ईरान के शीर्ष शिया धर्मगुरुओं में से एक, ग्रैंड अयातुल्लाह नासर मकारम शिराज़ी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और इसराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के खिलाफ एक सख्त धार्मिक फतवा जारी किया है। इस फतवे में दोनों नेताओं को "अल्लाह का दुश्मन" घोषित किया गया है। दुनिया भर के मुसलमानों से उनके खिलाफ कार्रवाई करने की अपील की गई है। यह फतवा हाल ही में ईरान-इसराइल के बीच 12 दिनों तक चले सैन्य संघर्ष के बाद आया है, जिसने मिडिल ईस्ट में तनाव को और बढ़ा दिया है।

फतवे की वजह और संदर्भ 

यह धार्मिक आदेश 13 जून को शुरू हुए 12 दिवसीय युद्ध के बाद जारी किया गया, जिसमें इसराइल ने ईरान के भीतर हवाई हमले किए। इन हमलों में ईरान के वरिष्ठ सैन्य कमांडरों और परमाणु कार्यक्रम से जुड़े वैज्ञानिकों को मार दिया गया। जवाब में, ईरान ने इसराइली शहरों पर मिसाइल हमले किए, जिससे दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया। इस युद्ध के दौरान अमेरिका और इसराइली अधिकारियों ने ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह अली खामेनई को जान से मारने की धमकी दी। इस तरह की साजिश को खुद इसराइल ने स्वीकार किया। पीएम नेतन्याहू और इसराइल के रक्षा मंत्री ने इस संबंध में बयान दिए कि खामेनई को खत्म कर दिया जाएगा। 
ग्रैंड अयातुल्लाह मकारम शिराज़ी ने अपने फतवे में कहा, "जो कोई भी इस्लामी उम्माह, इसके नेतृत्व या धार्मिक अथॉरिटी को धमकी देता है या उस पर हमला करता है, वह 'मोहारेह' (अल्लाह का दुश्मन) माना जाएगा।" उन्होंने मुसलमानों से अपील की कि वे इन "दुश्मनों" को उनके शब्दों और गलतियों पर पछताने को मजबूर कर दें। फतवे में यह भी कहा गया कि मुसलमानों या इस्लामी देशों द्वारा ऐसे व्यक्तियों या शासनों का समर्थन करना "हराम" है।

आयतुल्लाह मकारम शिराज़ी के फतवे का महत्व

ईरान के इस्लामी दंड संहिता के अनुसार, "मोहारेह" का अपराध गंभीर माना जाता है और इसके लिए मृत्युदंड, सूली पर चढ़ाने, अंग-भंग या निर्वासन जैसी सजा दी जा सकती है। मकारम शिराजी के इस फतवे को न केवल ईरान के कट्टरपंथी रुख को मजबूत करने वाला माना जा रहा है, बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी एक चेतावनी है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह फतवा मिडिल ईस्ट में तनाव को और बढ़ा सकता है और चरमपंथी समूहों को कार्रवाई के लिए प्रेरित कर सकता है।

शिराज़ी के फतवे का क्या असर होगा

मकारम शिराज़ी एक शिया धर्मगुरु यानी मरजा हैं। दुनिया में तीन प्रमुख शिया धर्म गुरु हैं, जिनमें कर्बला और नजफ स्थित आयतुल्लाह अली अल सिस्तानी, ईरान के सुप्रीम लीडर और ग्रैंड आयतुल्लाह अली खामेनई और आयतुल्लाह मकारम शिराज़ी शामिल हैं। इनके अलावा भी और भी आयतुल्लाह हैं। लेकिन इन तीनों के अनुयायी पूरी दुनिया में पाए जाते हैं। यानी शिया मुसलमान इनके फतवों को या गाइडलाइंस को स्वीकार करते हैं। लेकिन इनमें सबसे ज्यादा संख्या आयतुल्लाह अली सिस्तानी के अनुयायियों की है। यानी सबसे टॉप आयतुल्लाह अली अल सिस्तानी हैं। सिस्तानी वही शख्स हैं जिनके फतवे पर अल कायदा को इराक में खत्म कर दिया गया। अल कायदा के संस्थापकों में से एक अबू बकर बग़दादी ने एक समय सीरिया, ईरान और इराक के कर्बला वाले हिस्से को मिलाकर एक अलग देश बनाने का सपना देखा था। बग़दादी के प्रशिक्षित आतंकवादी कर्बला की बाहरी सीमा में पहुंच गए थे। लेकिन उसके बाद सिस्तानी का फतवा आया था। 
तीनों ही टॉप आयतुल्लाह के विचार सैद्धांतिक रूप से अलग-अलग हैं। लेकिन उनमें कोई गहरा मतभेद नहीं होता है। सिर्फ बुनियादी बातों का फर्क होता है। लेकिन जब से ईरान के सुप्रीम लीडर आयतुल्लाह अली खामेनई को जान से मारने की सीधी धमकी मिली है, उस धमकी की वजह से सारे आयतुल्लाह एक हो गए हैं और उन्होंने इसका पुरज़ोर विरोध शुरू कर दिया है। यहां तक कि पूरी दुनिया में सुन्नियों के बड़े धर्मगुरुओं ने भी खामेनई को मिली धमकी की निन्दा की है। भारत, पाकिस्तान, इंडोनेशिया, मलयेशिया, साउथ अफ्रीका के तमाम शहरों में प्रदर्शन हुए हैं। इस घटनाक्रम के बाद खामेनई लोकप्रियता में टॉप पर हैं लेकिन अभी भी आयतुल्लाह सिस्तानी के अनुयायी सबसे ज्यादा हैं।

इसराइल-अमेरिका की अभी प्रतिक्रिया नहीं आई 

अब तक, न तो अमेरिका और न ही इसराइल ने इस फतवे पर आधिकारिक रूप से कोई प्रतिक्रिया दी है। हालांकि, ब्रिटिश-ईरानी पॉडकास्टर नियाक घोरबानी ने इसे न केवल ईरान के लिए, बल्कि वैश्विक स्तर पर खतरा बताया है। उन्होंने कहा कि इस तरह की बयानबाजी चरमपंथ को बढ़ावा दे सकती है और स्थिति को अस्थिर कर सकती है।

पृष्ठभूमि और तनाव 

यह फतवा ऐसे समय में आया है जब ईरान और इसराइल के बीच दशकों पुरानी दुश्मनी चरम पर है। हाल के हमलों में इसराइल ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को निशाना बनाया, जिसके जवाब में ईरान ने इसराइली शहरों पर मिसाइलें दागीं। ईरान ने बार-बार परमाणु हथियार विकसित करने के आरोपों से इनकार किया है। इसके अलावा, ट्रम्प द्वारा अयातुल्लाह खामेनई के खिलाफ दी गई धमकियों ने इस तनाव को और गहरा कर दिया है।
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बहरहाल, ग्रैंड अयातुल्लाह मकारम शिराज़ी का यह फतवा न केवल धार्मिक, बल्कि भू-राजनीतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। यह फतवा ईरान के सख्त रुख को दर्शाता है और वैश्विक स्तर पर इसके प्रभावों की चर्चा तेज हो गई है। मिडिल ईस्ट में पहले से ही तनावपूर्ण स्थिति में यह नया घटनाक्रम क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्थिरता के लिए नई चुनौतियां खड़ी कर सकता है।