प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पांच देशों की यात्रा के इस मौके पर राजनय के विशेषज्ञों ने फिर एक बार जोरदार सलाह दी है कि भारत को आदर्शवादी और आशक्तिपूर्ण विदेश नीति को त्यागकर व्यावहारिक विदेश नीति अपनानी चाहिए। वैसे यह सलाह शीत युद्ध के बाद से ही शुरू हो गई थी और स्पष्ट रूप से तमाम विशेषज्ञों ने भारत को अर्थवाद और यथार्थवाद की ओर मुड़ने की सलाह देने और सरकार को उस दिशा में मुड़ने की प्रेरणा देनी शुरू कर दी थी। भारत उस दिशा में मुड़ा भी और उसने गुटनिरपेक्ष आंदोलन का विऔपनिवेशीकरण का चोला एकदम उतार ही फेंका।
मोदी ने की इतनी विदेश यात्राएं, फिर भी कूटनीति का बंटाधार
- विश्लेषण
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- 3 Jul, 2025

India Foreign Policy: भारत की कूटनीति बुरी तरह से फेल हो रही है। ऑपरेशन सिंदूर से भारत की विदेश नीति की दुविधा सामने आई। प्रमुख देशों ने भारत का समर्थन क्यों नहीं किया। आगे रास्ता क्या हैः
आर्थिक वैश्वीकरण के तीव्र प्रवाह में भारत का उतरना इसका स्पष्ट प्रमाण है। लेकिन पहलगाम हमले के बाद जब भारत ने ‘आपरेशन सिंदूर’ किया और उसका पाकिस्तान की ओर से भी कड़ा प्रतिकार किया गया तो पूरी दुनिया में कोई भी महत्त्वपूर्ण देश भारत के साथ खुलकर खड़ा होने को तैयार नहीं हुआ।
लेखक महात्मा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय में प्रोफ़ेसर रहे हैं। वरिष्ठ पत्रकार हैं।