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पाकिस्तानी मौलाना अब्दुल रहमान मक्की अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित

भारत के खिलाफ कई हमलों और साजिशों में शामिल रहे पाकिस्तान के एक मौलाना अब्दुल रहमान मक्की को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) ने ग्लोबल आतंकवादी की सूची में डाल दिया है।

मक्की को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करने की कोशिश पिछले साल से ही चल रही थी लेकिन चीन ने यूएन में मक्की को सूचीबद्ध करने के प्रस्ताव को वीटो कर दिया था।

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एजेंसी की खबरों के मुताबिक यूएन ने एक बयान में कहा है कि 16 जनवरी 2023 को सुरक्षा परिषद समिति ने आईएसआईएल (दाइश), अल-कायदा और संबद्ध व्यक्तियों से संबंधित प्रस्तावों 1267 (1999), 1989 (2011) और 2253 (2015) के अनुसार दाइश और अल-कायदा प्रतिबंध सूची में मक्की को शामिल करने की मंजूरी दी गई है। इसके तहत मक्की की संपत्ति फ्रीज की जाएगी, यात्रा पर प्रतिबंध रहेगा और हथियार भी प्रतिबंधित रहेंगे। पाकिस्तान को यूएन द्वारा मक्की पर लगाई गई पाबंदियों को लागू करना होगा।
पाकिस्तानी मौलाना अब्दुल रहमान मक्की पर लश्कर/जेयूडी के लिए फंड जुटाने, भर्ती करने और युवकों को हिंसा के लिए कट्टरपंथी बनाने और भारत में, विशेष रूप से जम्मू कश्मीर में हमलों की योजना बनाने में शामिल किया है। संयुक्त राष्ट्र की वेबसाइट के अनुसार मक्की प्रतिबंधित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा और जेयूडी में नेतृत्वकर्ता के पदों पर रहा है।
लश्कर के छह आतंकवादियों ने 22 दिसंबर, 2000 को लाल किले पर धावा बोल दिया और किले की रखवाली कर रहे सुरक्षा बलों पर अंधाधुंध गोलियां चलाईं। इसके बाद लश्कर के पांच आतंकवादियों ने 1 जनवरी, 2008 को रामपुर में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के शिविर पर हमला किया था, जिसमें सात कर्मियों और एक रिक्शा चालक की मौत हो गई थी। 26/11 का मुंबई हमला कौन भूल सकता है। इस हमले को अंजाम देने पाकिस्तान के 10 आतंकी अरब सागर के रास्ते मुंबई आए। इनमें से आमिर अजमल कसाब जिंदा पकड़ा गया था, बाकी मारे गए। 
लश्कर ने 12-13 फरवरी 2018 को फिदायीन हमला किया था। हमला श्रीनगर के करण नगर इलाके में सीआरपीएफ (23 बटालियन) के शिविर पर हुआ था, जिसमें सीआरपीएफ का एक जवान शहीद हो गया, जबकि एक पुलिसकर्मी घायल हो गया था। 
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इसके बाद लश्कर ने खानपोरा, बारामूला में 30 मई 2018 को हमला करके तीन नागरिकों की गोली मारकर हत्या कर दी थी। फिर 14 जून 2018 को वरिष्ठ पत्रकार और राइजिंग कश्मीर के प्रधान संपादक शुजात बुखारी और उनके दो निजी सुरक्षा अधिकारियों (पीएसओ) को लश्कर के आतंकवादियों ने गोली मार दी थी। 

सेना ने गुरेज/बांदीपोरा में 7 अगस्त 2018 को नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पास लश्कर-ए-तैयबा के उग्रवादियों की एक बड़ी घुसपैठ की कोशिश को नाकाम कर दिया था। जिसमें सेना के एक मेजर समेत चार जवान शहीद हो गए थे।

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क़मर वहीद नक़वी
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