डोनाल्ड ट्रंप ने इसराइल-ग़ज़ा संघर्ष को खत्म करने के लिए 21-सूत्री शांति योजना पेश की, जिसमें इसराइल के पीछे हटने और हमास द्वारा हथियार डालने का प्रस्ताव शामिल है। क्या दोनों इससे सहमत होंगे?
अमेरिका ने ग़ज़ा में चल रहे युद्ध को ख़त्म करने और भविष्य में एक फिलिस्तीनी राज्य की स्थापना के लिए एक व्यापक 21-सूत्री शांति योजना का खुलासा किया है। इस प्रस्ताव में इसराइल द्वारा ग़ज़ा से सैन्य वापसी, हमास द्वारा पूर्ण निशस्त्रीकरण, बंधकों की तत्काल रिहाई और ग़ज़ा के पुनर्निर्माण जैसे प्रमुख बिंदु शामिल हैं। टाइम्स ऑफ इसराइल ने यह रिपोर्ट दी है।
रिपोर्ट के अनुसार यह योजना संयुक्त राष्ट्र महासभा यानी यूएनजीए के सत्र के दौरान कुछ अरब और मुस्लिम देशों के साथ साझा की गई। इसे अमेरिकी विशेष दूत स्टीव विटकॉफ ने तैयार किया है। यह योजना अमेरिकी नीति में एक अहम बदलाव को दिखाती है, क्योंकि यह ग़ज़ा के निवासियों को वहाँ रहने के लिए प्रोत्साहित करती है और एक फिलिस्तीनी राज्य की स्थापना की दिशा में एक रोडमैप पेश करती है।
21-सूत्री योजना में क्या खास
इस 21-सूत्री योजना में कई अहम प्रावधान शामिल हैं, जो इसराइल और फिलिस्तीनियों दोनों के लिए अहम हैं।
बंधकों की रिहाई और युद्धविराम: योजना के अनुसार, हमास द्वारा बंधक बनाए गए सभी बंधकों को समझौते के 48 घंटों के भीतर रिहा किया जाएगा। इसके बदले में इसराइल को ग़ज़ा से अपनी सेना को चरणबद्ध तरीके से वापस बुलाना होगा और एक स्थायी युद्धविराम लागू करना होगा।
हमास का निशस्त्रीकरण: हमास को पूरी तरह से अपने हथियार डालने होंगे और उसे ग़ज़ा के शासन में कोई भूमिका नहीं दी जाएगी। इसके साथ ही, ग़ज़ा को पूर्ण रूप से निशस्त्र क्षेत्र बनाया जाएगा, जिसमें सभी आक्रामक सैन्य बुनियादी ढांचे को नष्ट किया जाएगा।
मानवीय सहायता और पुनर्निर्माण: समझौते के बाद, ग़ज़ा में मानवीय सहायता की आपूर्ति में तेजी लाई जाएगी, जिसमें प्रतिदिन कम से कम 600 ट्रक सहायता सामग्री शामिल होगी, जैसा कि जनवरी 2025 के बंधक समझौते में निर्धारित किया गया था। संयुक्त राष्ट्र और रेड क्रिसेंट जैसे तटस्थ अंतरराष्ट्रीय संगठन सहायता वितरण का प्रबंधन करेंगे।
21 सूत्रीय योजना के अनुसार मानवीय सहायता व पुनर्निर्माण में इसराइल या हमास का कोई हस्तक्षेप नहीं होगा। इसके अलावा, ग़ज़ा के बुनियादी ढांचे के पुनर्निर्माण और मलबे को हटाने के लिए उपकरणों की आपूर्ति की जाएगी।
फिलिस्तीनी कैदियों की रिहाई: बंधकों की रिहाई के बाद इसराइल कई सौ फिलिस्तीनी सुरक्षा कैदियों और युद्ध शुरू होने के बाद से हिरासत में लिए गए 1000 से अधिक ग़ज़ा निवासियों को रिहा करेगा। इनमें आजीवन कारावास की सजा काट रहे कैदी भी शामिल हैं। साथ ही, सैकड़ों फिलिस्तीनी शवों को भी वापस किया जाएगा।
हमास सदस्यों के लिए माफी और सुरक्षित मार्ग: हमास के उन सदस्यों को माफी दी जाएगी जो शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के लिए प्रतिबद्धता जताएंगे। जो लोग ग़ज़ा छोड़ना चाहेंगे, उन्हें स्वीकार करने वाले देशों में सुरक्षित रास्ता दिया जाएगा।
अंतरिम शासन और सुरक्षा व्यवस्था: ग़ज़ा का शासन एक अस्थायी अंतरिम प्रशासन द्वारा संचालित किया जाएगा, जिसमें फिलिस्तीनी टेक्नोक्रेट्स शामिल होंगे, जो दैनिक सेवाओं और सुविधाओं के लिए जिम्मेदार होंगे। अमेरिका, अरब और अंतरराष्ट्रीय साझेदारों के सहयोग से एक अस्थायी अंतरराष्ट्रीय स्थिरीकरण बल तैनात किया जाएगा, जो सुरक्षा की देखरेख करेगा और एक दीर्घकालिक फिलिस्तीनी पुलिस बल को प्रशिक्षित करेगा।
फिलिस्तीनी राज्य की दिशा में रोडमैप: योजना में ग़ज़ा के पुनर्विकास और फिलिस्तीनी प्राधिकरण में सुधारों के बाद एक फिलिस्तीनी राज्य की स्थापना की संभावना का उल्लेख है। यह अमेरिकी नीति में एक बड़ा बदलाव है, क्योंकि ट्रंप प्रशासन ने पहले दो-राज्य समाधान का समर्थन करने से परहेज किया था।
वेस्ट बैंक और यरुशलम: योजना में यह सुनिश्चित किया गया है कि इसराइल वेस्ट बैंक को शामिल नहीं करेगा और यरुशलम में वर्तमान स्थिति को बनाए रखा जाएगा। यह अरब नेताओं की प्रमुख मांगों में से एक थी।
कतर पर हमले नहीं: योजना में यह भी उल्लेख है कि इसराइल भविष्य में कतर पर हमले नहीं करेगा, जो ग़ज़ा संघर्ष में मध्यस्थ की महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
अमेरिकी नीति में बदलाव
यह योजना अमेरिकी नीति में एक अहम बदलाव को दिखाती है। फरवरी 2025 में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यह कहकर दुनिया को चौंका दिया था कि अमेरिका ग़ज़ा पर नियंत्रण ले सकता है और इसके लगभग 20 लाख निवासियों को स्थायी रूप से स्थानांतरित कर सकता है। हालांकि, नई योजना में ग़ज़ा के निवासियों को वहां रहने के लिए प्रोत्साहित किया गया है और उन्हें बेहतर भविष्य के अवसर देने की बात कही गई है। इसके अलावा, फिलिस्तीनी राज्य की स्थापना की संभावना का उल्लेख ट्रम्प प्रशासन की पहले की नीति से एक उल्लेखनीय बदलाव है।
रिपोर्ट है कि इस योजना को संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, कतर, मिस्र, जॉर्डन, तुर्की, इंडोनेशिया और पाकिस्तान जैसे देशों के नेताओं के साथ साझा किया गया। अमेरिकी विशेष दूत स्टीव विटकॉफ ने न्यूयॉर्क में कॉनकॉर्डिया शिखर सम्मेलन में कहा, 'हमने इसे ट्रंप 21-सूत्री मध्य पूर्व और ग़ज़ा में शांति योजना कहा है। मुझे लगता है कि यह इसराइल की चिंताओं के साथ-साथ क्षेत्र के सभी पड़ोसियों की चिंताओं को संबोधित करता है।' उन्होंने यह भी कहा कि वह आशावादी और आत्मविश्वास से भरे हैं कि आने वाले दिनों में कोई न कोई सफलता मिल सकती है।
हालांकि, इसराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ऐसी योजना का विरोध करते रहे हैं। उन्होंने हाल में कहा था, '7 अक्टूबर के हमले के बाद यरुशलम से एक मील दूर एक फिलिस्तीनी राज्य बनाना, 9/11 के बाद न्यूयॉर्क से एक मील दूर अल-कायदा राज्य बनाने जैसा है। यह पूरी तरह पागलपन है, और हम इसे कभी स्वीकार नहीं करेंगे।'
हमास और इसराइल की स्थिति
हमास ने अभी तक इस प्रस्ताव पर कोई आधिकारिक जवाब नहीं दिया है। एक सूत्र के अनुसार, हमास ने कहा कि उसे कोई नया प्रस्ताव प्राप्त नहीं हुआ है। हालांकि, हमास ने पहले की युद्धविराम योजनाओं को खारिज करते हुए कहा था कि वे इसराइल के पक्ष में अधिक झुकी हुई थीं और उनकी मांगों को पूरा नहीं करती थीं।
अमेरिका की 21-सूत्री शांति योजना ग़ज़ा में चल रहे युद्ध को समाप्त करने और क्षेत्र में दीर्घकालिक शांति स्थापित करने की दिशा में एक अहम कदम हो सकती है। हालांकि, इसराइल और हमास के बीच गहरे मतभेदों और नेतन्याहू की सरकार के कट्टरपंथी रुख को देखते हुए इस योजना को लागू करना एक बड़ी चुनौती होगी। ट्रंप प्रशासन की आशावादी टिप्पणियों और अरब नेताओं के समर्थन के बावजूद इस योजना की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि क्या दोनों पक्ष इस पर सहमत हो सकते हैं और इसे लागू करने के लिए ठोस कदम उठा सकते हैं।