ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह अली खामेनई ने सोमवार को कहा कि इसराइल ने ईरान पर हमला करके बड़ी गलती की है। इसकी सजा उसे मिलेगी और मिल भी रही है। उन्होंने एक्स पर फारसी में ट्वीट किया है। खामेनई के ट्वीट में अमेरिका द्वारा ईरान के परमाणु ठिकानों पर किए गए हमलों का कोई जिक्र नहीं है। दूसरी ओर, संयुक्त राष्ट्र में ईरान के दूत आमिर सईद इरावानी ने कहा कि ईरान की सेना अमेरिकी हमलों के जवाब की "समय, तरीका और पैमाने" का फैसला करेगी। 

इसराइल ने अपराध कियाः खामेनई

खामेनई ने अपने ट्वीट में लिखा, "जायोनी दुश्मन ने बड़ी गलती की, बड़ा अपराध किया; उसे सजा दी जानी चाहिए और दी जा रही है।" उनका यह बयान इसराइल के हाल के हमलों, विशेष रूप से 13 जून से शुरू हुए सैन्य और परमाणु ठिकानों पर हमलों के संदर्भ में है, जिसमें 685 से अधिक लोग मारे गए। खामेनई ने इसराइल को "जायोनी शासन" कहकर निशाना बनाया और इसे "सजा" देने की बात कही, लेकिन अमेरिका के 21 जून को नतन्ज़, फ़ोर्दू और इसफ़हान पर किए गए हमलों का कोई उल्लेख नहीं किया।

आयतुल्लाह खामेनई का ट्वीट

क्या यह रणनीतिक चुप्पी है 

खामेनई की अमेरिका पर चुप्पी एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा हो सकती है। अमेरिका की सैन्य और तकनीकी श्रेष्ठता को देखते हुए, ईरान सीधे टकराव से बचना चाहता है। अमेरिका ने "ऑपरेशन मिडनाइट हैमर" में 30,000 पाउंड के बंकर-बस्टर बमों का उपयोग किया, जो ईरान की हवाई रक्षा को भेदने में सक्षम थे। खामेनई का अमेरिका का नाम न लेना यह संदेश देता है कि ईरान अभी प्रत्यक्ष सैन्य जवाब देने के बजाय कूटनीतिक या अप्रत्यक्ष जवाबी कार्रवाई पर ध्यान दे रहा है।

ईरान के सुप्रीम लीडर ने एक्स पर ट्वीट में इसराइल को सज़ा देने की बात कही, लेकिन अमेरिका का जिक्र नहीं किया। सुप्रीम लीडर के इस बयान की जबरदस्त चर्चा है।

एकजुटता की कोशिश 

इसराइल को "जायोनी शासन" कहकर खामनेई ने घरेलू और क्षेत्रीय समर्थकों, विशेष रूप से "एक्सिस ऑफ रेजिस्टेंस" (हमास, हिजबुल्लाह, हूती) को एकजुट करने की कोशिश की। इसराइल के खिलाफ हमले, जैसे तेल अवीव पर 400 मिसाइलें और 1000 ड्रोन, पहले ही ईरान की जवाबी क्षमता दिखा चुके हैं।

आंतरिक एकता का सवाल

खामेनई का यह बयान जनता को यह विश्वास दिलाने की कोशिश है कि सरकार स्थिति को नियंत्रित कर रही है। उन्होंने हाल ही में जनता की "ताकत और आध्यात्मिकता" की तारीफ भी की। दरअसल, विदेशी मीडिया इस बात का लगातार प्रचार कर रही है कि ईरान के लोग खामेनई का विरोध कर रहे हैं। जबकि ईरान में हो रहे अमेरिका-इसराइल विरोधी प्रदर्शनों को मीडिया कोई तवज्जो नहीं दे रहा है। उन्हें कवरेज तक नहीं मिलता। यह कैसे संभव है कि विदेशी मीडिया के पास खामेनई के विरोधी की खबरें तो आ जाती हैं लेकिन यूएस-इसराइल के प्रदर्शनों की खबरें नहीं आ रही हैं।

ईरान के यूएन दूत का बयान

संयुक्त राष्ट्र में ईरान के दूत आमिर सईद इरावानी ने कहा, "ईरान की सेना अमेरिकी हमलों के जवाब की समय, प्रकृति और पैमाने का फैसला करेगी।" यह बयान अमेरिका के हमलों को "गैरकानूनी और लापरवाह" बताते हुए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को लिखे गए पत्र का हिस्सा था।

जवाबी कार्रवाई की स्वतंत्रता

इरावानी का बयान यह दर्शाता है कि ईरान जवाब देने के लिए बाध्य है, लेकिन वह समय और तरीके का फैसला अपनी शर्तों पर करेगा। यह लचीलापन ईरान को सैन्य, साइबर, या प्रॉक्सी हमलों (जैसे हूती या हिजबुल्लाह के जरिए) के विकल्प चुनने की आजादी देता है।

कूटनीति के साथ दबाव

ईरान ने संयुक्त राष्ट्र के मंच का उपयोग कर अमेरिका और इसराइल पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाने की कोशिश की है। इरावानी ने परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) को "राजनीतिक हथियार" के रूप में इस्तेमाल करने का आरोप लगाया, जिससे ईरान अपनी शांतिपूर्ण परमाणु गतिविधियों का बचाव कर रहा है।

ईरान की सैन्य तैयारियां 

न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, ईरान अमेरिकी ठिकानों पर हमले के लिए मिसाइलें और अन्य उपकरण तैयार कर रहा है। यह बयान उस तैयारी को वैध ठहराने का प्रयास हो सकता है, साथ ही अमेरिका को चेतावनी देता है कि ईरान जवाब देने में सक्षम है।

दोनों का बयान मिलाकर समझना होगा 

खामेनई और इरावानी के बयान मिलकर एक दोहरी रणनीति बता रहेहैं- इसराइल के खिलाफ आक्रामक बयानबाजी और कार्रवाई के जरिए क्षेत्रीय समर्थकों को एकजुट करना, और अमेरिका के खिलाफ सतर्क लेकिन धमकी भरे रुख के जरिए सीधे टकराव से बचना।

कूटनीति के लिए जगह छोड़ी

ईरान ने कूटनीति के लिए जगह छोड़ी है। विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने यूरोपीय मंत्रियों के साथ बातचीत की, और अमेरिकी विशेष दूत स्टीव विटकॉफ के साथ अप्रत्यक्ष संपर्क की खबरें हैं। यह दर्शाता है कि ईरान सैन्य जवाब के साथ-साथ बातचीत के रास्ते भी खुले रखना चाहता है।

बढ़ता क्षेत्रीय तनाव 

ईरान की जवाबी कार्रवाई, यदि सैन्य होती है, तो मध्य पूर्व में व्यापक युद्ध का खतरा बढ़ा सकती है। रूस और चीन ने अमेरिकी हमलों की निंदा की है, जबकि भारत ने संयम की अपील की है। तेल की कीमतें पहले ही 76 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच चुकी हैं, और होर्मुज जल मार्ग के बंद होने का खतरा वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर सकता है।
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खामेनई का इसराइल पर केंद्रित ट्वीट और अमेरिका पर चुप्पी, साथ ही यूएन दूत का सैन्य जवाब का संकेत, ईरान की सावधानी और आक्रामकता का मिश्रण दर्शाते हैं। ईरान घरेलू एकता और क्षेत्रीय प्रभाव बनाए रखने की कोशिश कर रहा है, लेकिन अमेरिका की सैन्य शक्ति के सामने वह सीधे टकराव से बच रहा है।