अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ग़ज़ा के लिए प्रस्तावित 20-सूत्री शांति योजना को हमास ने शुक्रवार को स्वीकार कर लिया। इसके बाद ट्रंप ने इसराइल से ग़ज़ा पर बमबारी रोकने को कहा है। हालांकि इसके बावजूद इसराइल ने ग़ज़ा में कई स्थानों पर शनिवार को बमबारी की और सात लोगों की हत्या कर दी। हमास ने सभी इसराइली बंधकों (जीवित और मृत दोनों) को रिहा करने तथा ग़ज़ा पट्टी की प्रशासनिक सत्ता को एक स्वतंत्र फिलिस्तीनी तकनीकी विशेषज्ञों की समिति को सौंपने पर सहमति दे दी है। यह घोषणा इसराइल की ग़ज़ा पर चल रही सैन्य कार्रवाई को समाप्त करने और इसराइली सेनाओं की पूर्ण वापसी सुनिश्चित करने के उद्देश्य से की गई है।
हमास के प्रवक्ता ने एक बयान जारी कर कहा, "हमास मध्यस्थों के जरिए इस समझौते पर फौरन बातचीत को तैयार है।" बयान में आगे कहा गया, "ट्रंप के प्रस्ताव में ग़ज़ा पट्टी के भविष्य और फिलिस्तीनियों के वैध अधिकारों से जुड़े अन्य मुद्दे जो अंतरराष्ट्रीय कानूनों और संकल्पों से जुड़े हैं... इन्हें हमास की जिम्मेदार भागीदारी के साथ एक व्यापक फिलिस्तीनी राष्ट्रीय ढांचे के माध्यम से हल किया जाएगा।"

ग़ज़ा में इसराइली नरसंहार अभी भी जारी 

ट्रंप द्वारा बमबारी रोकने का निर्देश देने और हमास के शांति के लिए तैयार होने की घोषणा के कुछ ही घंटों बाद, इसराइल ने शनिवार को ग़ज़ा में नए हमले किए, जिसमें सात लोग मारे गए। स्थानीय अधिकारियों के अनुसार, ग़ज़ा शहर में एक घर पर इसराइली हमला हुआ, जिसमें चार लोग मारे गए, जबकि दक्षिणी ग़ज़ा के खान यूनिस में एक अन्य हमले में तीन अन्य मारे गए। ये हमले इसराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के कार्यालय द्वारा यह कहे जाने के तुरंत बाद हुए कि इसराइल ट्रंप की ग़ज़ा योजना के पहले चरण को "फौरन लागू" करने तैयारी कर रहा है। जिसमें हमास द्वारा इसराइली बंधकों की रिहाई शामिल है। बाद में इसराइली मीडिया ने बताया कि देश के राजनीतिक नेतृत्व ने सेना को इस क्षेत्र में आक्रामक अभियानों को कम करने का निर्देश दिया है।
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ट्रप ने हमास को रविवार तक का समय दिया था

ट्रंप की योजना, जिसमें तत्काल युद्धविराम, बंधकों और फिलिस्तीनी कैदियों का आदान-प्रदान, चरणबद्ध इसराइली सेना की वापसी, हमास को बेहथियार करना, अंतरराष्ट्रीय निकाय के नेतृत्व में एक अस्थायी सरकार की स्थापना शामिल है। यह प्रस्ताव पिछले सप्ताह अरब और मुस्लिम देशों को पेश किया गया था। योजना को प्रमुख अरब और यूरोपीय ताकतों का समर्थन प्राप्त है, लेकिन हमास को इसमें शामिल नहीं किया गया था। ट्रंप ने सोशल मीडिया पर चेतावनी देते हुए कहा था, "हर देश ने हस्ताक्षर कर दिए हैं! यदि यह अंतिम अवसर वाला समझौता नहीं होता है, तो फिर हमास पर कहर टूट पड़ेगा।" उन्होंने हमास को रविवार तक प्रस्ताव स्वीकार करने का अल्टीमेटम दिया था।
इसराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने व्हाइट हाउस में ट्रंप के साथ बैठक के दौरान योजना का समर्थन किया था। उन्होंने कहा था कि यह योजना इसराइल के युद्ध टारगेट को पूरा करती है। हमास ने योजना के उन प्रावधानों की सराहना की है जो युद्ध समाप्ति, फिलिस्तीनी कैदियों की रिहाई, ग़ज़ा में सहायता बढ़ाने, पट्टी पर कब्जे को खारिज करने तथा फिलिस्तीनियों के विस्थापन का विरोध करने से जुड़े हैं। हालांकि, बयान में हमास के निरस्त्रीकरण जैसे प्रमुख मुद्दे का जिक्र नहीं किया गया, जो योजना की एक महत्वपूर्ण शर्त है। हमास ने कहा कि सत्ता हस्तांतरण फिलिस्तीनी राष्ट्रीय सर्वसम्मति पर आधारित होगा तथा अरब और इस्लामी संस्थाओं का समर्थन प्राप्त करेगा।
यह घटनाक्रम 7 अक्टूबर 2023 को हमास के इसराइल पर हमले के बाद से चली आ रही जंग के संदर्भ में महत्वपूर्ण है। इसराइल में इस हमले में 1,195 लोगों की मौत हुई थी, जिनमें 815 इसराइली नागरिक शामिल थे। इसके जवाब में इसराइल की सैन्य कार्रवाई से ग़ज़ा में 66,300 से अधिक मौतें हो चुकी हैं। हमास के पास अभी भी इसराइली बंधक हैं, जबकि इसराइल के पास फिलिस्तीनी कैदी हैं। पिछले प्रयासों में, मिस्र जैसे अरब देशों की मध्यस्थता विफल रही है, जो युद्ध समाप्ति या बंधकों की रिहाई में सफल नहीं हो सकी। ट्रंप की योजना के बिना हमास की भागीदारी के कारण विभिन्न पक्षों से हमास पर दबाव बढ़ा हुआ था।

ट्रंप प्लान हमास के स्वीकार करने पर मोदी बहुत खुश हैं 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को ग़ज़ा में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भूमिका का स्वागत किया। यह बात हमास द्वारा बंधकों को रिहा करने और ट्रंप की योजना के कुछ हिस्सों को स्वीकार करने की इच्छा के संकेत के बाद कही गई। प्रधानमंत्री मोदी ने एक्स पर एक बयान में शनिवार सुबह कहा, "ग़ज़ा में शांति प्रयासों में निर्णायक प्रगति के बीच हम राष्ट्रपति ट्रंप के नेतृत्व का स्वागत करते हैं। बंधकों की रिहाई के संकेत एक महत्वपूर्ण कदम हैं।" नई दिल्ली के रुख को दोहराते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत "स्थायी और न्यायपूर्ण शांति की दिशा में सभी प्रयासों का दृढ़ता से समर्थन करता रहेगा।" मोदी ने मिडिल ईस्ट में स्थिरता और सुलह के महत्व को रेखांकित किया।

दुनिया के तमाम देशों ने हमास की घोषणा का स्वागत किया है। यूरोपीय देशों ने कहा कि ग़ज़ा में अब ज़ुल्म खत्म होगा और वहां के बेकसूर लोगों को राहतभरी जिन्दगी नसीब होगी।
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अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने ट्रंप के प्रस्ताव का स्वागत किया है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि हमास के निरस्त्रीकरण और फिलिस्तीनी अधिकारों पर बातचीत ही सच्ची शांति सुनिश्चित कर सकती है। मध्यस्थों के साथ आगामी वार्ताओं पर सभी की नजरें टिकी हैं, जो इस लंबे संघर्ष को समाप्त करने की दिशा में एक नया मोड़ साबित हो सकती हैं।