सबको पता है कि सरकार ने मीडिया को पूरी तरह नियंत्रित कर रखा है और सरकार के खिलाफ खबरें नहीं छपती हैं। ऐसे में कुछ लोगों ने अपनी बात किताबों के जरिये बताई। उसमें भी लोगों को समस्या आई। कई लोगों ने किताबें खुद प्रकाशित कीं। कई लोगों को उनकी किताबों के लिए परेशान किया गया। आज के समय में किताब लिखने से मुश्किल है प्रकाशक ढूंढ़ना। इसके बावजूद कई अच्छी किताबें आई हैं। स्वप्रकाशित और नये अनजाने प्रकाशकों की भी। लेकिन हाल के समय में दो किताबें नहीं आने की खबर है। पहली किताब इसरो के प्रमुख एस सोमनाथ की है जो मलयालम में लिखी गई थी। इसका नाम है, निलवु कुडिचा सिमहंगल। बताया जाता है कि इसमें चंद्रयान दो की नाकामी से संबंधित कुछ चूक का जिक्र है।