डॉ. हीरन जोशी, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सबसे करीबी सहयोगियों में से एक हैं और पीएमओ (प्रधानमंत्री कार्यालय) में संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी (सी&आईटी) के विशेष कर्तव्य अधिकारी (ओएसडी) के रूप में कार्यरत हैं, हाल ही में एक बड़े राजनीतिक विवाद के केंद्र में आ गए हैं।
3 दिसंबर 2025 को कांग्रेस के प्रवक्ता पवन खेड़ा ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में जोशी पर गंभीर आरोप लगाए। इन आरोपों में सट्टेबाजी ऐप में उनकी कथित हिस्सेदारी, पीएमओ में बैठकर व्यावसायिक गतिविधियाँ चलाना, विदेशी हितों से संबंधित मामले (खासकर अमेरिका में बैठकें) और पारदर्शिता की कमी शामिल है।
ये आरोप सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' (पूर्व में ट्विटर) पर तेज़ी से वायरल हो रहे हैं, जहाँ विपक्षी नेता और यूज़र्स इन्हें 'पीएमओ पर सवाल' बता रहे हैं। भाजपा और पीएमओ की ओर से अब तक कोई आधिकारिक जवाब नहीं आया है, जिससे अटकलें तेज़ हो गई हैं। जोशी को मोदी का 'आँख और कान' माना जाता है, जो उनकी डिजिटल रणनीति और मीडिया प्रबंधन का प्रमुख चेहरा रहे हैं।

डॉ. हीरन जोशी: पृष्ठभूमि

डॉ. हीरन जोशी का जन्म लगभग 1970 के दशक में राजस्थान के बाँसवाड़ा जिले में हुआ था (कुछ स्रोतों के अनुसार, उनका संबंध राजकोट या पुणे से भी बताया जाता है)। वे मूल रूप से इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियर हैं, जिन्होंने पुणे से इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग में डिग्री प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी एवं प्रबंधन संस्थान (आईआईआईटीएम), ग्वालियर से पीएचडी की उपाधि हासिल की।
शिक्षा पूरी करने के बाद, जोशी ने राजस्थान के भीलवाड़ा स्थित माणिक्य लाल वर्मा टेक्सटाइल एवं इंजीनियरिंग कॉलेज में इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग के असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में कार्य किया। उन्होंने यहाँ 18 वर्षों से अधिक समय तक पढ़ाया और तकनीकी विषयों पर विशेषज्ञता रखते थे। इस दौरान वे एक सामान्य शैक्षणिक जीवन जी रहे थे, लेकिन उनकी तकनीकी कुशलता ने उन्हें राजनीतिक क्षेत्र की ओर मोड़ दिया।

मोदी से जुड़ावः 2008 से पहले, जोशी का कोई प्रत्यक्ष राजनीतिक जुड़ाव नहीं था; वे मुख्य रूप से शैक्षणिक क्षेत्र में सक्रिय थे। 2008 की बात है, जब गुजरात सीएमओ (मुख्यमंत्री कार्यालय) में एक तकनीकी समस्या उत्पन्न हुई। मुख्यमंत्री मोदी के ब्लॉग या वेबसाइट पर कोई तकनीकी गड़बड़ी आ गई थी। जोशी, जो उस समय भीलवाड़ा में प्रोफेसर थे, को इस समस्या को हल करने के लिए बुलाया गया। उन्होंने तुरंत एक कस्टम सॉफ्टवेयर विकसित कर समस्या का समाधान किया, जिससे मोदी प्रभावित हुए।

इसी घटना ने जोशी को मोदी की डिजिटल उपस्थिति (ब्लॉग, वेबसाइट, ट्विटर और फेसबुक) संभालने के लिए चुनवा लिया। तब से वे गुजरात सीएमओ में ओएसडी के रूप में शामिल हो गए। वहाँ उन्होंने मोदी के शेड्यूलिंग के लिए विशेष सॉफ्टवेयर बनाया। जिसमें समय प्रबंधन, डुप्लिकेट बैठकों से बचाव, फॉलो-अप और आगंतुकों (Visitors) की शॉर्टलिस्टिंग शामिल थी। उन्होंने मोदी के ट्वीट्स को उर्दू, कन्नड़, जापानी, संस्कृत आदि भाषाओं में अनुवादित करने का काम भी किया।
2014 में मोदी के प्रधानमंत्री बनने पर जोशी पीएमओ में ओएसडी (सी&आईटी) बने, और 2019 में उन्हें जॉइंट सेक्रेटरी रैंक पर प्रमोशन मिला। वे मोदी के निवास में ही रहते हैं और रात 11:30 बजे तक ऑनलाइन गतिविधियों की रिपोर्ट देते हैं। जोशी को मीडिया प्रबंधन में 'मोदी का बायाँ हाथ' (अमित शाह को दायाँ हाथ माना जाता है) कहा जाता है। वे पीएमओ के कम्युनिकेशन विंग के प्रमुख हैं, जो मोदी की सोशल मीडिया उपस्थिति को नियंत्रित करते हैं।

आलोचकों के आरोप: 'मीडिया कंट्रोल' और 'सट्टेबाजी'

आलोचकों के अनुसार, जोशी का प्रभाव मीडिया कंट्रोल तक फैला है।

व्हाट्सएप ग्रुप्स और धमकियाँ: जोशी कथित रूप से न्यूज़ एंकरों और एडिटर्स के व्हाट्सएप ग्रुप्स चलाते हैं, जहाँ वे विपक्षी खबरों (जैसे आप या कांग्रेस) को दबाने के निर्देश देते हैं। 2022 में अरविंद केजरीवाल ने ‘हीरन जोशी इफ़ेक्ट’ का ज़िक्र किया था। उन्होंने दावा किया था कि जोशी चैनलों को 'आप' कवरेज कम करने के लिए धमकाते हैं। पवन खेड़ा ने 2021 में एबीपी न्यूज़ डिबेट में भी ठीक इसी तरह के आरोप लगाए थे।
अन्य राजनीतिक आरोप: सुब्रमण्यम स्वामी ने जोशी पर ट्रोल्स को पैसे देकर विरोधियों को निशाना बनाने का आरोप लगाया था। 2010 में सोहराबुद्दीन केस में सीबीआई ने अहमदाबाद में जोशी के कार्यालय पर छापा मारा था, संदेह था कि वे पार्टी वर्कर्स की निगरानी भी करते थे।
डिसइंफॉर्मेशन साइट्स: 2014 के चुनावों में जोशी की टीम ने फेसबुक स्टाफ के साथ मिलकर मोदी की इमेज बिल्डिंग की। वे ‘ट्रू पिक्चर’ जैसी डिसइंफॉर्मेशन (भ्रामक सूचना) साइट्स से जुड़े बताए जाते हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, जोशी मीडिया मालिकों से सीधा संपर्क रखते हैं, और उनके मैसेज 'पत्थर की लकीर' जैसे माने जाते हैं। हालांकि, भाजपा इन आरोपों को 'बकवास' बताती है।
सट्टेबाजी ऐप में कथित हिस्सेदारी: पवन खेड़ा ने दावा किया कि हीरन जोशी किसी सट्टेबाजी ऐप में शेयरधारक हैं और पीएमओ के पद पर रहते हुए अवैध व्यावसायिक हितों को बढ़ावा दे रहे थे। उन्होंने सवाल उठाया, “कौन सी बेटिंग ऐप में उनकी हिस्सेदारी थी? पीएमओ में बैठकर वो क्या कर रहे थे?” यह आरोप जोशी के ‘व्यावसायिक साझेदारों’ और ‘व्यक्तिगत संबंधों’ पर केंद्रित है, जो कथित रूप से विदेशी निवेश या प्रभाव से जुड़े हैं।

संदर्भ और प्रतिक्रिया

हाल के महीनों में भारत में अवैध सट्टेबाजी ऐप्स के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की कार्रवाई तेज हुई है। उदाहरण के लिए, 1XBet ऐप के मामले में पूर्व क्रिकेटर सुरेश रैना और शिखर धवन की 11 करोड़ रुपये की संपत्तियों को अटैच किया गया, जो ऐप के प्रचार से जुड़े थे। इसी तरह, अन्य ऐप्स जैसे Fun88 को प्रमोट करने पर तेलुगु अभिनेता राणा दग्गुबाती को पूछताछ के लिए बुलाया गया।
कांग्रेस का दावा है कि जोशी का मामला इससे भी गंभीर है, क्योंकि यह सरकारी पद से जुड़ा है। हालांकि, आरोपों का कोई ठोस सबूत (जैसे दस्तावेज़ या नाम) अभी सार्वजनिक नहीं किया गया है।
यदि ये आरोप साबित होते हैं, तो यह हितों के टकराव (Conflict of Interest) का मामला बन सकता है, जो पीएमओ की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े करेगा। खेड़ा ने चेतावनी दी, “यदि पीएमओ पारदर्शिता से जवाब नहीं देगा, तो हम खुलासा करेंगे।”

सोशल मीडिया पर चर्चा

'एक्स' पर 3 दिसंबर 2025 को ‘हीरन जोशी’ ट्रेंड कर रहा था। मुख्य रूप से विपक्षी खातों से। नवीनतम सर्च (लेटेस्ट मोड) में 20 से अधिक पोस्ट मिले।

पवन खेड़ा का वीडियो: खेड़ा का प्रेस कॉन्फ्रेंस क्लिप (@iamharmeetK और @PawanKhera से शेयर) हजारों व्यूज़ पा चुका है, जहाँ वे जोशी की ‘गायब हो चुकी’ स्थिति और सट्टेबाजी लिंक पर सवाल उठाते हैं। यूज़र्स इसे “पीएम के कार्यालय पर बड़ा सवाल” बता रहे हैं।

यूज़र्स की प्रतिक्रियाएँ: @Abhi_Mit108 ने जोशी का 2019 का पीएमओ नियुक्ति लेटर शेयर कर पूछा, “20 साल से मोदी के साथ थे, अचानक गायब क्यों? कोई स्कैम फटने वाला है?” @dksingh73 (द प्रिंट के एडिटर) ने लिखा, “कांग्रेस ने जोशी के व्यावसायिक हितों पर सवाल उठाए, भाजपा चुप क्यों? अजीब!”

ट्रेंडिंग हैशटैग: कुछ पोस्ट 2022 के आरोपों (मीडिया दबाव) को जोड़ते हुए कहते हैं, “सट्टेबाजी अब नया चैप्टर है।” विपक्षी यूज़र्स (#HirenJoshi #PMO) ट्रेंड चला रहे हैं, जबकि भाजपा समर्थक चुप हैं।

मीडिया कवरेज: द प्रिंट ने रिपोर्ट किया कि कांग्रेस ने जोशी को ‘पीएमओ का सबसे ताकतवर व्यक्ति’ बताते हुए सट्टेबाजी ऐप में हिस्सेदारी और अमेरिका यात्राओं पर सवाल उठाए। न्यूज़ड्रम और इकोनॉमिक टाइम्स ने पृष्ठभूमि दी, लेकिन सबूतों की कमी बताई। ईडी के हालिया ऐप मामलों (1XBet, Fun88) को संदर्भ बनाया गया।
यह विवाद मोदी सरकार की छवि पर सीधा हमला है, जो जोशी की गोपनीय भूमिका (मोदी की डिजिटल रणनीति) को निशाना बनाता है। सट्टेबाजी ऐप का मुद्दा अवैध जुए की बढ़ती समस्या से जुड़ा है, लेकिन बिना सबूत के यह राजनीतिक हथियार लगता है। जोशी का सफर एक सामान्य इंजीनियरिंग करियर से शुरू होकर मोदी के साथ 17 वर्षों की नजदीकी तक पहुँचा, जहाँ उनका मीडिया कंट्रोल विवादास्पद रहा।
पीएमओ को जवाब देना चाहिए, अन्यथा अटकलें बढ़ेंगी।