जब मुख्यधारा का मीडिया यह सिद्ध करने में लगा हो कि भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में कांग्रेस से कहीं अधिक योगदान और बलिदान राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का था और राष्ट्रीयता की सच्ची भावना उन्हीं के भीतर भरी है तब येल विश्वविद्यालय में इतिहास के प्रोफेसर रोहित डे और हाइफा(इजराइल) विश्वविद्यालय में एशियाई अध्ययन की एसोसिएट प्रोफेसर ओर्नित शानी ने सितंबर 2025 में आई ‘असेंबलिंग इंडियाज कांस्टीट्यूशनः ए न्यू डेमोक्रेटिक हिस्ट्री’(भारतीय संविधान का निर्माणः एक नया लोकतांत्रिक इतिहास) के माध्यम से एक नया दृष्टिकोण प्रस्तुत किया है।
क्या जनता ने बनाया था संविधान? रोहित डे और ओर्नित शानी की नया नज़रिया
- विश्लेषण
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- 7 Oct, 2025

येल विश्वविद्यालय के इतिहासकार रोहित डे और हाइफा विश्वविद्यालय के ओर्निट शानी ने अपनी किताब ‘असेम्बलिंग इंडियाज कॉन्स्टिट्यूशन’ में अभिजात्य विचारों को चुनौती दी है। बताया है कि किस तरह आम भारतीयों ने इसे आकार दिया। अरुण कुमार त्रिपाठी की टिप्पणीः
लेखक महात्मा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय में प्रोफ़ेसर रहे हैं। वरिष्ठ पत्रकार हैं।