लद्दाख ने 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाये जाने पर जश्न मनाया था। तब उसे अंदाज़ा नहीं था कि इस सीमांत और पर्यावरण के लिहाज़ से बेहद संवेदनशील माने जाने वाले राज्य की एक सुरक्षा छतरी भी इसके साथ हट गयी है। छह साल बाद लद्दाखियों को समझ में आया है कि उनके साथ छल हुआ है। पूर्ण राज्य और छठवीं अनुसूची की माँग करते हुए लाठी-गोली खा रहे लद्दाख के आंदोलनकारी अनुच्छेद 370 को शिद्दत से याद कर रहे हैं। सवाल उठ रहा है कि क्या अनुच्छेद 370 को हटाने का असल मकसद कॉरपोरेट कंपनियों को लद्दाख की प्राकृतिक संपदा पर कब्जा करने की खुली छूट देना था? और क्या इस मुद्दे पर दशकों तक आरएसएस और बीजेपी ने देश को गुमराह किया?