पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने शुक्रवार को कहा कि अगर भारत सिंधु जल संधि के तहत पाकिस्तान के हिस्से के पानी को मोड़ने के लिए कोई ढांचा बनाता है, तो पाकिस्तान उसे नष्ट कर देगा। यह बयान उस समय आया है जब कश्मीर क्षेत्र में हुए एक हमले को लेकर दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर है। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री के बयान को बीबीसी ने जियो न्यूज के हवाले से जारी किया है।

भारत ने 22 अप्रैल को पहलगाम हमले के अगले ही दिन 23 अप्रैल को विश्व बैंक की मध्यस्थता में 1960 में बनी सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया। इससे पाकिस्तान के 80 प्रतिशत खेतों के लिए पानी मिलता है। भारत का कहना है कि यह पाबंदी तब तक जारी रहेगी जब तक “पाकिस्तान सीमापार आतंकवाद को विश्वसनीय और अपरिवर्तनीय रूप से समर्थन देना बंद नहीं करता।”

22 अप्रैल को कश्मीर के पहलगाम पर्यटन स्थल पर 26 लोगों की पाकिस्तान समर्थित आतंकियों ने हमला करके हत्या कर दी थी। इनमें अधिकांश पर्यटक थे। भारत ने कहा कि हमला करने वाले तीन आतंकवादियों में से दो पाकिस्तान से थे। इस्लामाबाद ने इस आरोप से इनकार किया। लेकिन पाकिस्तानी रक्षा मंत्री का ताजा बयान काफी गंभीर है। हालांकि इससे पहले उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान के पानी को रोकने या मोड़ने की कोई भी कोशिश “युद्ध की कार्यवाही” मानी जाएगी।

ताज़ा ख़बरें

शुक्रवार रात पाकिस्तान के जियो न्यूज चैनल से बात करते हुए आसिफ ने कहा कि पाकिस्तान के पानी को मोड़ना भी देश के खिलाफ "आक्रामकता का एक रूप" है और इसकी वजह से पूरी-की-पूरी आबादी प्यास और भूख से मर सकती है। उन्होंने कहा, “यह पाकिस्तान के खिलाफ आक्रामकता होगी। इसलिए, अगर उन्होंने इस तरह का कोई प्रयास किया, तो पाकिस्तान उस संरचना को नष्ट कर देगा।” यहां ढांचे से आशय यह है कि भारत अगर किसी बांध या नहर के जरिए पाकिस्तान जा रहे पानी को रोकता है तो पाकिस्तान उस पर हमला कर सकता है।

सिंधु जल संधि के अनुसार पाकिस्तान को पश्चिमी नदियों- सिंधु, झेलम और चिनाब- से सिंचाई, पीने और गैर-खपत उपयोग जैसे जलविद्युत के लिए अधिकार प्राप्त हैं। भारत को पूर्वी नदियों- रावी, ब्यास और सतलज पर पूर्ण उपयोग का अधिकार है, लेकिन वह उनके प्रवाह में महत्वपूर्ण बदलाव नहीं कर सकता। भारत सीमित मात्रा में पश्चिमी नदियों का उपयोग बिजली उत्पादन और सिंचाई के लिए कर सकता है, बशर्ते वह बड़े पैमाने पर पानी को संग्रहित या मोड़ न दे।

आसिफ की यह टिप्पणी तब आई जब पाकिस्तान के शीर्ष सैन्य जनरलों ने 22 अप्रैल के हमले का दोष नई दिल्ली के “प्रशासनिक विफलताओं” और राजनीतिक लाभ के लिए इस तरह की घटनाओं का इस्तेमाल करने की रणनीति पर मढ़ा, और चेतावनी दी कि पाकिस्तान की सुरक्षा सेनाएं देश की संप्रभुता पर किसी भी हमले का जवाब देने के लिए तैयार हैं।

खबरों में कहा गया है कि पाकिस्तानी सेना के शीर्ष अधिकारी शुक्रवार को रावलपिंडी स्थित जनरल मुख्यालय (GHQ) में एकत्र हुए, जहां उन्होंने पाकिस्तान-भारत के टकराव और व्यापक क्षेत्रीय सुरक्षा स्थिति पर विशेष ध्यान देते हुए भू-रणनीतिक वातावरण की समीक्षा की। पाकिस्तान के ISPR ने कहा, “फोरम ने इस बात पर गंभीर चिंता व्यक्त की कि भारत संकटों का लगातार राजनीतिक और सैन्य उद्देश्यों के लिए शोषण कर रहा है।

पाकिस्तानी जनरलों ने 2019 के पुलवामा हमलों का भी जिक्र किया। बता दें कि 2019 के पुलवामा हमले में 40 भारतीय अर्धसैनिक बलों की मौत हुई थी और इसका दोष भी पाकिस्तान पर लगाया गया था। इसके बाद भारत ने अनुच्छेद 370 को रद्द कर कश्मीर की विशेष स्थिति को समाप्त किया, जिसका इस्लामाबाद ने बार-बार विरोध किया।

पिछले सप्ताह कश्मीर में हुए हमले के बाद दक्षिण एशियाई क्षेत्र में तनाव बढ़ा हुआ है। दोनों परमाणु संपन्न देशों के बीच कूटनीतिज्ञों और नागरिकों को निष्कासित करना, सीमा बंद करना और हवाई क्षेत्र बंद करना जैसे प्रतिशोधात्मक कदम उठाए गए हैं। पाकिस्तान और भारत के बीच तनावपूर्ण संबंधों का लंबा इतिहास रहा है। आजादी के बाद से दोनों देश तीन युद्धों में से दो युद्ध कश्मीर को लेकर लड़ चुके हैं।

दुनिया से और खबरें

शुक्रवार को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ ने खाड़ी सहयोगी देशों के दूतों से मुलाकात की और उन्हें 22 अप्रैल को भारतीय प्रशासित कश्मीर में हुए हमले को लेकर इस्लामाबाद की स्थिति से अवगत कराया, ताकि तनाव को कम किया जा सके। अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने दोनों पक्षों से संयम बरतने और संवाद के माध्यम से संकट का समाधान निकालने की अपील की है।