प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अचानक जाति जनगणना की घोषणा के पीछे वास्तव में क्या चल रहा है? क्या यह सामाजिक समानता की दिशा में एक वास्तविक कदम था, या पहलगाम मुद्दे के इर्द-गिर्द अनुत्तरित सवालों से ध्यान हटाने के लिए सावधानीपूर्वक योजनाबद्ध था?