अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव 2024 के परिणामों को लेकर एक बड़ा विवाद सामने आया है। एक सनसनीखेज रिपोर्ट में दावा किया गया है कि उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने वास्तव में 2024 का अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव जीता था, लेकिन मतदान मशीनों में कथित छेड़छाड़ के कारण डोनाल्ड ट्रम्प को विजेता घोषित किया गया। इस मामले में न्यूयॉर्क के रॉकलैंड काउंटी में एक मुकदमा दायर किया गया है, जिसमें मतदान प्रक्रिया की निष्पक्षता और पारदर्शिता पर गंभीर सवाल उठाए गए हैं। यह मामला अब अमेरिकी लोकतंत्र और चुनावी प्रणाली की विश्वसनीयता को लेकर एक गंभीर बहस का केंद्र बन गया है।

एक स्वतंत्र संगठन स्मार्ट लेजिस्लेशन ने रॉकलैंड काउंटी की एक अदालत में यह मुक़दमा दायर किया है। याचिका में दावा किया गया है कि काउंटी में इस्तेमाल की गई मतदान मशीनों में गड़बड़ियां थीं, इस वजह से कमला हैरिस और अन्य उम्मीदवारों को मिले वोटों की गिनती में भारी अनियमितताएँ हुईं। संगठन ने मांग की है कि 2024 के चुनाव में डाले गए सभी मतपत्रों की मैनुअल गिनती की जाए ताकि सच्चाई सामने आ सके। न्यूजवीक की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, एक जज ने इस मुक़दमे को आगे बढ़ाने की अनुमति दे दी है और अब यह मामला खोजबीन के चरण में है। इस चरण में दोनों पक्षों को अपने सबूत और गवाह पेश करने का अवसर मिलेगा।
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याचिकाकर्ताओं का दावा है कि उनके पास मतदान मशीनों में तकनीकी खामियों और संभावित छेड़छाड़ के सबूत हैं। हालाँकि, इन दावों की अभी स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं हुई है। दूसरी ओर, डोनाल्ड ट्रंप के समर्थकों ने इन आरोपों को खारिज करते हुए इसे निराधार और चुनावी हार को नकारने की साज़िश क़रार दिया है।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर इस खबर पर तेज़ी से प्रतिक्रियाएँ आई हैं। कई यूजरों ने दावा किया है कि यह मामला अमेरिकी मुख्यधारा के मीडिया में पर्याप्त कवरेज नहीं पा रहा है। एक यूजर ने लिखा, 'कमला हैरिस की जीत को छिपाया जा रहा है। यह लोकतंत्र के लिए ख़तरा है!' एक अन्य यूजर ने लिखा, 'मीडिया को इस पर तुरंत ध्यान देना चाहिए। अगर मतदान मशीनों में गड़बड़ी हुई है, तो यह बहुत बड़ा घोटाला है।' हालाँकि, कुछ यूजरों ने सावधानी बरतने की सलाह दी है और कहा है कि बिना ठोस सबूतों के इस तरह के दावों पर विश्वास नहीं करना चाहिए।

मतदान मशीनों में छेड़छाड़ कितना संभव?

मतदान मशीनों में छेड़छाड़ का दावा नया नहीं है। 2020 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के बाद भी डोनाल्ड ट्रंप और उनके समर्थकों ने इसी तरह के दावे किए थे, लेकिन उन दावों को अदालतों में सिद्ध नहीं किया जा सका। एबीसी न्यूज की एक रिपोर्ट के अनुसार, आधुनिक मतदान मशीनें अत्यधिक सुरक्षित होती हैं, और उन्हें हैक करना या उनके साथ छेड़छाड़ करना तकनीकी रूप से बहुत जटिल है। इसके बावजूद जानकारों का कहना है कि किसी भी तकनीकी प्रणाली में छोटी-मोटी खामियाँ हो सकती हैं, लेकिन बड़े पैमाने पर छेड़छाड़ के लिए बड़े पैमाने पर साज़िश और संसाधनों की ज़रूरत होगी।

स्मार्ट लेजिस्लेशन का कहना है कि उनके पास रॉकलैंड काउंटी की मतदान मशीनों के लॉग और तकनीकी विश्लेषण के आधार पर सबूत हैं, जो कथित अनियमितताओं की ओर इशारा करते हैं।

संगठन ने यह भी दावा किया है कि कुछ मतदान केंद्रों पर वोटों की गिनती में असामान्य रुझान देखे गए, जो संदेह पैदा करते हैं। हालाँकि, इन दावों की सत्यता अभी जाँच के दायरे में है।

कमला हैरिस या डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से इस मामले पर अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। कुछ जानकारों का मानना है कि डेमोक्रेटिक पार्टी इस मामले में सतर्कता बरत रही है, क्योंकि बिना पुख्ता सबूतों के इस तरह के दावों का समर्थन करना राजनीतिक रूप से जोखिम भरा हो सकता है। दूसरी ओर, कुछ डेमोक्रेटिक समर्थकों ने सोशल मीडिया पर इस मुक़दमे का समर्थन किया है और कहा है कि अगर कमला हैरिस की जीत को 'चुराया' गया है, तो इसे उजागर करना ज़रूरी है।
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यह मामला एक बार फिर अमेरिकी चुनावी प्रणाली की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर रहा है। पिछले कुछ वर्षों में मतदान मशीनों, वोटर रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया और मेल-इन बैलेट्स को लेकर कई विवाद सामने आए हैं। जानकारों का कहना है कि इस तरह के विवाद लोकतंत्र में जनता के भरोसे को कमजोर कर सकते हैं। प्यू रिसर्च सेंटर के एक सर्वेक्षण के अनुसार, 2024 के चुनाव से पहले ही 30% से अधिक अमेरिकियों ने मतदान प्रक्रिया की निष्पक्षता पर संदेह जताया था।

इस मुक़दमे का नतीजा न केवल 2024 के चुनाव पर असर डाल सकता है, बल्कि भविष्य के चुनावों के लिए भी एक मिसाल कायम कर सकता है।

अगर अदालत ने मतपत्रों की मैनुअल गिनती का आदेश दिया, तो यह एक लंबी और जटिल प्रक्रिया होगी। इसके अलावा, अगर छेड़छाड़ के दावे सिद्ध हो जाते हैं तो यह अमेरिकी इतिहास में एक अभूतपूर्व घटना होगी। दूसरी ओर, अगर ये दावे निराधार साबित हुए तो यह उन लोगों के लिए एक सबक होगा जो बिना सबूत के चुनावी प्रक्रिया पर सवाल उठाते हैं।
फिलहाल, इस मामले में अगली सुनवाई और जांच के परिणामों पर सभी की नजरें टिकी हैं। यह विवाद न केवल अमेरिका, बल्कि पूरी दुनिया में लोकतंत्र और चुनावी प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर एक अहम बहस छेड़ रहा है।