असम विधानसभा चुनाव की आहट के साथ सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का खेल शुरू हो गया है। दस साल से सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने एक एआई-जनरेटेड वीडियो जारी किया है जिससे माहौल गरमा गया है। इस वीडियो में दावा किया गया है कि बीजेपी की सरकार न रही तो असम में मुस्लिमों की आबादी 90 फ़ीसदी हो जाएगी। लोकसभा में विपक्ष के उपनेता और असम प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गौरव गोगोई को "पाकिस्तानी गुर्गा" बताया गया है। तमाम सवालों से घिरी मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा की सरकार ने बचाव का यही रास्ता लिया है। समाज नदियों और हवाओं के प्रदूषण पर चिंता जताता है, लेकिन दिमाग को जहरीला बनाने वाले इस अभियान का क्या नतीजा निकलेगा, समझना मुश्किल हीं है।

2026 का रण

असम में अगले विधानसभा चुनाव मार्च-अप्रैल 2026 में होंगे, जब वर्तमान विधानसभा का कार्यकाल 2 मई 2026 को समाप्त होगा। पिछले पांच साल से हिमंता बिस्वा सरमा मुख्यमंत्री हैं। 2021 में बीजेपी-नीत एनडीए ने 126 में से 75 सीटें जीती थीं, और अब 95 सीटों का लक्ष्य है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए बीजेपी ने सांप्रदायिक तनाव भड़काने का फ़ैसला लिया है। इस संदर्भ में जो एआई वीडियो जारी हुआ है, वह झूठ का पुलिंदा है।

विवादित एआई वीडियो

15 सितंबर 2025 को असम बीजेपी के आधिकारिक X हैंडल से पोस्ट किए गए वीडियो का टाइटल है "असम विदाउट बीजेपी"। इसमें दिखाया गया है कि अगर बीजेपी सत्ता में नहीं रही, तो:
  • असम में मुस्लिम बहुमत हो जाएगा।
  • अवैध प्रवासी आसानी से सीमा पार करेंगे।
  • हिंदू अपनी जमीन खो देंगे।
  • चाय बागान, एयरपोर्ट, स्टेडियम पर बुर्का पहने महिलाएं और टोपी वाले पुरुष दिखाई देंगे।
  • कांग्रेस नेता राहुल गांधी और गौरव गोगोई को पाकिस्तान से जोड़ा गया।
  • गोमांस बिक्री को लीगल करने का डर दिखाया गया।
वीडियो "90% मुस्लिम आबादी" की हेडलाइन के साथ खत्म होता है और वोटरों से "सावधानी से वोट" देने की अपील करता है। बीजेपी ने इसे टैगलाइन दी: "हम पैजान के इस सपने को साकार नहीं होने दे सकते!" पैजान यानी "पाकिस्तानी गुर्गा", और इशारा गौरव गोगोई की ओर है। यह नफरत की सियासत की पराकाष्ठा है। अगर लोकसभा का उपनेता "पाकिस्तानी" है, तो केंद्र सरकार चुप क्यों?

कांग्रेस ने इस वीडियो को "सांप्रदायिक घृणा फैलाने वाला" बताया। गौरव गोगोई ने कहा, “बीजेपी आईटी सेल द्वारा रचे गए शब्दों, कार्रवाइयों और छवियों में असमिया समाज के सतह को खरोंचने की ताकत भी नहीं है... हम एक ऐसे असम को देखना चाहते हैं जहां कड़ी मेहनत नफरत पर भारी पड़े, शालीनता अहंकार पर, लोकतंत्र तानाशाही को कुचल दे और हर किसी का सम्मान हो।” कांग्रेस ने X पर चुनाव आयोग को टैग कर शिकायत की और पुलिस में केस दर्ज करने की पहल की है। 

असम के आँकड़े

असम में दस सालों से डबल इंजन की बीजेपी सरकार है। इस बीच असम को कितनी ऊंचाई दी है, यह आँकड़ों से पता चलता है:
  • गरीबी: असम देश का सातवां सबसे गरीब राज्य है, जहां 32.07% आबादी गरीबी रेखा से नीचे है।
  • प्रति व्यक्ति आय: ₹1,54,221, जो राष्ट्रीय औसत ₹1,72,000 से कम। असम 20वें स्थान पर।
  • साक्षरता: 72.2% (राष्ट्रीय: 74%)।
  • शिक्षा: NITI Aayog के अनुसार, स्कूल शिक्षा में D ग्रेड, 36 राज्यों में 27वां रैंक।
  • बेरोजगारी: 10%+ (राष्ट्रीय: 4.9%), 21 लाख से ज्यादा शिक्षित बेरोजगार।

बढ़ता जनाक्रोश

असम की समस्याएं केवल आर्थिक नहीं हैं। जनता में आक्रोश बढ़ रहा है:
बाढ़ और कटाव: हर साल ब्रह्मपुत्र की बाढ़ 40 लाख लोगों को प्रभावित करती है। फसलें नष्ट, घर उजड़ते हैं। 2025 में हजारों लोग सड़कों पर उतरे, सरकार पर "वादों तक सीमित" रहने का आरोप।

ST मााँग: कोच-राजबोंगशी, मोरान जैसे 6 समुदाय ST स्टेटस मांग रहे हैं। सितंबर 2025 में धुबरी में 12 घंटे का बंद, 100+ लोग घायल। AKRSU ने टॉर्च मार्च निकाला, लेकिन सरकार चुप है। यह असम मूवमेंट की याद दिलाता है।


बीजेपी के दावे vs हकीकत

दावा: "90% मुस्लिम आबादी होगी।"

हकीकत: 2011 जनगणना के मुताबिक़ मुस्लिम आबादी 34% है। मुस्लिम TFR (कुल प्रजनन दर) 2.4,  और हिंदुओं की 1.6 है। राष्ट्रीय TFR (मुस्लिम) 2.36, 1992-93 में 4.4 से 46.5% कमी। यानी किसी सूरत में 90% मुस्लिम आबादी संभव नहीं है। 

घुसपैठ का दावा: बीजेपी कहती है, बांग्लादेशी घुसपैठ बड़े पैमाने पर। लेकिन यह केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है। अगर घुसपैठ हो रही है, तो गृहमंत्री अमित शाह जवाबदेह क्यों नहीं?

NRC नतीजे: 2019 में 19 लाख नाम कटे। 12 लाख हिंदू, 7 लाख मुस्लिम। इन्हें बांग्लादेशी बताया गया है। बीजेपी हिंदुओं को CAA से "शरणार्थी" का दर्जा दे रही, लेकिन असम अस्मिता को लेकर आंदोलन चलाने वालों की माँग है कि सभी बांग्लादेशी (हिंदू-मुस्लिम) निकाले जायें।

बीफ बैन: बीजेपी का दावा कि उनकी सरकार न रही तो बीफ बैन हटेगा।

हकीकत: 2021 से हिंदू बहुल क्षेत्रों और मंदिरों के 5 किमी दायरे में बैन। 2024 में सार्वजनिक उपभोग पर पूर्ण बैन। लेकिन मुस्लिम/ईसाई क्षेत्रों और घरों में खाना वैध। बीजेपी शासित गोवा, अरुणाचल, नागालैंड, मेघालय में कोई बैन नहीं।

नफरत की सियासत

साफ़ है कि बीजेपी झूठे आँकड़ों के आधार पर एआई वीडियो बना रही है। यानी बीजेपी अपनी नाकामियों को छिपाने के लिए सांप्रदायिक गोलबंदी करना चाहती है। लेकिन क्या इससे असम का भला होगा? हाल में चीन ने एक ग्लू खोजा, जो टूटी हड्डियों को जोड़ देता है, बिना प्लास्टर के। लेकिन भारत की सियासत का जहर न केवल हड्डियां, बल्कि दिल भी तोड़ता है।

सच सामने है। फैसला जनता का है – एकजुट भारत चाहिए, या टूटा-फूटा, अवसादग्रस्त भारत? 

गोरख पांडेय की एक कविता है-

"इस बार दंगा बहुत बड़ा था

ख़ूब हुई ख़ून की बारिश

अगले साल

अच्छी होगी फ़सल मतदान की!"