अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को व्हाइट हाउस में इसराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के साथ एक 20-सूत्री ग़ज़ा युद्धविराम प्रस्ताव पेश किया, जिसे उन्होंने ऐतिहासिक बताया। लेकिन इस प्रस्ताव में कई अस्पष्ट प्रावधान हैं, जो फिलिस्तीन और मध्य पूर्व क्षेत्र के भविष्य को गहराई से प्रभावित कर सकते हैं। प्रस्ताव में विस्तृत समयसीमा और स्पष्टता की कमी के कारण विशेषज्ञों ने कई अनुत्तरित सवाल उठाए हैं। अल जजीरा की रिपोर्ट के अनुसार, इस योजना में ग़ज़ा की शासन व्यवस्था, अंतरराष्ट्रीय सेना की भूमिका और फिलिस्तीनी राज्य की संभावना जैसे मुद्दों पर ठोस जवाब नहीं मिले हैं। 

1. ग़ज़ा का शासन कैसे चलेगा? 

ट्रंप के प्रस्ताव में ग़ज़ा के लिए एक "अस्थायी निकाय शासन" का जिक्र है, जो एक "तकनीकी, गैर-राजनीतिक फिलिस्तीनी समिति" द्वारा संचालित होगा। लेकिन इस समिति का गठन कैसे होगा, इसके सदस्यों का चयन कौन करेगा, यह स्पष्ट नहीं है। इसके अलावा, ट्रंप और पूर्व ब्रिटिश प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर के नेतृत्व में एक "शांति बोर्ड" इस समिति की निगरानी करेगा, लेकिन बोर्ड और समिति के बीच संबंध क्या होगा, रोज़ाना के फैसले कौन लेगा, ये सवाल अनुत्तरित हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यह अस्पष्टता शासन के ढांचे को कमजोर बना सकती है।

2. क्या फिलिस्तीनी अथॉरिटी (पीए) को शामिल किया जाएगा? 

प्रस्ताव के अनुसार, एक निकाय या बोर्ड ग़ज़ा को नियंत्रित करेगा जब तक कि फिलिस्तीनी अथॉरिटी (पीए) अपना सुधार कार्यक्रम पूरा न कर ले और "सुरक्षित व प्रभावी ढंग से ग़ज़ा का नियंत्रण न ले ले"। लेकिन पीए की तैयारी को प्रमाणित कौन करेगा, सुधार के लिए कौन से विशिष्ट मानदंड पूरे करने होंगे, और समयसीमा क्या होगी, इनका कोई उल्लेख नहीं है। योजना ग़ज़ा को अलग यूनिट के रूप में देखती है, जबकि फिलिस्तीन को एकीकृत क्षेत्र माना जाता है। नेतन्याहू ने स्पष्ट कहा है, "ग़ज़ा का प्रशासन न तो हमास द्वारा होगा और न ही फिलिस्तीनी अथॉरिटी का," जो योजना को पूरी तरह से अस्पष्ट करते हैं।

3. अंतरराष्ट्रीय सेना का गठन कैसे होगा? 

प्रस्ताव में ग़ज़ा को सुरक्षित करने के लिए एक "अस्थायी अंतरराष्ट्रीय सैन्य बल" का प्रावधान है, लेकिन यह बल कहां से आएगा, कौन से देश सैनिक भेजने को तैयार होंगे और सभी पक्षों के लिए स्वीकार्य होंगे, यह अनिश्चित है। बल का जनादेश, जिम्मेदारियां और इसके नियम क्या होंगे? क्या यह सेना, पुलिस या पर्यवेक्षक बल होगा? क्या यह हमास का मुकाबला करेगा या फिलिस्तीनियों की रक्षा करेगा, जिसमें इसराइली सेना से टकराव भी शामिल हो सकता है, ये सवाल बिना जवाब के हैं।

4. इसराइल कब ग़ज़ा से पीछे हटेगाः ट्रंप योजना कहती है कि इसराइल ग़ज़ा से पीछे हटेगा, लेकिन कोई स्पष्ट समय-सारिणी या स्टैंडर्ड तय नहीं किया गया है। इसराइल "आतंकवादी खतरे से पूरी तरह सुरक्षित" होने तक ग़ज़ा में "सुरक्षा घेरा" बनाए रखेगा, लेकिन ये शर्तें कब पूरी मानी जाएंगी, इसका फैसला कौन करेगा, यह अस्पष्ट है। विशेषज्ञों के अनुसार, यह प्रावधान इसराइल को अनिश्चितकालीन कब्जे की छूट दे सकता है।

5. क्या फिलिस्तीनी राज्य की संभावना है? 

प्रेस कॉन्फ्रेंस में ट्रंप ने कहा, "कई सहयोगी देशों ने फिलिस्तीनी राज्य को मूर्खतापूर्ण तरीके से मान्यता दी... लेकिन वे वास्तव में ऐसा इसलिए कर रहे हैं क्योंकि वे जो हो रहा है उससे थक चुके हैं।" प्रस्ताव में फिलिस्तीनी राज्य का जिक्र शर्तों के साथ है: "जब ग़ज़ा का पुनर्विकास आगे बढ़े और पीए का सुधार कार्यक्रम ईमानदारी से लागू हो, तब फिलिस्तीनी आत्मनिर्णय और राज्य की विश्वसनीय राह के लिए स्थितियां बन सकती हैं, जिसे हम फिलिस्तीनी लोगों की आकांक्षा के रूप में मानते हैं।" लेकिन यह "हो सकती हैं" (may) शब्द पर टिका है, न कि गारंटी पर। योजना फिलिस्तीनी राज्य के अधिकार को मान्यता नहीं देती, बल्कि इसे केवल आकांक्षा बताती है, जो अस्पष्टता को साफ-साफ बढ़ा रही है।

ट्रंप की ग़ज़ा शांति योजना की खास बातें 

  • ग़ज़ा पर एक अस्थायी गैर-राजनीतिक सरकार का शासन होगा और इसराइल इस पट्टी पर कब्ज़ा नहीं करेगा। 
  • ग़ज़ा की अस्थायी सरकार में फ़िलिस्तीनी और दुनिया भर के विशेषज्ञ शामिल होंगे। 
  • दोनों पक्षों द्वारा शांति प्रस्ताव स्वीकार किए जाने और हमास को हथियाररहित करने के बाद, फ़िलिस्तीनियों को ग़ज़ा छोड़ने के लिए मजबूर नहीं किया जाएगा और इसराइली सेना फ़िलिस्तीनी क्षेत्रों से वापसी शुरू कर देगी। 
  • हमास 7 अक्टूबर, 2023 को पकड़े गए सभी बंधकों को, चाहे वे जीवित हों या मृत, रिहा कर देगा। एसोसिएटेड प्रेस के अनुसार, हमास के पास 48 बंधक हैं, जिनमें से 20 के जीवित होने की संभावना है। 
  • इसके बदले में, इसराइल युद्ध शुरू होने के बाद से हिरासत में लिए गए 250 आजीवन कारावास की सजा पाए कैदियों और ग़ज़ा से 1,700 फ़िलिस्तीनियों को रिहा करेगा। 
  • इसराइल प्रत्येक बंधक के शव के बदले 15 फ़िलिस्तीनियों के शव भी सौंपेगा। 
  • शांति प्रस्ताव के स्वीकार होने पर, फौरन युद्धविराम लागू हो जाएगा। इसके अलावा, अमेरिका फ़िलिस्तीनियों और इसराइलियों के बीच सह-अस्तित्व के लिए बातचीत को आसान बनाएगा। 
  • प्रस्ताव में यह भी कहा गया है कि फ़िलिस्तीनी समूह हमास की ग़ज़ा के भविष्य में कोई भूमिका नहीं होगी। हालाँकि नेतन्याहू ने शांति प्रस्ताव स्वीकार कर लिया है, लेकिन हमास ने अभी तक इस शांति योजना पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। 
  • हमास फ़िलिस्तीनी क्षेत्र का नियंत्रण एक "तकनीकी, गैर-राजनीतिक फ़िलिस्तीनी समिति" को सौंप देगा, जो सार्वजनिक सेवाओं के दैनिक संचालन के लिए ज़िम्मेदार होगी। 
  • इस निकाय की देखरेख एक "शांति बोर्ड" द्वारा की जाएगी, जिसकी अध्यक्षता ट्रंप करेंगे और इसमें ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर सहित अन्य विश्व नेता शामिल होंगे। 
  • इसराइल ग़ज़ा के अंदर एक "सुरक्षा उपस्थिति" बनाए रखेगा। इसका मतलब यह हो सकता है कि इसराइल ग़ज़ा के अंदर एक बफर ज़ोन बनाए रखेगा।
यह 20-सूत्री योजना ग़ज़ा में चल रहे संघर्ष को समाप्त करने का प्रयास है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि अस्पष्ट प्रावधानों के कारण इसकी सफलता संदिग्ध है। रिपोर्ट में इसराइली सेना द्वारा ग़ज़ा सिटी में बांटे गए उन पर्चों का जिक्र है, जो निवासियों को वहां से निकलने या जगह छोड़ने का आदेश दे रहे हैं। इससे संघर्ष तो और बढ़ेगा। क्षेत्रीय विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि बिना स्पष्टता के यह योजना केवल कागजी शेर बनकर रह जाएगी।
इस रिपोर्ट से साफ है कि ट्रंप का ग़ज़ा प्लान भले ही शांति की दिशा में कदम हो, लेकिन बिना सवालों का जबवाब मिले यह फिलिस्तीन के भविष्य को और अनिश्चित बना सकता है। क्षेत्रीय शांति के लिए अधिक साफगोई की जरूरत है।

(यह रिपोर्ट अल जजीरा की रिपोर्ट पर आधारित है।)