका। इसके बाद 27 अगस्त से अतिरिक्त 25% टैरिफ लगाया गया, जिसे ट्रंप प्रशासन ने रूस से भारत के तेल और सैन्य उपकरणों की खरीद के जवाब में दंडात्मक कार्रवाई बताया। ट्रंप का तर्क है कि भारत का रूस से तेल आयात यूक्रेन युद्ध को वित्तपोषण दे रहा है, जिसे भारत ने सिरे से खारिज किया है।
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भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने इस मुद्दे पर स्पष्ट रुख अपनाते हुए कहा, 'भारत की ऊर्जा नीति राष्ट्रीय हितों पर आधारित है। हम किसी दबाव में अपनी नीतियों से समझौता नहीं करेंगे'। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि जब चीन जैसे बड़े रूसी तेल खरीदारों पर कोई टैरिफ नहीं लगाया गया तो भारत को क्यों निशाना बनाया जा रहा है।

रूस की तेल पर छूट

रूस ने भारत को यूराल क्रूड तेल पर बढ़ी हुई छूट की पेशकश की है, जो सितंबर के अंत और अक्टूबर में लोड होने वाले कार्गो के लिए लागू होगी। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, सितंबर 2025 में भारत ने रूस से तेल आयात में 10-20% की वृद्धि दर्ज की, जो अगस्त की तुलना में 1.5 लाख से 3 लाख बैरल अतिरिक्त है। यह छूट भारत की रिफाइनरियों के लिए वरदान साबित हो रही है, जिससे देश का आयात बिल कम हो रहा है और महंगाई पर नियंत्रण में मदद मिल रही है।

आईसीआरए के अनुमानों के अनुसार, रूस से रियायती तेल खरीद के कारण भारत ने वित्त वर्ष 2022-23 में 5.1 अरब डॉलर और 2023-24 में 8.2 अरब डॉलर की बचत की। ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव का अनुमान है कि रूस से तेल आयात के कारण भारत ने कुल मिलाकर 12.6 अरब डॉलर की बचत की है। यह छूट भारत की ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करने के साथ-साथ आर्थिक स्थिरता में भी योगदान दे रही है।
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S-400 मिसाइल सिस्टम

रूस और भारत के बीच S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम की आपूर्ति को लेकर भी चर्चा तेज हो गई है। 2018 में भारत और रूस के बीच 5.5 अरब डॉलर की डील के तहत पांच S-400 सिस्टम की खरीद पर सहमति हुई थी, जिसमें से तीन यूनिट भारत को मिल चुकी हैं। बाकी दो यूनिट 2026 और 2027 में डिलीवर होने की उम्मीद है। रूस के फेडरल सर्विस फॉर मिलिट्री-टेक्निकल कोऑपरेशन के प्रमुख दिमित्री शुगायेव ने समाचार एजेंसी TASS को बताया, 'हम अतिरिक्त S-400 सिस्टम की डिलीवरी के लिए बातचीत के चरण में हैं।'

S-400 सिस्टम ने हाल ही में मई 2025 में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद ऑपरेशन सिंदूर में अपनी ताकत का प्रदर्शन किया। इस ऑपरेशन में भारतीय सेना ने पाकिस्तान और पीओके में आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाया था, जिसमें S-400 ने रक्षा में अहम भूमिका निभाई।

ट्रंप का दबाव और भारत की जवाबी रणनीति

ट्रंप के टैरिफ ने भारत के निर्यात क्षेत्र, खासकर कपड़ा, रत्न-आभूषण, चमड़ा, और रसायन उद्योगों पर गहरा असर डाला है। क्रिसिल रेटिंग्स के अनुसार, कुछ सामानों के निर्यात में 70% तक की कमी आ सकती है और भारत का अमेरिका को निर्यात 2024-25 के 87 अरब डॉलर से घटकर 2025-26 में 49.6 अरब डॉलर तक रह सकता है।

हालाँकि, भारत ने जवाबी टैरिफ़ लगाने से परहेज किया है। विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका के साथ भारत का 130 अरब डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार है, जिसमें 41 अरब डॉलर का व्यापार अधिशेष है। केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा, 'हम निर्यातकों और नौकरियों की रक्षा के लिए सभी नीतिगत, राजकोषीय और कूटनीतिक उपाय करेंगे।' भारत यूरोपीय संघ, ब्रिटेन और अन्य देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौतों को तेज करके अमेरिका पर निर्भरता कम करने की दिशा में भी काम कर रहा है।
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मोदी-पुतिन मुलाकात

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच हाल ही में शंघाई सहयोग संगठन यानी एससीओ समिट के दौरान हुई मुलाक़ात ने इन संबंधों को और मजबूती दी है। इस मुलाकात में ऊर्जा और रक्षा सहयोग के साथ-साथ यूक्रेन संकट पर भी चर्चा हुई। भारत ने बार-बार रूस-यूक्रेन संघर्ष को बातचीत और कूटनीति के ज़रिए हल करने की वकालत की है।

जानकारों का मानना है कि भारत की यह रणनीति न केवल उसकी ऊर्जा और रक्षा ज़रूरतों को पूरा कर रही है, बल्कि वैश्विक मंच पर उसकी रणनीतिक स्वायत्तता को भी रेखांकित कर रही है। रूस के साथ बढ़ता सहयोग ट्रंप के टैरिफ दबाव को नाकाम करने की एक ठोस रणनीति है।

ट्रंप का टैरिफ दांव भारत के लिए आर्थिक चुनौतियां तो लाया है, लेकिन रूस के साथ गहराते रणनीतिक और आर्थिक संबंधों ने इसे एक अवसर में बदल दिया है। रूस की तेल छूट और S-400 मिसाइल सिस्टम पर बातचीत भारत की ऊर्जा सुरक्षा और रक्षा क्षमताओं को मजबूत कर रही है। भारत ने यह साफ़ कर दिया है कि वह अपने राष्ट्रीय हितों और रणनीतिक स्वायत्तता से समझौता नहीं करेगा, चाहे दबाव कितना भी हो।