दयाशंकर शुल्क सागर वरिष्ठ पत्रकार हैं, वह समसामयिक विषयों पर लिखते रहते हैं।
बाबरी मसजिद-राम मंदिर सिर्फ़ राजनीतिक मुद्दा नहीं था। इससे जुड़ी हुई थी करोड़ों लोगों की भावनाएँ। मुसलमानों ने ख़ुद इस पर दावा छोड़ दिया होता तो उनका सिर ऊँचा होता और शर्मसार होते मसजिद ढहाने वाले।