loader

एमएफ़एन दर्जा वापस लेने से भारत के सामने झुक जाएगा पाकिस्तान?

पुलवामा में हुए आत्मघाती हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान को दिए हुए 'मोस्ट फ़ेवर्ड नेशन' (एमएफ़एन) का दर्जा वापस ले लिया है। शुक्रवार को सुरक्षा मामलों पर बनी कैबिनेट कमिटी की बैठक के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इस बाबत घोषणा की। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय बिरादरी में पूरी तरह अलग-थलग करने के लिए हर मुमकिन कूटनीतिक कदम उठाए जाएँगे। 
भारत के इस कदम के बेहद महत्वपूर्ण सांकेतिक असर होने के आसार हैं। दरअसल, इसके ज़रिए नरेंद्र मोदी सरकार विश्व समुदाय को संकेत देना चाहती है कि पाकिस्तान के साथ उसके रिश्ते अब बहुत ही तनावपूर्ण दौर से गुजर  रहे हैं। भारत यह संकेत देना चाहता है कि देश में बहुत ही अधिक गुस्सा है और पाकिस्तान पर किसी भी कीमत में लगाम लगाना ही होगा। 
पाकिस्तान से 'मोस्ट फ़ेवर्ड नेशन' का दर्जा वापस लेने से इस्लामाबाद पर कूटनीतिक असर पड़ेगा। चीन जैसे उसके दुख-सुख के साथी को एक बार रुक कर सोचना पड़ेगा और अमेरिका को यह संकेत दिया जा सकेगा कि वह पाकिस्तान पर पहले से ही चल रहा और दबाव बढ़ाए। 

क्या होता है एमएफ़एन दर्जा?

मोस्ट फ़ेवर्ड नेशन का दर्जा दरअससल अंतरराष्ट्रीय व्यापार का एक महत्वपूर्ण पहलू है और  इसका मक़सद मदद करना होता है। 
  • 1. जिस देश को मोस्ट फ़ेवर्ड नेशन का दर्ज दिया जाता है, उसके साथ अंतरराष्ट्रीय व्यापार में किसी तरह का भेदभाव नहीं किया जा सकता है। 
  • 2.एमएफ़एन दर्जा जिस देश को दिया जाता है, उसके आयात को बढ़ावा देने के उपाय किए जाते हैं।
  • 3.एमएफ़एन दर्जा देने के बाद आयात शुल्क कम किया जाता है। 
  • 4.यह दर्जा देने के बाद अधिक से अधिक चीजों के आयात की अनुमति दी जाती है और बहुत ही कम चीजों के आयात पर रोक लगाई जाती है और उसके आयात को रोकने के ग़ैर-शुल्क तरीके नहीं अपनाए जाते हैं। 
  • 5.विश्व व्यापार संगठन (डब्लूटीओ) ने अपनी संधि में यह व्यवस्था कर रखी है कि एक बार एमएफ़एन दर्जा देने के बाद उस देश के साथ वही व्यवहार करना होगा जो दूसरे एमएफ़एन पाए देशों के साथ होता है। यानी किसी देश के साथ किसी सूरत में भेदभाव नहीं किया जा सकता है।
  • 6.विकसित देश विकासशील देशों को यह दर्जा देने के बाद उसकी आर्थिक मदद भी करते हैं, हालाँकि नियम के तहत यह ज़रूरी नहीं है। 

भारत-पाकिस्तान व्यापार

भारत-पाकिस्तान पड़ोसी देश होने के बावजूद व्यापार के मामले में बहुत अधिक नज़दीक नहीं है। वित्तीय वर्ष 2017-18 के दौरान दोनों के बीच सिर्फ़ 2.61 अरब डॉलर का दोतरफा व्यापार हुआ, जो अंतरराष्ट्रीय मानकों के हिसाब से बहुत ही कम है। दोनों देशो के बीच मुख्य रूप से चीनी, सीमेंट, कपास, फल-सब्जी, नमक, चूना, कीमती पत्थर, मेवे वगैरह का ही लेन-देन होता है। 
भारत ने पाकिस्तान को 1996 में ही मोस्ट फे़वर्ड नेशन का दर्जा दे दिया था। लेकिन पाकिस्तान ने भारत को यह दर्जा नहीं दिया। इसकी वजह व्यापारिक कम, राजनीतिक अधिक है। बेनज़ीर भुट्टो और नवाज़ शरीफ़ के जमाने में सरकार के स्तर से कोशिशें हुईं, पर पाकिस्तान में इतना ज़बरदस्त विरोध हुआ कि सरकार आगे नहीं बढ़ पाई। 
दोनों देशों के बीच एमएफ़एन दर्जा का सांकेतिक महत्व ही है, ज़मीन पर इससे किसी को कोई ख़ास फ़र्क नहीं पड़ेगा। यह दर्जा होने के बावजूद पाकिस्तान बहुत अधिक निर्यात भारत को नहीं कर पा रहा है, क्योंकि उसकी अर्थव्यवस्था अपेक्षाकृतम कमज़ोर है, सिकुड़ी हुई है और बंद है।
पाकिस्तान कम आयात शुल्क पर भी भारत में अपने उत्पाद नहीं बेच पाता है क्योंकि स्थानीय कंपनियाँ पहले से ही कम कीमत पर उत्पाद बेच रही हैं। पाकिस्तान वही उत्पाद बेच रहा है जिसकी ज़रूरत भारत में अधिक है या भारत में वह चीज कम है या नहीं है। मसलन, पाकिस्तान भारत में चीनी और सीमेंट तब बेच लेता है जब यहां इन चीजों की किल्लत होती है। इसके अलावा वह सूखे मेवे और कीमती पत्थर इसलिए बेच लेता है कि भारत में वे चीजें कम हैं। इससे साफ़ है कि एमएफ़एन दर्जा नहीं होने से पाकिस्तान को कोई ख़ास नुक़सान नहीं होगा। 
लेकिन एमएफ़एन दर्जा वापस लेने का सांकेतिक और कूटनीतिक असर पड़ेगा और सरकार शायद ही चाहती भी है। 
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

दुनिया से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें