बिहार की राजनीति में एक बार फिर तूफान उठ खड़ा हुआ है। पूर्व उपमुख्यमंत्री और इंडिया गठबंधन के अघोषित मुख्यमंत्री पद के दावेदार तेजस्वी यादव ने रोजगार को लेकर ऐसा वादा किया है, जिसने एनडीए के तमाम दावों को हाशिए पर धकेल दिया है। तेजस्वी ने ऐलान किया कि उनकी सरकार बनने पर बिहार के हर परिवार को एक सरकारी नौकरी दी जाएगी। यह वादा न केवल बिहार की दुखती रग को छेड़ रहा है, बल्कि रोजगार को मौलिक अधिकार बनाने की बहस को भी नयी धार दे सकता है। लेकिन सवाल यह भी है कि तेजस्वी का यह वादा हकीकत कैसे बन सकता है? क्या बिहार की मौजूदा आर्थिक स्थिति इसके लिए तैयार है? और क्या यह एनडीए के सांप्रदायिक ध्रुवीकरण और आर्थिक प्रलोभनों की रणनीति को पछाड़ देगा?