सलमान रुश्दी अपनी किताबों के जरिए पहचाने जाते हैं। 33 वर्षों से जिस शख्स पर फतवे की तलवार लटक रही हो, उसका लेखन कभी रुका नहीं। उसकी आवाज कभी रुकी नहीं। इस दौरान भारत सहित तमाम देशों के साहित्यिक कार्यक्रमों में उनके आने का विरोध भी होता रहा लेकिन रुश्दी बेधड़क रहे। इन दिनों यूक्रेन में चल रहे युद्ध के दौरान वहां के जो लेखक खतरे में हैं, उन्हें वो अमेरिका लाना चाहते थे। शुक्रवार 12 अगस्त को उन्होंने इस संबंध में एक ईमेल पेन नामक संस्था को लिखा था।