भारत ने हाल ही में जापान को पीछे छोड़ते हुए दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का दर्जा हासिल कर लिया है। यह उपलब्धि नीति आयोग के सीईओ बी.वी.आर सुब्रह्मण्यम के हवाले से आईएमएफ़ के आँकड़ों के आधार पर घोषित की गई। उनके अनुसार, भारत की जीडीपी 4.19 ट्रिलियन डॉलर तक पहुँच गई है, जबकि जापान की जीडीपी 4.18 ट्रिलियन डॉलर पर ठहर गई है। अब भारत से आगे केवल अमेरिका, चीन और जर्मनी हैं।

यह खबर सुनकर देशवासियों के चेहरे पर मुस्कान आना स्वाभाविक है, लेकिन जब हम अपने आस-पास फैली बेरोज़गारी, महंगाई और भूख को देखते हैं तो सवाल उठता है— क्या यह तरक्की सिर्फ काग़ज़ों पर है? क्या यह एक आर्थिक छलावा भर है जिसका ज़मीन पर असर नहीं?