हालांकि संगठन की वेबसाइट पर दर्ज है कि बजरंग दल का जन्म 8 अक्टूबर, 1984 को हुआ था। कुछ हिंदू संत अयोध्या से राम-जानकी रथ यात्रा पर निकले थे। उसी दौरान इसका गठन हुआ। वेबसाइट पर दर्ज है कि जब उस समय की यूपी सरकार ने रथ यात्रा को सुरक्षा देने से इनकार कर दिया तो वीएचपी ने कुछ युवाओं को इस काम पर लगाया। सैकड़ों युवा अयोध्या में जमा हुए। उन्होंने अपनी जिम्मेदारी बहुत अच्छे तरीके से निभाई। इस तरह बजरंग दल का गठन यूपी के युवाओं को जगाने और राम जन्म भूमि आंदोलन में उनकी भागीदारी के मकसद से किया गया था।
बीजेपी आगे आ गई, बाकी पीछे
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट बताती है कि अयोध्या का केस अदालत में पहुंच गया और बीजेपी ने इस मुद्दे को राजनीतिक रूप से भुनाना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे वीएचपी और बजरंग दल जैसे संगठन सुर्खियों से बाहर हो गए। विनय कटियार जैसे लोगों ने ही इसको लेकर असंतोष जताया लेकिन आरएसएस की ओर से उन्हें शांत कराकर अपना काम जारी रखने को कहा गया है। उस समय बजरंग दल के कई सदस्यों ने भाजपा के खिलाफ संघ नेतृत्व से शिकायत की कि उन्हें इस्तेमाल करके फेंक दिया गया है।कुछ विवादास्पद घटनाएं
बजरंग दल कई बार हिंसक विरोध प्रदर्शनों के लिए खबरों में रहा है। अपने अस्तित्व के लगभग 40 वर्षों में, इस पर "अवैध धर्मांतरण" और "लव जिहाद" के मुद्दों पर ईसाइयों और मुसलमानों को परेशान करने का कई बार आरोप लगाया गया है। अतीत में, यहां तक कि भाजपा के बड़े नेताओं ने भी संघ परिवार से इसे रोकने के लिए आग्रह किया था।“
ग्राहम स्टेंस और उनके बच्चों को जिन्दा जलायाः हालांकि बजरंग दल का अब नारा है- 'सेवा, सुरक्षा और संस्कार।' लेकिन ओडिशा (उड़ीसा) की घटना ने इस संगठन की छवि को तार-तार कर दिया। ओडिशा के क्योंझर जिले के मनोहरपुर गांव में 22-23 जनवरी, 1999 की दरम्यानी रात, 58 साल के ऑस्ट्रेलियाई ईसाई मिशनरी, ग्राहम स्टेन्स को उनके दो बेटों - 10 वर्षीय फिलिप्स और 7 वर्षीय टिमोथी को जिन्दा जलाकर मार डाला गया।
ग्राहम स्टेन्स 1965 में ऑस्ट्रेलिया से भारत आए थे, एक ईसाई मिशनरी थे। वो करीब तीन दशकों से ओडिशा के मयूरभंज जिले में कुष्ठ रोगियों के साथ रहकर उनके लिए काम कर रहे थे। उनके परिवार ने बारीपदा में एक कुष्ठ होम खोला था। आदिवासियों और सफेद दाग से पीड़ित लोगों के बीच उनका काम मशहूर था।
4 हत्याओं का राज नहीं खुला
कर्नाटक में पत्रकार गौरी लंकेश, गोविंद पनसारे, नरेंद्र दाभोलकर और डॉ एमएम कलबुर्गी की हत्याओं में दक्षिणपंथी संगठनों के नाम आए थे। ये चारो लोग अपने-अपने इलाकों में मूर्ति पूजा और हिन्दू संगठनों के खिलाफ बोलते रहते थे। इन हत्याओं की सही तरह से जांच नहीं हुई। शक की सुई कई पर घूमती रही है।कर्नाटक में हथियार ट्रेनिंग कैंप
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक मई 2022 में कर्नाटक के कोडागु जिले में स्कूल अधिकारियों और 'हथियारों का प्रशिक्षण शिविर' आयोजित करने वाले बजरंग दल के नेताओं के खिलाफ नोटिस जारी करने वाले पुलिस अधिकारी को हटा दिया गया। गोनिकोप्पा सर्कल इंस्पेक्टर एस.एन. जयराम ने शिविर आयोजित करने के मामले में शिकायत पर कार्रवाई की थी। उसके बाद उनका तबादला कर दिया गया। उन्हें कर्नाटक लोकायुक्त में ट्रांसफर किया गया है। इस राज्य में सजा वाली पोस्टिंग मानी जाती है। यानी बजरंग दल के हथियार ट्रेनिंग कैंप की जांच की जुर्रत करने वाले इंस्पेक्टर को यह एक तरह की सजा दी गई है।शिविर की तस्वीरों और वीडियो में युवक हवाई फायरिंग करते नजर आ रहे हैं, कुछ त्रिशूलनुमा छोटा चाकू चलाना सीख रहे हैं। ट्रेनिंग कैंप के फोटो जब सोशल मीडिया पर दिखे तो लोगों ने जबरदस्त आलोचना की। शिविर के दौरान, जिसमें 100 से अधिक लोगों ने भाग लिया, त्रिशूल जैसे हथियार वितरित किए गए थे।
किसने जलाया दोनों को
फरवरी 2023 में हरियाणा के भिवानी में एक जले हुए वाहन के अंदर दो जले हुए शव मिले। इस घटना से एक दिन पहले ही राजस्थान में एक परिवार ने एफ़आईआर दर्ज कराई थी कि दो व्यक्ति जुनैद और उसके दोस्त नासिर लापता हो गए हैं। परिवार ने आरोप लगाया है कि दोनों अपनी कार से जा रहे थे तो बजरंग दल के सदस्यों द्वारा उनका अपहरण कर लिया गया था। एफआईआर दर्ज कराने वाले जुनैद के चचेरे भाई इस्माइल ने कहा कि शव जुनैद और नासिर के थे और उनकी हत्या की गई थी। इसी मामले में मोनू मानेसर का नाम आया था। बाद में पूरा मामला दब गया। मानू मानेसर पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार एफआईआर में नामित बजरंग दल सदस्यों में से एक मोहित यादव उर्फ मोनू मानेसर ने सोशल मीडिया पर जारी वीडियो में आरोप से इनकार किया था और मामले में शामिल लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की थी।पठान फिल्म के दौरान तोड़फोड़ः जनवरी में शाहरुख खान की फिल्म पठान की रिलीज के मौके पर गुजरात समेत कई राज्यों में सिलेमा घरों में तोड़फोड़ की गई थी। उसमें भी बजरंग दल के स्थानीय नेताओं के नाम आए थे। किसी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। पठान फिल्म के एक गाने में कथित तौर पर भगवा रंग दिखाए जाने पर बजरंग दल और कई हिन्दू संगठनों ने आपत्ति की थी। बाद में उस चर्चित गाने बेशरम रंग से भगवा रंग हटा दिया गया। इस विवाद और विरोध के कारण पठान फिल्म को अपार सफलता मिली और उसने जबरदस्त कमाई की।
कॉलेज में घुसकर पीटा
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक नवंबर 2022 में वीएचपी और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने सूरत के महावीर कॉलेज में घुसकर दो मुसलिम छात्रों को पीट दिया। उनके द्वारा किए गए हमले का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। विहिप और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं का आरोप था कि दोनों मुसलिम छात्र लव जिहाद कर रहे हैं। हालांकि कॉलेज के प्रबंधन ने इस तरह के आरोपों से पूरी तरह इनकार किया था। सभी हमलावर मास्क पहनकर कॉलेज में घुसे थे और उन्होंने मुसलिम छात्रों की बुरी तरह पिटाई की। हमलावरों की संख्या 15 से 20 बताई गई थी।मॉल में नमाज पर आपत्तिः हाल ही में लखनऊ और भोपाल के मॉल में नमाज पढ़े जाने को लेकर बजरंग दल ने मुद्दा बनाया। उसके कार्यकर्ताओं ने दोनों शहरों में संबंधित मॉल में जाकर जबरन हनुमान चालीसा का पाठ किया। हालांकि पुलिस ने आपत्ति जताते हुए उन्हें वहां से हटाया लेकिन कार्रवाई नहीं की गई। पुलिस का कहना था कि मॉल संचालकों को इसके लिए लिखित शिकायत करना होगी। यूपी और एमपी में बीजेपी सरकार है। ऐसे में कौन मॉल मालिक बजरंग दल की शिकायत करेगा।
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