राहुल गांधी द्वारा उठाया गया वोट चोरी और चुनावी धांधलियों का सवाल अब पूरे देश में एक नयी प्रतिक्रियात्मक लहर बनाने लगा है। बिहार में राहुल गाँधी और तेजस्वी यादव की ' वोट अधिकार यात्रा ' में मिल रहे समर्थन ने अन्य प्रदेशों के मतदाताओं में कई प्रश्न खड़े कर दिए हैं। 2024 के लोकसभा चुनावों के बाद हरियाणा में 5 अक्टूबर 2024 हुए विधानसभा चुनावों के जो परिणाम आये थे उसने कांग्रेस पार्टी के साथ साथ सभी राजनीतिक विश्लेषकों को भी सकते में दाल दिया था। कांग्रेस ने इस जनादेश को हरियाणा की जनता का नहीं ई वी एम की करामात बताया था।
हरियाणा के मानसून सत्र के दौरान कांग्रेस के सभी विधायकों ने प्रदेश अध्यक्ष उदयभान और भूपेंद्र हुड्डा के नेतृत्व में चुनावी धांधलियों को ले कर चंडीगढ़ में वोट चोर गद्दी छोड़ के नारों के साथ प्रदर्शन किया। पत्रकारों के सवालों के जवाब देते हुए हुड्डा ने कहा की हरियाणा में चुनावों में हुई धांधलियों का जल्द ही बड़ा खुलासा सबूतों के साथ किया जायेगा। प्रदेश में विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों में मतदाता सूचियों को खंगाला जाने लगा है और उनमे डुप्लीकेट वोट बोगस वोट बिना पते के वोट एक पते पर समान्य से अधिक संख्या में वोट और अन्य अनियमितताओं की विस्तृत रिपोर्ट बनाई जा रही है।
हरियाणा चुनाव आयोग अब प्रदेश में 15 साल पूरे कर चुकी ई वी एम मशीनों को नष्ट करने की कवायद शुरू करना चाहता है। ई वी एम की प्रयोगात्मक व्यावसायिक आयु 15 वर्ष तय है। लेकिन यह कवायद प्रदेश के चुनाव आयुक्त अभी क्यों करना चाहते है। इस पर भी सवाल उठने लगे हैं। चुनाव आयोग ने प्रदेश की एक विधानसभा संख्या 56 जो दादरी है के कांग्रेस प्रत्याशी को पत्र द्वारा सूचित किया है। इस संदर्भ में अभी यह स्पष्ट नहीं किया गया कि जिन विधानसभा क्षेत्रों के प्रत्याशियों ने अदालत में केस दायर किये हैं उनके विधानसभा क्षेत्रों से आयु पूरी कर चुकी ई वी एम का क्या किया जायेगा।
हरियाणा चुनावों में मतगणना की धांधलियों पर उचाना विधानसभा क्षेत्र के प्रत्याशी बृजेन्द्र सिंह ने पंजाब हरियाणा उच्च न्यायालय में केस दायर किया हुआ है जिसमे चुनाव अधिकारी द्वारा पोस्टल बैलेट्स को पूरा नहीं गिनने का विवाद आधार है। बृजेन्द्र सिंह केवल 32 मतों से चुनाव हारे हैं। अब इस केस की सुनवाई 26 अगस्त से निरंतर किये जाने का उच्च न्यायालय का आदेश भी हो चुका है।
सिरसा जिले की रानियां सीट पर 9 बूथ की ई वी एम की पुनः गणना करने को लेकर देश के सुप्रीम कोर्ट से आदेश पारित किया गया लेकिन जिला चुनाव अधिकारी ने पुनः गणना को आधार बना कर उन ई वी एम में मौजूद आंकड़ों को मिटा कर केवल मॉक पोल करवाने की प्रक्रिया को करने की अनुमति दी अपने आप में पूरी प्रक्रिया को संदेह में खड़ा करता है।
अन्य विधानसभा क्षेत्रों में चुनावी गणना के बाद नतीजों पर कई प्रतिद्वंदी प्रत्याशियों के हस्ताक्षर नहीं कराए जाने की जानकारियां भी मिली रही है। प्रदेश कांग्रेस के 16 प्रत्याशियों ने चुनावी प्रक्रिया की अनियमितताओं के आधार पर पंजाब हरियाणा उच्च न्यायालय में केस किया है। उदयभान ( होडल), विजय प्रताप सिंह( बड़खल), नीरज शर्मा ( फ़रीदाबाद एन आई टी ), लखन सिंगला (फरीदाबाद), कर्ण सिंह दलाल (पलवल ), अनिल मान ( नलवा ), अमित सिहाग (डबवाली ), जय भगवान ( राइ ), जयवीर वाल्मीकि ( खरखौदा), मनीषा सांगवान ( दादरी ), एम एल रंगा ( बावल ), राकेश कुमार( इंद्री ), धर्मपाल ( नीलोखेड़ी), सुभाष देसवाल ( सफीदों) और सचिन कुंडू (पानीपत ग्रामीण ) के नाम हैं।
कुल मतदान के आंकड़े जारी करने में चुनाव आयोग ने देरी की और बार बार उन आंकड़ों में फेर बदल किया गया । मतगणना के दिन एक समय बाद अप्रत्याशित रूप से गणना की सूचनाओं में विलम्ब किया गया। अभी तक होते आये चुनाव के परिणामों में सूचनाओं की निरंतरता को यूँ बाधित किये जाने का यह एक अद्भुत नमूना पहली बार देखने में आया था। एक बड़ा विवाद कुल मतदान के आंकड़ों को लेकर भी रहा जिसे चुनाव प्रक्रिया पूरी होने के बाद चुनाव आयोग ने उसी दिन जारी नहीं किया।
चुनाव से पहले जिस तरह का जन आक्रोश भा ज पा सरकार के प्रति पूरे प्रदेश में उमड़ा था और भाजपा के हारने की प्रबल संभावनाएं स्पष्ट तौर पर दिखाई देने लगी थी उसके विपरीत नतीजों से ही सवाल उठने लगे थे। 8 अक्टूबर को जब परिणाम घोषित किये गए तो 90 सीटों की विधानसभा में भाजपा ने तीसरी बार फिर से 48 सीटों पर स्पष्ट जीत हासिल ली थी। हरियाणा विधानसभा चुनाव में मिली जीत ने भाजपा को लोकसभा चुनावों में मिली हार को एक नई संजीवनी दे दी। पूरे नतीजे को भाजपा के प्रति विश्वास के तौर पर जोर शोर से प्रचारित किया गया।
हरियाणा के चुनावों में अप्रत्याशित परिणामों के बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन ने चुनाव आयोग से चुनावों में हुयी अनियमिततों के आरोप लगाए और पूरी प्रक्रिया में पारदर्शी तरीके से तुरंत जांच की मांग की। भूपेंद्र हुड्डा और प्रदेश अध्यक्ष उदयभान ने 9 अक्टूबर को ही चुनाव में हुई धांधलियों को लेकर विभिन्न बिंदुओं को चुनाव आयोग के सामने रखा और एक मांगपत्र चुनाव आयोग को सौंपा था। मतगणना के दौरान अप्रत्यशित रूप से सुबह 9 बजे के बाद नतीजों की स्थिति दर्शाने में हुए विलम्ब पर चुनाव आयोग की पद्धति और भूमिका पर कांग्रेस ने आपत्ति की थी। इसका संतोषजनक स्पष्टीकरण चुनाव आयोग नहीं आज तक नहीं दिया।
11 अक्टूबर 2024 को कांग्रेस ने मतदान की गणना में ई वी एम में विसंगतियों और धांधलियों की एक रिपोर्ट फिर से चुनाव आयोग को भेजी जिसमे 20 विधानसभा क्षेत्रों की ई वी एम की बैटरी की 99 % चार्ज रहने पर संदेह जताया गया था। अन्य विधानसभा क्षेत्रों में ई वी एम 60 -70 % ही चार्ज पायी गयी थी । कांग्रेस ने चुनाव आयोग से ई वी एम की समयबद्ध सम्पूर्ण गहन जांच करके वास्तविकताओं को स्पष्ट करने की मांग की थी। जिन विधानसभा क्षेत्रों में शिकायतें मिली वो नारनौल, करनाल, डबवाली, रेवाड़ी, कालका, होडल, पानीपत शहरी, इंद्री, बड़खल, एन आई टी फरीदाबाद, नलवा रानियां, पटौदी, पलवल, बल्लभगढ़, बरवाला, उचाना, घरौंदा, कोसली, बादशाह पुर हैं, जहां पर भा ज पा के उमीदवार जीते ।
अब प्रदेश की कांग्रेस इकाई ने मतदाता सूचियों की जांच करने में जुट गई है। आरम्भिक स्तर पर मतदाता सूचियों में कुछ विधानसभा क्षेत्रों में मतदाता सूचियों में गड़बड़ियां उजागर हुई है। एक ही मकान के पते पर 45 लोगों का वोट दर्ज करना, एक खाली प्लाट पर 80 लोगों के वोट दर्ज करना। एक ही बूथ में कई दोहरे वोट का दर्ज रहना। कुछ मतदाताओं के मकान नंबर जीरो होना। महिलाओं के पीटीआई या पिता का नाम हरियाणा लिखा जाना आदि आदि । चुनावों से पहले हरियणा में अचानक से बीपीएल कार्ड धारकों की संख्या का बढ़ना और अब उनके नाम बीपीएल कार्ड से काटे जाने जैसी विसंगतियों का सारांश बनाया जा रहा है। राहुल गाँधी ने बिहार में वोट अधिकार यात्रा के दौरान एक रैली म कहा है की अब जल्द ही हरियाणा चुनाव में हुई धांधलियों को भी सबूतों सहित उजागर किया जायेगा।
पूरे विश्व में भारत के चुनाव आयोग की साख और लोकतान्त्रिक पद्धति की साख पर उठ रहे सवालों को मुख्य चुनाव आयुक्त किस तरह बचाएंगे, ये बड़ा सवाल इस अमृतकाल में भारत की सीमाओं को पार कर गया है। बिहार चुनावों से पहले चुनाव आयोग के सामने एक बड़ा संकट खड़ा हो गया है।