डोनाल्ड ट्रंप ने अब अमेरिका से बाहर बनने वाली फिल्मों को निशाना बनाया है। उन्होंने कहा कि गैर-अमेरिकी देशों में निर्मित सभी फिल्मों पर 100% टैरिफ लगाया जाएगा। उन्होंने दावा किया कि अन्य देशों ने आकर्षक प्रोत्साहनों के जरिए अमेरिकी फिल्म उद्योग को 'चुरा लिया' है। ट्रंप के इस टैरिफ़ से दुनिया भर की फिल्म इंडस्ट्री पर असर पड़ने की संभावना है। ख़ासकर चीन और भारत की फिल्म इंडस्ट्री काफ़ी प्रभावित हो सकती है। बॉलीवुड और तेलुगु व तमिल जैसे दक्षिण भारतीय सिनेमा के लिए ट्रंप की यह नीति एक बड़ा झटका साबित हो सकती है।

भारत पर इसका कितना असर हो सकता है, इसको जानने से पहले यह जान लें कि ट्रंप की नीति क्या है। ट्रंप की इस घोषणा से पहले ट्रंप ने मई में इसका संकेत दिया था। तब उन्होंने कॉमर्स डिपार्टमेंट और यूएस ट्रेड रिप्रेजेंटेटिव को विदेशी फिल्मों पर भारी टैक्स लगाने की प्रक्रिया शुरू करने की अनुमति दी थी। उस समय उन्होंने इस मुद्दे को आर्थिक और रणनीतिक दोनों बताया था और चेतावनी दी थी कि 'अमेरिकी फिल्म इंडस्ट्री बहुत तेज़ी से खत्म हो रही है।' इसे अन्य देशों की मिली-जुली चाल और इसलिए राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बताते हुए ट्रंप ने कहा था कि यह समस्या सिर्फ़ आर्थिक नहीं है। उन्होंने कहा था, 'यह सब कुछ के अलावा, एक मैसेजिंग और प्रोपेगैंडा भी है!'
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थियेटर और ओटीटी- दोनों फिल्मों पर असर

जानकारों का मानना है कि विदेशी फिल्मों पर लगने वाला टैरिफ डिजिटल रूप से दी जाने वाली सेवा के दायरे में आता है, क्योंकि पहले सिनेमाघरों में 35mm फिल्म प्रिंट का इस्तेमाल होता था, जिन्हें फिजिकल रूप से सिनेमाघरों तक पहुंचाया जाता था और प्रोजेक्टर की मदद से दिखाया जाता था। अब ज़्यादातर स्क्रीन पर फिल्म प्रिंट वाले पारंपरिक प्रोजेक्टर की जगह डिजिटल सिनेमा पैकेज ने ले ली है, इसलिए सीमाओं के पार फिल्मों का थियेटर में वितरण अब एक डिजिटल सेवा बन गई है।

यूएस के बाहर बनी फिल्मों पर टैरिफ का बड़ा असर हो सकता है, क्योंकि फिल्में अब डिजिटल एप्लिकेशन के माध्यम से सीधे उपभोक्ताओं के पर्सनल इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस पर डिजिटल फॉर्मेट में उपलब्ध कराई जा रही हैं। नेटफ्लिक्स, अमेज़न प्राइम और डिज्नी जैसे यूएस के डिजिटल प्लेटफॉर्म इस क्षेत्र में हावी हैं। हालांकि, भारत के ज़ी5, जियोहॉटस्टार, चीन के आईक्यूई, वीयू जैसे अन्य प्रमुख कंटेंट बनाने वाले लोकल प्लेटफॉर्म भी हैं। इन सभी की वैश्विक स्तर पर भी मौजूदगी है।

भारतीय सिनेमा पर प्रभाव

भारतीय फिल्म उद्योग बॉलीवुड और दक्षिण भारतीय सिनेमा के लिए यह नीति एक बड़ा झटका साबित हो सकती है। अमेरिका भारतीय फिल्मों के लिए सबसे बड़े विदेशी बाजारों में से एक है, जहां भारतीय डायस्पोरा की 52 लाख की आबादी यानी अमेरिका की कुल आबादी का 1.6% रहती है। रिपोर्टों के अनुसार भारतीय फिल्में अमेरिकी बॉक्स ऑफिस पर सालाना लगभग 100 मिलियन डॉलर यानी क़रीब 840 करोड़ रुपये का कारोबार करती हैं। हाल के वर्षों में 'पठान', 'जवान', 'आरआरआर' और 'दंगल' जैसी फिल्मों ने अमेरिका में रिकॉर्ड तोड़ प्रदर्शन किया है। 

100% टैरिफ लागू होने से वितरकों की लागत दोगुनी हो जाएगी। 1 मिलियन डॉलर में किसी भारतीय फिल्म के अधिकार खरीदने पर उसकी कुल लागत 2 मिलियन डॉलर हो जाएगी। यानी टैरिफ के कारण टिकट की कीमतें बढ़ सकती हैं, जिससे दर्शक सिनेमाघरों से दूर हो सकते हैं।

भारतीय फिल्में आमतौर पर 700-800 अमेरिकी सिनेमाघरों में रिलीज़ होती हैं, खासकर हिंदी, तेलुगु और तमिल फिल्में अच्छा प्रदर्शन करती हैं। अमेरिकी बाजार भारतीय फिल्मों की कुल विदेशी कमाई का 30-40% हिस्सा है। तेलुगु सिनेमा के लिए यह तेलंगाना जैसे घरेलू क्षेत्रों के बाद दूसरा सबसे बड़ा अंतर्राष्ट्रीय बाजार है जहाँ बड़ी फिल्में अपने कुल बॉक्स ऑफिस कलेक्शन का 25% तक हिस्सा अमेरिका से कमाती हैं।

भारत के लिए प्रभाव का आकार

भारतीय फिल्में अमेरिका में सालाना 100 मिलियन डॉलर का राजस्व उत्पन्न करती हैं। टैरिफ लागू होने से यह बाजार लगभग पूरी तरह से खत्म हो सकता है, क्योंकि वितरक उच्च लागत के कारण भारतीय फिल्मों को रिलीज करने से हिचकेंगे।

वीएफएक्स और सह-निर्माण

"द जंगल बुक", "लाइफ ऑफ पाई" और "एवेंजर्स: एंडगेम" जैसी हॉलीवुड फिल्मों के लिए काम करने वाले भारत के वीएफएक्स स्टूडियो को भी नुकसान होगा। टैरिफ के कारण इन सेवाओं की लागत कई गुना बढ़ जाएगी, जिससे हॉलीवुड स्टूडियो भारतीय स्टूडियो के साथ सहयोग करने से बच सकते हैं।

भारतीय डायस्पोरा के लिए सिनेमाघरों में भारतीय फिल्में देखना सांस्कृतिक जुड़ाव का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। टैरिफ से यह सांस्कृतिक आदान-प्रदान कम हो सकता है, क्योंकि दर्शक स्ट्रीमिंग पर निर्भर हो जाएंगे, जहां भी लागत बढ़ सकती है।
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जवाबी टैरिफ़ का खतरा

यदि भारत या अन्य देश जैसे चीन हॉलीवुड फिल्मों पर जवाबी टैरिफ लगाते हैं तो यह वैश्विक फिल्म उद्योग के लिए और भी नुकसानदायक होगा। दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा फिल्म बाजार चीन ने पहले ही हॉलीवुड फिल्मों की संख्या को सीमित कर दिया है।

अमेरिकी फिल्मों पर भी असर होगा?

उद्योग के विशेषज्ञों ने चिंता जताई है कि यह नीति हॉलीवुड की मदद करने के बजाय नुकसान पहुंचा सकती है। डिज्नी, पैरामाउंट और वार्नर ब्रदर्स जैसे कई अमेरिकी स्टूडियो लागत कम करने के लिए अक्सर विदेशों में शूटिंग करते हैं। जानकारों का कहना है कि इस कदम से महामारी से उबर रही कंपनियों को और नुकसान हो सकता है।
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हालाँकि, इस पर अभी यह साफ़ नहीं है कि पूरी फिल्म अमेरिका में बनी होने और सिर्फ़ कुछ सीन विदेशों में शूट होने पर क्या उसपर टैरिफ़ लगेगा? मिसाल के तौर पर आगामी फिल्म 'मिशन: इम्पॉसिबल - द फाइनल रेकनिंग' यूके और नॉर्वे जैसे स्थानों पर शूट की गई है। क्या इसे भी टैरिफ का सामना करना पड़ेगा?

ट्रंप का 100% टैरिफ का फैसला भारतीय सिनेमा के लिए एक गंभीर चुनौती है, जो अमेरिकी बाजार में अपनी मजबूत उपस्थिति खो सकता है। यह नीति न केवल भारत, बल्कि वैश्विक फिल्म उद्योग को प्रभावित कर सकती है और जवाबी टैरिफ के खतरे को बढ़ा सकती है।