जिन डोनोल्ड ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार नहीं मिलने से व्हाइट हाउस की त्योरियाँ चढ़ी हुई हैं उनको भी मारिया कोरिना मचाडो ने अपनी इस पुरस्कार जीत को समर्पित किया है। हालाँकि, वेनेजुएला की विपक्षी नेता मचाडो ने नोबेल शांति पुरस्कार को ट्रंप के साथ ही अपने देश के लोगों की लंबी और कठिन लड़ाई को भी समर्पित किया है। उनके द्वारा इस पुरस्कार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को श्रेय देने को चौंकाने वाला क़दम माना जा रहा है। यह पुरस्कार वेनेजुएला के इतिहास में पहली बार किसी व्यक्ति को मिला है। ट्रंप को यह पुरस्कार नहीं मिलने पर व्हाइट हाउस ने कहा है कि 'नोबेल समिति शांति से ज़्यादा राजनीति को तरजीह देती है।'

पुरस्कार की घोषणा ओस्लो में हुई, जहां नोबेल कमेटी ने कहा, 'जब तानाशाह सत्ता हथिया लेते हैं, तब स्वतंत्रता के साहसी रक्षकों को पहचानना जरूरी है। मारिया कोरिना मचाडो ने वेनेजुएला के लोगों के बीच विपक्ष को एकजुट किया है और सैन्यीकरण के खिलाफ कभी हार नहीं मानी।' मचाडो पिछले एक साल से काराकास में छिपकर रह रही हैं। नोबेल कमेटी ने उनको फोन पर यह खबर सुनाई। एक वीडियो में वह भावुक होकर कहती नजर आईं, 'मैं स्तब्ध हूं... यह पुरस्कार वेनेजुएला के हर उस व्यक्ति का है जो अंधेरे में लोकतंत्र की लौ जलाए रखे।...लेकिन मैं राष्ट्रपति ट्रंप को भी धन्यवाद देना चाहूंगी।'

ट्रंप को धन्यवाद

मचाडो ने पुरस्कार समर्पित करते हुए सबसे पहले वेनेजुएला के बहादुर लोगों का जिक्र किया, जिन्होंने निकोलस मादुरो की तानाशाही के खिलाफ सड़कों पर उतरकर शांतिपूर्ण संघर्ष किया। लेकिन फिर उन्होंने डोनाल्ड ट्रंप का नाम लिया, जिन्होंने 2025 में अपनी दूसरी पारी में वेनेजुएला पर कड़े प्रतिबंध लगाए और मादुरो के खिलाफ 'ड्रग ट्रैफिकिंग' के आरोपों में 50 मिलियन डॉलर का इनाम घोषित किया। मचाडो ने एक बयान में कहा, 'यह पुरस्कार मेरे लोगों को समर्पित है, जो दशकों से न्याय और स्वतंत्रता के लिए लड़ रहे हैं। लेकिन मैं राष्ट्रपति ट्रंप को भी धन्यवाद देना चाहूंगी। उनकी दृढ़ नीतियों ने दुनिया का ध्यान वेनेजुएला की ओर खींचा और हमें दिखाया कि अमेरिका जैसे सहयोगी के बिना यह लड़ाई और कठिन हो जाती। ट्रंप ने साबित किया कि लोकतंत्र की रक्षा के लिए मज़बूत क़दम ज़रूरी हैं।'

बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, व्हाइट हाउस ने मचाडो की जीत का स्वागत किया और कहा कि यह वेनेजुएला के लोकतंत्र के लिए एक बड़ा कदम है। ट्रंप ने ट्रूथ सोशल पर मारिया के ट्वीट के स्क्रीनशॉट को साझा किया है। 

ट्रंप ने मारिया कोरिना मचाडो के ट्वीट को साझा किया।

दुनिया से और खबरें

मचाडो का संघर्ष

मारिया कोरिना मचाडो वेनेजुएला की राजनीति में दो दशकों से सक्रिय हैं। 2010 में राष्ट्रीय सभा के लिए चुनी गईं, जहां उन्होंने रिकॉर्ड वोट हासिल किए। लेकिन 2014 में मादुरो शासन ने उन्हें पद से हटा दिया। 2017 में उन्होंने विपक्षी पार्टी वेंते वेनेजुएला की स्थापना की और 'सॉय वेनेजुएला' गठबंधन बनाया, जो विभिन्न राजनीतिक गुटों को एकजुट करता है। 2024 के विवादास्पद राष्ट्रपति चुनाव में जहाँ विपक्षी उम्मीदवार एडमुंडो गोंजालेज को धांधली का शिकार बताया गया, मचाडो ने लाखों स्वयंसेवकों को संगठित कर वोट गिनती का दावा पेश किया। 

पिछले साल चुनाव के बाद से वह छिपकर रह रही हैं, और जनवरी 2025 में एक रैली के दौरान संक्षिप्त हिरासत में ली गईं, लेकिन अंतरराष्ट्रीय दबाव के कारण रिहा कर दी गईं। नोबेल कमेटी ने कहा कि वह 'बढ़ते अंधेरे में लोकतंत्र की लौ जलाए रखती हैं।' रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार मादुरो सरकार ने पुरस्कार की निंदा की है, इसे विदेशी साजिश करार दिया।
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

नोबेल पर दावा करते रहे हैं ट्रंप

ट्रंप की नोबेल चाहत 2018 से चली आ रही है, जब उन्हें कोरियाई प्रायद्वीप प्रयासों के लिए नामित किया गया। लेकिन उनको तब भी यह सम्मान नहीं मिल पाया था। इस साल की घोषणा भी ट्रंप की लंबे समय से चली आ रही पुरस्कार की चाहत को झटका है, जिन्होंने मध्य पूर्व और दक्षिण एशिया में कई युद्धों को ख़त्म करने का श्रेय खुद को दिया था। ट्रंप ने खुद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था, 'मैंने आठ युद्ध रोके हैं, जो पहले कभी नहीं हुआ। लेकिन वे जो करेंगे, ठीक है। मैंने पुरस्कार के लिए नहीं किया, बल्कि जानें बचाने के लिए किया।'

ट्रंप प्रशासन ने 2025 में कई कूटनीतिक सफलताओं का दावा किया है, जिन्हें नोबेल के लिए आधार बनाया गया। ट्रंप की मध्यस्थता से 10 अक्टूबर को ही ग़ज़ा में इसराइल-हमास युद्धविराम पर समझौता लागू हुआ है। इसराइल-हमास युद्ध 2023 से चला आ रहा था। इसराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ट्रंप को नामित किया। ईरान-इसराइल तनाव कम किया गया। जुलाई 2025 में ट्रंप की फोन डिप्लोमेसी से मिसाइल हमलों को रोका गया। ट्रंप भारत-पाकिस्तान युद्धविराम की वाहवाही लेते रहे, जबकि भारत ने उनके दावे को खारिज किया। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और फील्ड मार्शल आसिम मुनीर ने ट्रंप की सराहना की। इसके अलावा ट्रंप थाईलैंड-कंबोडिया सीमा विवाद, रूस-यूक्रेन में संभावित मध्यस्थता को लेकर भी दावे करते रहे हैं। लेकिन इसके बावजूद उन्हें इस साल नोबेल नहीं मिला। जानकार कहते हैं कि 2026 में उनका दावा मज़बूत हो सकता है।