न्यूज़ चैनलों में नौजवानों के तमाम सवालों के लिए जगह नहीं होती, मगर चैनल अपना सवाल पकड़ा कर उन्हें मूर्ख बना रहे हैं। चैनलों को ये सवाल कहाँ से मिलते हैं, आपको पता होना चाहिए। ये अब जो कुछ भी करते हैं, उसी तनाव के लिए करते हैं जो एक नेता के लिए रास्ता बनाता है, जिनका नाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी है।
अगर आप अपनी नागरिकता को बचाना चाहते हैं तो न्यूज़ चैनलों को देखना बंद कर दें। अगर आप लोकतंत्र में एक ज़िम्मेदार नागरिक के रूप में भूमिका निभाना चाहते हैं तो न्यूज़ चैनलों को देखना बंद कर दें। अगर आप अपने बच्चों को सांप्रदायिकता से बचाना चाहते हैं तो न्यूज़ चैनलों को देखना बंद कर दें। अगर आप भारत में पत्रकारिता को बचाना चाहते हैं तो न्यूज़ चैनलों को देखना बंद कर दें।
न्यूज़ चैनलों को देखना ख़ुद के पतन को देखना है। मैं आपसे अपील करता हूं कि आप कोई भी न्यूज़ चैनल न देखें। न टीवी सेट पर देखें और न ही मोबाइल पर। अपनी दिनचर्या से न्यूज़ चैनलों को देखना हटा दीजिए। बेशक मुझे भी न देखें लेकिन न्यूज़ चैनलों को देखना बंद कीजिए।
मैं यह बात पहले से कहता रहा हूँ। मैं जानता हूँ कि आप इतनी आसानी से मूर्खता के इस नशे से बाहर नहीं आ सकते लेकिन एक बार फिर अपील करता हूँ कि बस इन ढाई महीनों के लिए न्यूज़ चैनलों को देखना बंद कर दीजिए।
जो संसार आप इस वक़्त चैनलों पर देख रहे हैं, वह सनक का संसार है। उन्माद का संसार है। इन चैनलों की यही फितरत हो गई है और ऐसा पहली बार ऐसा नहीं हो रहा है।
तनाव पैदा करने में जुटे
क्या आप समझ पाते हैं कि यह सब क्यों हो रहा है? क्या आप जनता के तौर पर इन चैनलों में जनता को देख पाते हैं? इन चैनलों ने जनता को हटा दिया है। कुचल दिया है।
न्यूज़ चैनलों में जनता के सवाल नहीं हैं। चैनलों के सवाल जनता के सवाल बनाए जा रहे हैं। यह इतनी भी बारीक़ बात नहीं है कि आप समझ नहीं सकते। लोग चैनल-चैनल घूम कर लौट जाते हैं मगर उनके लिए जगह नहीं होती।
नौजवानों के सवाल नहीं होते
न्यूज़ चैनलों, सरकार, बीजेपी और मोदी इन सबका विलय हो चुका है। यह विलय इतना बेहतरीन है कि आप फर्क नहीं कर पाएँगे कि यह पत्रकारिता है या प्रोपेगैंडा।
प्रोपेगैंडा परोस रहे चैनल
बीजेपी समर्थक भी रहें दूर
क्या श्रेष्ठ पत्रकारिता के मानकों के साथ मोदी का समर्थन करना असंभव हो चुका है? बीजेपी समर्थकों, आपने बीजेपी को चुना था, इन चैनलों को नहीं। मीडिया का पतन राजनीति और एक अच्छे समर्थक का भी पतन है।
न्यूज़ चैनल आपकी नागरिकता पर हमला कर रहे हैं। लोकतंत्र में नागरिक हवा में नहीं बनता है। सिर्फ़ किसी भौगोलिक प्रदेश में पैदा हो जाने से आप नागरिक नहीं होते। सही सूचना और सही सवाल आपकी नागरिकता के लिए ज़रूरी है। इन न्यूज़ चैनलों के पास ये दोनों नहीं हैं।
मोदी पत्रकारिता के इस पतन के अभिभावक हैं। उनकी भक्ति में चैनलों ने ख़ुद को भांड बना दिया है। वे पहले भी भांड थे मगर अब वे आपको भांड बना रहे हैं। आपका भांड बन जाना लोकतंत्र का मिट जाना होगा।
भारत-पाकिस्तान तनाव के बहाने इन्हें राष्ट्रभक्त होने का मौका मिल गया है। इनके पास राष्ट्र को लेकर कोई भक्ति नहीं है। भक्ति होती तो लोकतंत्र के ज़रूरी स्तंभ पत्रकारिता के उच्च मानकों को गढ़ते।
झूठे नारों से गढ़ी जा रही देशभक्ति
इस वक़्त के अख़बार और चैनल आपकी नागरिकता और नागरिक अधिकारों के ख़ात्मे का एलान कर रहे हैं। आपको सामने से दिख जाना चाहिए कि ये होने वाला नहीं बल्कि हो चुका है।
हिन्दी अख़बारों को पढ़ना बंद करें
विपक्ष बनने की संभावना ख़त्म
मैं जानता हूँ कि मेरी यह बात न करोड़ों लोगों तक पहुँचेगी और न करोड़ों लोग न्यूज़ चैनल देखना छोड़ेंगे। मगर मैं आपको आगाह करता हूँ कि अगर यही चैनलों की पत्रकारिता है तो भारत में लोकतंत्र का भविष्य सुंदर नहीं है।
सत्य और तथ्य की संभावना समाप्त
- रवीश कुमार के फ़ेसबुक पेज से साभार