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पाकिस्तानी पायलट को भारतीय समझ कर मार डाला पाकिस्तानी भीड़ ने

भारतीय वायु सेना के पायलट विंग कमांडर अभिनंदन वर्तमान पाकिस्तानी ज़मीन पर पैराशूट से उतरे, गिरफ़्तार किए गए और दो दिन बाद अपने देश सकुशल लौट गए। पर उन्हीं की तरह अपने देश के लिए लड़ने वाले पाकिस्तानी पायलट विंग कमांडर शहजादउद्दीन इतने भाग्यशाली नहीं थे। उन्हें हिंसक पाकिस्तानियों की भीड़ ने भारतीय समझा और पीट-पीट कर मार डाला। इस तरह अपने देश के लिए लड़ने वाला यह पायलट अपनी ही ज़मीन पर अपने ही लोगों के द्वारा बेदर्दी से मार दिया गया। 
विंग कमांडर शहजादउद्दीन 28 फ़रवरी की सुबह मल्टीपरपज़ विमान एफ़-16 लेकर इस मिशन के साथ उड़े कि उन्हें भारत के नौशेरा स्थित ठिकानों पर बम गिराना है। भारतीय रडार की जद में उनका जहाज़ आ गया, उन्हें रोकने के लिए भारत से मिराज-2000 ने उड़ान भरी, उन्हें रोका और उन पर मिसाइल से हमला किया। वह मिसाइल एफ़-16 के विंग में जा लगा, विमान में आग लग गई और विमान तेज़ी से नीचे गिरने लगा। शहाजुद्दीन ने खुद को विमान से इजेक्ट किया, यानी बाहर निकल आए और पैराशूट से नीचे उतरने लगे। 
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ऐसा ही तो उनके समकक्ष भारतीय पायलट अभिनंनद के साथ भी हुआ था। लेकिन इसके बाद की दोनों की कहानियाँ बिल्कुल अलग-अलग हैं।  
शहजादउद्दीन अपनी सरज़मीन पर उतरे, अपने हमवतनों के बीच उतरे, उनके बीच उतरे जिनकी हिफ़ाजत के लिए उन्होंने जान की बाजी लगाई थी। पर वहां मौजूद उग्र भीड़ ने उन्हें भारतीय पायलट समझा और उन पर टूट पड़ी। उनकी एक न सुनी गई और उत्तेजित भीड़ ने उन्हें बुरी तरह पीटा।
थोड़ी देर बाद पाकिस्तानी सेना के लोग वहाँ पहुँचे, उन्हें हमलावर भीड़ से बचाया और अस्पताल में भर्ती कराया। पर तब तक बहुत देर हो चुकी थी। विंग कमांडर शहजादउद्दीन की मौत हो गई। उन्हें शहीद का दर्जा भी नसीब नहीं हुआ, क्योंकि वह दुश्मन के हाथों लड़ते हुए नहीं मारे गए थे, वह उग्र भीड़ की ग़लतफ़हमी के शिकार हुए थे। 
शहजादउद्दीन के पिता पाकिस्तान वायु सेना में एअर मार्शल हैं, उन्होने एफ़-16 और मिराज जैसे उन्नत विमान उड़ाए हैं। ठीक वैसे ही, जैसे अभिनंदन के पिता भारतीय वायु सेना में एअर मार्शल थे, उन्होंने भी मिराज, सुखोई और दूसरे जहाज़ उड़ाए हैं। 
पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल आसिफ़ गफ़ूर ने 28 फ़रवरी को दोपहर प्रेस ब्रीफिंग में कहा था कि पाकिस्तानी वायु सेना ने दो भारतीय लड़ाकू जहाज़ों को मार गिराया है, दो पायलट गिरफ़्तार किए हैं, जिनमें एक जख़्मी हालत में अस्पताल में भर्ती है।  लेकिन उसी दिन शाम को उन्होंने कहा कि दरअसल पाकिस्तानी गिरफ़्त में एक ही भारतीय पायलट है। समझा जाता है कि वह जिस दूसरे पायलट की बात कर रहे थे, वह कोई और नहीं विंग कमांडर शहजादउद्दीन ही थे। 
विडंबना यह है कि पाकिस्तानी वायु सेना ने अपने इस पायलट की मौत की आधिकारिक पुष्टि अब तक नहीं की है। शायद वह इस शर्मिंदगी से बचना चाहती है कि पाकिस्तानी भीड़ ने भारतीय समझ एक पायलट को मार डाला। लेकिन, यह पाकिस्तान के लिए कोई नहीं बात नहीं है। 
करगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तानी सरकार यही कहती रही कि उनकी सेना इसमें शामिल नहीं है, उसने कोई घुसपैठ नहीं की है और भारतीय फ़ौज आतंकवादियों से लड़ रही है, जिनसे उनका कोई मतलब नहीं है।
आलम यह था कि भारत में मारे गए पाकिस्तानी सैनिकों की अंत्येष्टि पूरे सम्मान के साथ भारतीय सेना कर रही थी। बाक़ायदा पाकिस्तानी झंडा लगा कर पूरे सैनिक सम्मान के साथ उन्हें सुपुर्दे ख़ाक किया जा रहा था। कई साल बाद पाकिस्तान ने अपने सैनिकों के मारे जाने की बात मानी। करगिल के 11 साल बाद पाकिस्तान ने 493 सैनिकों के मारे जाने की बात मानी। 
क्या विंग कमांडर शहजादउद्दीन के साथ भी यही होगा? उनके घर वाले तो खुल कर शोक भी नहीं मना सकते, क्योंकि पाकिस्तानी वायु सेना उन्हें 'लापता' ही मान रही है।  
भारत में युद्धोन्माद फैलाने वालों और अपने किस्म के उग्र और छद्म राष्ट्रवाद का नैरेटिव गढ़ने वालों को भी रुक कर सोचना चाहिए कि इस तरह के ग़लत राष्ट्रवाद का क्या नतीजा हो सकता है। विंग कमांडर शहजादउद्दीन इस किस्म के उग्र राष्ट्रवाद के तो शिकार हुए हैं। 
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क़मर वहीद नक़वी
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