क्या इंसान की आर्थिक तरक्की धरती पर जीवन को मुश्किल बना रही है? एक नई रिपोर्ट कहती है कि धरती को प्रदूषित करने में अमीर लोग सबसे आगे हैं। बुधवार को जारी ‘क्लाइमेट इनइक्वैलिटी रिपोर्ट 2025’ (Climate Inequality Report 2025) के अनुसार, दुनिया के शीर्ष 1% अमीर लोग वैश्विक उपभोग-आधारित कार्बन उत्सर्जन (consumption-based emissions) में 15% योगदान देते हैं। वहीं निजी पूंजी स्वामित्व 41% उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार है। रिपोर्ट ने चेतावनी दी है कि धरती का तापमान दो फ़ीसदी बढ़कर 2050 तक 15 डिग्री सेल्सियस तक हो सकता है जो करोड़ों लोगों की मौत और विस्थापन का कारण बनेगा।
1% फ़ीसदी अमीरों ने बर्बाद कर दिया पर्यावरण!
- विश्लेषण
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- 29 Oct, 2025


नई क्लाइमेट इनिक्वेलिटी रिपोर्ट के मुताबिक़, दुनिया के 7 करोड़ अमीर लोग वैश्विक कार्बन उत्सर्जन के 15% के ज़िम्मेदार हैं। जानिए कैसे जलवायु संकट में आर्थिक असमानता और अमीरी की जीवनशैली अहम भूमिका निभा रही है।
ब्रह्मांड में छोटी-सी धरती
धरती पर जीवन ब्रह्मांड की एक अनमोल घटना है। अब तक की जानकारी के मुताबिक़ ब्रह्मांड में दो ट्रिलियन आकाशगंगाएं हैं। हर आकाशगंगा में सौ से चार सौ अरब तक तारे हैं। तारे गैस के गोले हैं, जो हाइड्रोजन जलाकर रोशनी देते हैं। हमारा सूरज भी ऐसा ही एक तारा है। उसके इर्द-गिर्द पृथ्वी समेत आठ ग्रह घूमते हैं। इससे हमारा सौरमंडल बनता है।
1977 में नासा ने वॉयजर अंतरिक्ष यान भेजा। नेप्च्यून से छह अरब किलोमीटर दूर से इसने पृथ्वी की तस्वीर खींची—14 फरवरी 1990 को। उसमें धरती एक नीले बिंदु जैसी दिखती है- 'पेल ब्लू डॉट'। ब्रह्मांड में हमारी हैसियत इससे ज्यादा कुछ नहीं। इंसान तो धूल के कण से भी छोटा। फिर भी, हम खुद को धरती का मालिक समझते हैं। युद्ध लड़ते हैं, लाखों मारते हैं—बस एक टुकड़े के लिए। जबकि पृथ्वी अकेला ज्ञात ग्रह है जहां जीवन है। इतने संयोगों का नतीजा। अनमोल। लेकिन हमने इसे संभाला नहीं, बर्बाद किया।





















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